आधुनिक चिकित्सा विज्ञान भी कई तरह के रोगों और स्वस्थ्य जीवन जीने के लिए योग करने की सलाह देता है -श्रीमती भारती सोनी
मनुष्य और परमात्मा का जोड़, स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से शरीर और मानसिक का तालमेल योग है’- डा. मुक्ता त्रिवेदी
संकल्पग्रुप एवं गायत्री परिवार के संयुक्त तत्वावधान में 18 से 21 जून तक आयोजित होगा योग शिविर ।
झाबुआ । यूँ तो योग व उसके महत्त्व एवं लाभ पर ढेरों पुस्तकें प्रकाशित हैं, परंतु जब भी हमें उन्हें व्यवहार में लाना होता है यानी किसी रोग को ठीक करने में उनका उपयोग करना पड़ता है तो बहुत मुश्किल हो जाती है, विभिन्न रोग व स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर आसन व प्राणायाम के कई लाभ होते हैं जो विभिन्न रोगों में सहायक होते हैं । अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को देखते हुए 18 जून से 21 जून तक 4 दिवसीय योग शिविर का संकल्प ग्रुप एवं गायत्री परिवार द्वारा बसंत कालोनी स्थित गायत्री मंदिर पर प्रातः 7 से 8 बजे तक आयोजन किया गया है । उक्त जानकारी देते हुए संकल्प ग्रुप की प्रमुख श्रीमती भारती सोनी ने बताया कि उक्त शिविर में ख्यातनाम योग गुरू डा. मुक्ता त्रिवेदी बीएचएमएस द्वारा योग की बारिकियों एवं विभिन्न आसनों के माध्यम से लाभार्थियों को योग का प्रशिक्षण दिया जावेगा ।
श्रीमती सोनी के अनुसार आजादी के अमृत महोत्सव के तहत झाबुआ स्थित गायत्री मंदिर बसंत कालोनी में 18 से 21 जून तक अमृत योग दिवस का आयोजन होगा। उन्होने कहा कि योग का प्रतिदिन अभ्यास करना चाहिए। इससे सभी निरोगी रहेंगे और समाज का स्वस्थ विकास संभव होगा। योग कोई व्यायाम नहीं है बल्कि यह जीवन जीने का तरीका है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान भी कई तरह के रोगों और स्वस्थ्य जीवन जीने के लिए योग करने की सलाह देता है। अपनी इसी खूबी के कारण योग दुनिया के तमाम देशों में अपना लिया है।
योग प्रशिक्षक डा. मुक्ता त्रिवेदी के अनुसार ‘‘योग का शाब्दिक अर्थ जोड़ होता है, आध्यात्मिक दृष्टिकोण से मनुष्य और परमात्मा का जोड़, स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से शरीर और मानसिक का तालमेल योग है। जबकि लोग आसनों और प्राणयाम को योग मानते है, योग एक बहुत विस्तृत विषय है जिसका छोटा का हिस्सा आसन है जो शरीर को स्वस्थ्य और निरोग रखने के लिए किया जाता है।’’ भारत में योग पुराने जमाने से स्वस्थ्य रहने का एक जीवन सूत्र रहा है । उनके अनुसार आधुनिक चिकित्सा विज्ञान भी कई रोगों में योगासन की सलाह देती है, इनमें खासकर अवसाद के मरीजों को मेडिटेशन करने की सलाह दी जाती है। मेडिटेशन का मतलब ध्यान केंद्रित करना होता है। इसमें व्यक्ति चारों तरफ से ध्यान हटा कर एक ओर ध्यान केंद्रित करने का अभ्यास करता है।’’
उनके अनुसार बढ़ती हुई बीमारियों के लिए आज के आपाधापी वाले जीवन को दोषी मानते हैं। वे कहती हैं, ‘‘व्यक्ति पर कई तरह के दबाव होते है चाहे वह विद्यार्थी हो, व्यवसायिक हो या नौकरी पेशे वाले हो, को योग मुद्रा, ध्यान और योग में श्वसन की विशेष क्रियाओं द्वारा तनाव से राहत मिलती है, योग मन को विभिन्न विषयों से हटाकर स्थिरता प्रदान करता है और कार्य विशेष में मन को स्थिर करने में सहायक होता है।
श्रीमती भारती सोनी के अनुसार प्राणयाम से व्यक्ति अपने सांसों पर नियंत्रण करने का अभ्यास करता है। इससे उसे अपना पूरा ध्यान सांसों की गति, समय से सांस खींचने और छोड़ने पर केंद्रित करना होता है। इससे शारीरिक गतिविधि एक लय में चलती है। जिससे ध्यान केंद्रित करने, फेफड़ों का व्यायाम, शरीर और मन में ताल मेल का अभ्यास होता है।’श्रीमती सोनी ने नगरवासियों से 18 जून से 21 जून तक आयोजित होने वाले इस योग शिविर में प्रातः 7 से 8 बजे तक अनिवार्यतः उपस्थित होकर योग शिविर का अधिक से अधिक लाभ उठावें ।
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