झाबुआ – जिले के कई शासकीय विभागों में कई कर्मचारी या बाबू वर्षों से एक ही सीट पर जमे हुए हैं कई बाबू को तो इस जिले में कार्य करते हुए करीब 10 से अधिक वर्ष भी बीत गए हैं, तो कई बाबू ने कई कलेक्टर के कार्यकाल देखे हैं एक ही सीट पर कार्य करते रहने के कारण इन बाबुओं की मनमानी विभागों में देखने को मिलती है । और अपनी कार्यशैली अनुसार विभाग को चलाते हैं तथा कई बार विभाग मे यह बाबू विभागीय कार्य में हस्तक्षेप कर , शासकीय निविदाओं में अपने रिश्तेदारों मित्रों को आर्थिक लाभ पहुंचाने का प्रयास करते हैं ।
कुछ ऐसा ही झाबुआ के जनजाति कार्य विभाग कार्यालय में देखने को मिल रहा है । जहा इस विभाग में एक बाबू विगत कई वर्षों से लगातार एक ही सीट पर कार्य कर रहा है इस बाबू ने कई सहायक आयुक्त और कई कलेक्टर के कार्यकाल देखें .हैं । तथा कई अधिकारियों के स्थानांतरण भी देखें हैं । लेकिन इस बाबू की सीट या इसका स्थानांतरण आज तक देखने को नहीं मिला हैं , चाहे भाजपा कार्यकाल हो या फिर अल्प समय का कांग्रेस का । इस बाबू ने तो एक सहायक आयुक्त के दो कार्यकाल भी देखें है । बात करें इस बाबू की तो इस बाबू ने विभाग की निविदा मे चाहे निर्माण शाखा की हो या सामग्री खरीदी की हो ,मनमाने तौर पर फर्मो को काम दिया और मनमाने तौर पर कमीशन भी लिया । संभवतः कई निविदाओं में तो अपने मित्रों को भी सहभागिता करवा कर आर्थिक लाभ भी पहुंचाया । इस विभाग में यदि आपको काम करना है तो इस बाबू की सहमति जरूरी होगी । पूर्व के सहायक आयुक्त के कार्यकाल में इस बाबू ने अपने मनमाने तौर पर सप्लायरो को एंट्री दी और एवज में लाभ भी लिया । संभवत तत्कालीन सहायक आयुक्त प्रशांत आर्य या पूर्व के सहायक आयोग के कार्यकाल में अनियमितताओं को लेकर इस बाबू की संभवत 12 मामलों में विभागीय जांच भी चल रही है एक या दो मामले में जांच हो तो ठीक, लेकिन 12 मामलों में जांच चलना , इनकी कार्यप्रणाली को दर्शाता है । और तो और करीब करीब 10 वर्षों से इसी जिले में एक ही सीट पर टिके हुए हैं यह भी अपने आप में अनोखा रिकॉर्ड है । बड़े बड़े अधिकारी / कर्मचारी भी इस जिले में इतने वर्षों तक नहीं टिक पाए हैं । आखिर क्या कारण है ……..।कि जिला प्रशासन के साथ-साथ मध्यप्रदेश शासन की नजर भी इस तरह के बाबू पर अब तक नहीं पड़ी है जो वर्षों से एक ही स्थान पर अपना कार्यकाल पूर्ण कर रहे हैं । और विभागीय अनियमितताओ और जांच सुचारू होने के बावजूद भी अब तक बने हुए हैं यह गंभीर चिंतन का विषय है । इस तरह के बाबू् ने कई भाजपा कार्यकर्ताओं के मान सम्मान को भी ठेस पहुंचाई है…। क्या शासन प्रशासन इस ओर ध्यान देकर इस तरह के बाबू की कार्यप्रणाली पर कोई कारवाई करेगा या फिर यह इस तरह के बाबू अपनी मनमानी करते हुए, जिले में यूं ही बने रहेंगे….?
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