जैनाचार्य ने बताया कैसे आते है कलयुग-सतयुग~~ बच्चों में डर को लेकर जैनाचार्य ने कही बड़ी बात
रतलाम। लोग कहते है-कलयुग आ गया, लेकिन कलयुग लाया कौन? यह सोचना चाहिए। वास्तव में कलयुग-सतयुग कुछ नहीं होता, इन्हें लाने वाले हम ही है। आज स्त्री अपनी शर्म भूल गई! पुरूष अपने संस्कार भूल गए!,बच्चें अपनी शिक्षा और संस्कृति भूल गए!और इंसान अपनी इंसानियत अर्थात नैतिकता भूल गया, इसलिए कलयुग है। यह बात आचार्यश्री विजयराज महाराज ने छोटू भाई की बगीची में प्रेरक प्रवचन देते हुए कही।महाराजश्री ने कहा कि यदि स्त्री लाज में रहे, पुरूष संस्कारित रहे और बच्चे संस्कृति नहीं भूले, तो सतयुग आ जाएगा। शुरुआत में जितेशमुनि ने भगवान महावीर के संदेशों पर प्रकाश डालते हुए माया से मुक्त जीवन जीने का आव्हान किया। रत्नेशमुनि एवं धर्यमुनि ने भी संबोधित किया। आदर्श संयमरत्नश्री विशालप्रिय मुनि ने श्रावक-श्राविकाओं से प्रवचनों पर आधारित रोचक प्रश्न किए। संचालन हर्षित कांठेड ने माना।
बच्चों में डर को लेकर जैनाचार्य ने कही बड़ी बात
रतलाम। मन को भविष्य का डर होता है, शरीर को नहीं। शरीर जहां जाएगा, वहां भूखा नहीं रहेगा, लेकिन मन जहां जाएगा उसे भविष्य का भय रहेगा। डरना सिर्फ परमात्मा से चाहिए। बच्चों के मन में डर पैदा मत करो। बच्चों को महाराणा प्रताप, शिवाजी महाराज, स्वामी विवेकानंद जैसा बनाओ। इसके लिए उनके आदर्श भगवान और महापुरूष होने चाहिमन को भविष्य का डर होता है, शरीर को नहीं। शरीर जहां जाएगा, वहां भूखा नहीं रहेगा, लेकिन मन जहां जाएगा उसे भविष्य का भय रहेगा। डरना सिर्फ परमात्मा से चाहिए। बच्चों के मन में डर पैदा मत करो। बच्चों को महाराणा प्रताप, शिवाजी महाराज, स्वामी विवेकानंद जैसा बनाओ। इसके लिए उनके आदर्श भगवान और महापुरूष होने चाहिए।
आचार्यश्री ने कहा
यह विचार सैलाना वालों की हवेली मोहन टॉकीज में गुरुवार को प्रवचन में आचार्यश्री विजय कुलबोधि सूरीश्वर ने व्यक्त किए। श्री देवसूर तपागच्छ चारथुई जैन श्रीसंघ गुजराती उपाश्रय, ऋषभदेव केशरीमल जैन श्वेताम्बर तीर्थ पेढ़ी के तत्वावधान में आयोजित प्रवचन के दौरान संघ के पदाधिकारी एवं बढ़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित रहे।
कलयुग-सतयुग को इन्हें लाने वाले हम-आचार्यश्री विजयराज
लोग कहते है-कलयुग आ गया, लेकिन कलयुग लाया कौन? यह सोचना चाहिए। वास्तव में कलयुग-सतयुग कुछ नहीं होता, इन्हें लाने वाले हम ही है। आज स्त्री अपनी शर्म भूल गई! पुरूष अपने संस्कार भूल गए!,बच्चें अपनी शिक्षा और संस्कृति भूल गए!और इंसान अपनी इंसानियत अर्थात नैतिकता भूल गया, इसलिए कलयुग है। यह बात आचार्यश्री विजयराज महाराज ने छोटू भाई की बगीची में प्रेरक प्रवचन देते हुए कही।
माया से मुक्त जीवन जीने का आव्हान
महाराजश्री ने कहा कि यदि स्त्री लाज में रहे, पुरूष संस्कारित रहे और बच्चे संस्कृति नहीं भूले, तो सतयुग आ जाएगा। शुरुआत में जितेशमुनि ने भगवान महावीर के संदेशों पर प्रकाश डालते हुए माया से मुक्त जीवन जीने का आव्हान किया। रत्नेशमुनि एवं धर्यमुनि ने भी संबोधित किया। आदर्श संयमरत्नश्री विशालप्रिय मुनि ने श्रावक-श्राविकाओं से प्रवचनों पर आधारित रोचक प्रश्न किए। संचालन हर्षित कांठेड ने माना।(दैनिक पत्रिका से सादर साभार)