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नाग पंचमी पर नागों की पूजा करने से भक्त को सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है- पण्डित ़ि़द्वजेन्द्र व्यास——— सोमवार को मनाई जावेगी नाग पंचमी

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नाग पंचमी पर नागों की पूजा करने से भक्त को सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है- पण्डित ़ि़द्वजेन्द्र व्यास———
सोमवार को मनाई जावेगी नाग पंचमी

झाबुआ । सोमवार 21 अगस्त को नाग पंचमी मनाई जाएगी। इस दिन नागदेव की पूजा करने का विधि-विधान है। भगवान श्रीकृष्ण का भी नाग पंचमी से संबंध है। उक्त जानकारी देते हुए ज्योतिष शिरोमणी पण्डित ़ि़द्वजेन्द्र व्यास का कहना है कि हिंदू धर्म की मान्यताओं के अनुसार, नागों की पूजा के लिए नाग पंचमी का पर्व मनाया जाता है। इस बार नाग पंचमी का पर्व सावन के तीसरे सोमवार के दिन नाग पंचमी की पूजा का दोगुना लाभ प्राप्त होगा और नागों की कृपा सभी पर बनी रहेगी। नाग पंचमी से जुड़ी हुई कई पौराणिक कथाएं सुनी होंगी लेकिन भगवान श्रीकृष्ण का नाग पंचमी से क्या संबंध है यह जानना भी जरूरी हेै।
उन्होने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण बाल रूप में माता यशोदा के साथ गोकुल में रहा करते थे और गोकुल के पास ही बहने वाली यमुना नदी में कालिया नाग रहा करता था। कालिया नाग बहुत अधिक जहरीला था। इस नाग के जहर से यमुना नदी का पानी काला हो गया था। जो भी इस नदी के जल को पीता वह तुरंत ही मर जाता था। गांव के लोग अपने जानवरों और बच्चों को नदी की तरफ नहीं जाने देते थे। एक बार भगवान श्रीकृष्ण अपने मित्रों के साथ खेल रहे थे तभी उनकी गेंद खेल-खेल में यमुना नदी में गिर गई। गेंद लेने के लिए कोई तैयार नहीं हुआ क्योंकि सभी जानते थे कि नदी में कालिया नाग रहता है। फिर भगवान श्रीकृष्ण ने गेंद लेने के लिए नदी में छलांग लगा दी। सभी मित्र यह देखकर परेशान हो गए और बहुत डर गए वे सभी यशोदा के पास पहुंचे और उन्हें पूरी बात बताई। भगवान श्रीकृष्ण ने कालिया नाग से कहा कि तुम यमुना नदी को छोड़कर चलो जाओ लेकिन इस बात से कालिया नाग इतना क्रोधित हुआ कि उसने भगवान श्रीकृष्ण पर ही हमला कर दिया। श्रीकृष्ण ने भी कालिया नाग को मुंहतोड जवाब दिया और दोनों में भयंकर युद्ध हुआ। नदी में ऊंची लहरें उठने लगीं और यह सब देखकर माता यशोदा और गोकुलवासी डर गए लेकिन जब कालिया नाग को यह पता चला कि वह कोई मामूली बच्चा नहीं है तो उसने भगवान श्रीकृष्ण से माफी मांगी और यमुना नदी को छोड़ने का वचन दिया। कालिया नाग पर विजय को भी नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है।
उनके अनुसार भारत के प्राचीन महाकाव्यों में से एक, महाभारत में, राजा जनमेजय नागाओं की पूरी जाति को नष्ट करने के लिए एक यज्ञ करते हैं। यह अपने पिता राजा परीक्षित की मृत्यु का बदला लेने के लिए था, जो तक्षक सांप के घातक काटने का शिकार हो गये थे। हालांकि, प्रसिद्ध ऋषि आस्तिक जनमजेय को यज्ञ करने से रोकने और नागों के बलिदान को बचाने की खोज में निकल पड़े। जिस दिन यह बलि रोकी गई वह शुक्ल पक्ष पंचमी थी, जिसे अब पूरे भारत में नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। कई हिंदू धर्मग्रंथों और महाकाव्यों में सांप या नागा महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। महाभारत, नारद पुराण, स्कंद पुराण और रामायण जैसे ग्रंथों में सांपों से जुड़ी कई कहानियां हैं। गरुड़ पुराण के अनुसार नाग पंचमी पर नागों की पूजा करने से भक्त को सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
नाग पंचमी का महत्व बताते  हुए पंडित द्विजंेद्र व्यास  कहते है कि नाग पंचमी का पर्व नाग देव को समर्पित है और इस दिन नाग की पूजा का विशेष महत्व माना गया है। मान्यताओं के अनुसार, नाग पारिस्थितिकी संतुलन को बनाए रखने में अपना विशिष्ट योगदान देता है और इसे भगवान शिव का भी प्रिय जीव माना जाता है इसलिए नागों की पूजा इस दिन अवश्य करनी चाहिए।
पंडित द्विजंेद्र व्यास  के अनुसार वैदिक पंचांग के अनुसार हर साल श्रावण मास के कृष्ण एवं शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन नाग पंचमी पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष के सावन माह की शुक्ल पक्ष की पंचमी 21 अगस्त को मनाई जाएगी। इस दिन विशेष रूप से नागों की पूजा की जाती है। कई लोग भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए उपवास भी रखते हैं। हिंदू धर्म में नाग पंचमी का विशेष महत्व तो है ही साथ ही इस दिन कुछ खास उपाय करने से व्यक्ति को कई तरह के लाभ मिलते हैं। नाग पंचमी के दिन किन कामों को करने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और भक्तों के सभी कष्टों को दूर करते हैं के बारे में उनका कहना है कि शिव भगवान आभूषण की तरह गले में नाग को धारण करते हैं। नाग पंचमी पर जीवन में सुख-समृद्धि, खेतों में फसलों की रक्षा के लिए नाग देवता की पूजा की जाती है। नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करके उन्हें दूध पिलाने का विशेष महत्व है। ऐसा करने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। साथ ही नाग पंचमी के दिन पूरे विधि-विधान से नाग देवता की पूजा और कुछ विशेष उपाय करने से काल सर्प दोष से मुक्ति मिलती है।
नाग पंचमी के दिन शिवलिंग पर तांबे के लोटे से ही जल चढ़ाएं। इसके अलावा आप पीतल के लोटे का भी प्रयोग कर सकते हैं। नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करने के बाद उन्हें दूध, मिठाई और फल अर्पित करें। इस दिन भगवान शिव को बेलपत्र जरूर अर्पित करने चाहिए और नाग देवता की विधिवत पूजा करें। नाग पंचमी के दिन बरगद या पीपल के पेड़ के नीचे नाग देवता के लिए दूध जरूर रखें। ऐसा माना जाता है कि अगर नाग देवता आपके द्वारा रखा हुआ दूध पी लेते हैं तो इससे पुण्य फल की प्राप्ति होती है। नागपंचमी के दिन व्रत रखें। व्रत रखने से व्यक्ति को कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा इस दिन नाग देवताओं की पूजा के बाद नागपंचमी के मंत्रों का जाप करना चाहिये । कुंडली में राहु और केतु की दशा चल रही है उन्हें भी नाग देवता की पूजा करनी चाहिए। इस उपाय से राहु केतु दोष से मुक्ति मिलेगी।
नागपंचमी तिथि और मुहूर्त के बारे उन्होने बताया कि 21 अगस्त को शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 20 अगस्त को रात 12.23 मिनट पर पंचमी तिथि लगेगी। 21 तारीख को रात में 2.01 मिनट पर यह तिथि समाप्त हो जाएगी।

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