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झाबुआ

115 सिद्धितप तपस्वीयो द्बारा की जा रही तप आराधना…. श्रीमती गादीया का भी सिद्धि तप आराधना पूर्णता की ओर……

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झाबुआ – नगर मे चातुर्मास हेतु पधारें प. पू . मुनिराज श्री चन्द्रयशविजय जी म.सा. , मुनि श्री जनकविजय जी म.सा. , मुनि श्री जिनभद्रविजय जी म.सा. आदी का चातुर्मास हेतु जब से मंगल प्रवेश हुआ है तब से ही धर्म आराधना एवम तपस्याओ का ठाट लगा हुआ है ।और यह झाबुआ धर्ममय हो गया है आपके पावन सानिध्य मैं सिद्धि तप जैसी उग्र तपस्या हो रही है जिसमें सकल जैन संघ ने भाग लेकर झाबुआ के इतिहास मैं पहली बार 115 तपस्वी एक साथ सिद्धि तप जैसी कठिन तपस्या कर धर्म आराधना कर रहे । इस तप के क्रम में एक उपवास फिर पारणा, दो उपवास फिर पारणा, इस प्रकार बढ़ते हुए क्रम में 8 उपवास फिर पारणा । इस प्रकार कुल 44 दिन में यह तप पूर्ण होता है । तप के क्रम में 8 वर्ष से लेकर 80 वर्ष तक के श्रावक श्राविकाए सिद्धि तप आराधना कर रहे हैं । जिसमे छोटे छोटे बच्चें जो की 8 वर्ष से लेकर 13 वर्ष के 15 बच्चे , बड़े ही उत्साह व उमंग के साथ सहभागिता कर रहे है । इन बच्चों और बड़े तपस्वीयो का उत्साह देख सकल जैन समाज हर्षित है । प्रफुलित है गौरांवित है यह तपस्या 14 जुलाई से प्रारंभ होकर 25 अगस्त को 44 दिवसीय तप आराधना का समापन होगा और 27 अगस्त को यह तप का समापन एक बड़े महोत्सव का रूप लेगा । जिसमे भारतभर के लोग इस कार्यक्रम मैं सहभागिता करेंगे , झाबुआ के इतिहास मैं पहली बार ऐसा तपमहोत्सव होगा , जो की स्वर्णिम अक्षरों मैं लिखा जाएगा ।

श्रीमति श्यामा ताराचंद गादीया

वही इस सिद्धि तप क्रम की आराधना में झाबुआ तेरापंथ समाज की सुश्राविका श्रीमती श्यामा ताराचंद गादीया द्वारा भी सिद्धि तप आराधना की जा रही है । श्रीमती गादीया पूर्व में दो बार तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्ष रह चुकी हैं साथ ही अपने इस जीवन में सैकड़ो उपवास ,एकासान, आंयबिल तप कर चुकी है । सुबह शाम सामायिक करना और नित्य प्रतिक्रमण करना उनकी दैनिक जीवनचर्या का हिस्सा है । पूर्व में चातुर्मास के दौरान सैकड़ो बार पौषध व्रत की उपासना भी की । रात्रि भोजन त्याग करना भी उनकी दैनिक जीवन शैली का हिस्सा है । चातुर्मास के दौरान जमीकंद के भी त्याग रहते है । अपने गुरु में अटल आस्था रखते हुए प्रतिवर्ष गुरु दर्शन करना और अपने परिवार को भी गुरु के प्रति अटल आस्था रखने का संदेश भी देती है । सामाजिक जीवन का निर्वाह करते हुए भी, धार्मिक रूप से भी पूर्ण रूप से जुड़ी हुई रहती है । क्षेत्र में साधु साध्वियो के आगमन पर समय-समय पर दर्शन करना व गौचरी पानी आदि का लाभ भी लेती हैं । उनके कुशल नेतृत्व के कारण संपूर्ण परिवार धार्मिक भावनाओं से जुड़ा हुआ है और उनकी जीवनशैली को अपना रहा है ।

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