कंस के अत्याचार से जब पृथ्वी त्राहि त्राहि करने लगी तब भक्त भगवान से गुहार लगाने लगे तब भगवान कृष्ण अवतरित हुए-पण्डित अनुपानंद जी महाराज ।
भागवत कथा के छटवें दिन कंसवध एवं गोवर्धन पूजा का हुआ विशद वर्णन ।
झाबुआ । श्री पद्मवंशीय मेवाडा राठौर तेली समाज द्वारा स्थानीय श्री विश्व शांति नवग्रह शनि मंदिर परिसर में चल रही सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के छठवें दिन व्यास से कथावाचक पण्डित अनुपानंदजी महाराज ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी लीलाओं से जहां कंस के भेजे विभिन्न राक्षसों का संहार किया, वहीं ब्रज के लोगों को आनंद प्रदान किया। प्रसंग में बताया गया कि इंद्र को अपनी सत्ता और शक्ति पर घमंड हो गया था। उसका गर्व दूर करने के लिए भगवान ने ब्रज मंडल में इंद्र की पूजा बंद कर गोवर्धन की पूजा शुरू करा दी। इससे गुस्साए इंद्र ने ब्रज मंडल पर भारी बरसात कराई। प्रलय से लोगों को बचाने के लिए भगवान ने कनिष्ठा उंगली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया। सात दिनों के बाद इंद्र को अपनी भूल का एहसास हुआ।
पण्डित श्री अनुपानंद ने गोवर्धन लीला के साथ भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का प्रसंग सुनाया। श्रद्धालु भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का वर्णन सुनकर मंत्रमुग्ध हो गए। भागवत कथा में छटवे दिन गोवर्धन लीला के साथ भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का प्रसंग सुनाया। उन्होने कहा कि भगवान विष्णु के पृथ्वी लोक पर अवतरित होने के प्रमुख कारण थे जिनमें एक कंस वध भी था । कंस के अत्याचार से जब पृथ्वी त्राहि त्राहि करने लगी तब भक्त भगवान से गुहार लगाने लगे तब भगवान कृष्ण अवतरित हुए । कंस को मालूम था कि उसका वध भगवान श्री कृष्ण के हाथों होना निश्चित है । इसलिए उसने भगवान कृष्ण को बचपन मे ही अनेक बार मारने का प्रयास किया लेकिन हर प्रयास भगवान के सामने असफल साबित हुआ । वही 11 वर्ष की अल्प आयु में कंस ने अपने प्रमुख अक्रुरजी के द्वारा मल्ल युद्ध के बहाने कृष्ण बलराम को मथुरा बुलवाकर शक्तिशाली योद्धा और पागल हाथियों से कुचलवाकर मरवाने का प्रयास किया लेकिन सभी कृष्ण व बलराम के हाथों मारे गये और अंत मे भगवान श्री कृष्ण ने अपने मामा कंस का वध कर मथुरा नगरी को कंस के अत्याचारों से मुक्ति दिला दी । कंस वध के बाद भगवान श्री कृष्ण ने अपने माता पिता वसुदेव और देवकी को जहां कारागार से मुक्त कराया वही कंस ने अपने पिता उग्रसेन महाराज को भी बंदी बनाकर कारागार में रखा था उन्हें भी भगवान कृष्ण ने मुक्त करवाकर मथुरा के सिंहासन पर बैठाया ।
लाभार्थी परिवार का किया स्वागत
श्रीमद् भागवत कथा के छटवें दिन के लाभार्थी परिवारों का कथा के अंत में स्वागत किया गया। लाभार्थी शंभु फतेहलालजी डगवाल, जसवंत कन्हैयालालजी कसोदनिया एवं हेमेंद्र भागीरथजी मगरूंडिया का साफा बांधकर, गले में गमछा डालकर व श्रीफल भेटकर तथा बादामीबाई कन्हैयालालजी, कविता हेमेंद्र, संगीता शंभू एवं संगीता जसवंत का गले में गमछा डालकर समाज के अध्यक्ष रामचंद्र गोलानिया, उपाध्यक्ष महेश गोलानिया, कोषाध्यक्ष अजय मावर द्वारा स्वागत किया गया। वही लाभाथी परिवारो को समाज के वरिष्ठ सदस्य समरथमल मोहनलालजी गोलानिया, मगनलाल लुणाजी गोलानिया एवं रामचंद्र कचरूजी गोलानिया द्वारा प्रतिक चिन्ह भेटकर लाभार्थी परिवार का स्वागत किया गया। स्वागत समारोह के पश्चात लाभार्थी परिवारों द्वारा भागवतजी की आरती कर प्रसादी का वितरण किया।