Connect with us

RATLAM

जिन्हें अपनों ने नहीं अपनाया, उन्हें ममता की छाया से नया जीवन दे रही मातृ छाया – शास्त्री नगर स्थित संस्था भवन में जल्द आएगी रेलवे स्टेशन पर मिली नन्ही नवजात

Published

on

जिन्हें अपनों ने नहीं अपनाया, उन्हें ममता की छाया से नया जीवन दे रही मातृ छाया
– शास्त्री नगर स्थित संस्था भवन में जल्द आएगी रेलवे स्टेशन पर मिली नन्ही नवजात
रतलाम। जन्म लेते ही मां के अांचल और पिता के साये से दूर, कभी झाड़ियों, कभी सड़क किनारे कचरे के ढ़ेरों और कभी अस्पताल तो कभी रेलवे स्टेशन या मंदिर की सीढ़ियों पर रोने वाले बच्चों को रतलाम में नया जीवन मिल रहा है।


शास्त्री नगर में मातृ छाया ऐसा घर बन गया है जहां जन्म लेने से 6 साल की उम्र तक सभी निराश्रित, अनाथ, बेघर, बेसहारा बच्चों को ममता और पोषण दोनों मिल रहा है।  सेवा भारती द्वारा 1 जुलाई 2021 को शास्त्री नगर में मातृ छाया की नींव रखी गई थी। तभी से यहां यह अनाथ आश्रम निरंतर चल रहा है। खास बात यह है कि केंद्र सरकार की सेंट्रल एडोप्शन रिसोर्स अथोरिटी से मान्यता प्राप्त नवजात शिशुओं के लिए संचालित यह जिले का एक मात्र सेंटर है। सेंटर पर नवजात से लेकर 6 साल तक की उम्र के बच्चों की देखरेख, लालन-पालन के लिए 24 घंटे महिलाएं रखी गई हैं जिन्हें यशोदा मां कहा जाता है। एक समय पर अनिवार्य रूप से कम से कम 2 मां और इनके अलावा भी समाजसेवी यहां सेवा देते हैं। सेंटर पर बच्चों की सेहत और पोषण का ध्यान रखने का जिम्मा शिशु चिकित्सा विशेषज्ञ और नर्स भी रखती हैं। इनके द्वारा नियमित रूप से बच्चों का परीक्षण किया जाता है।

एक दर्जन से ज्यादा को दिलवाए परिवार
इन बच्चों का अपना घर बन चुके इस आश्रय से जुड़े लोग अब तक यहां एक दर्जन से भी ज्यादा बच्चों की जिंदगियां तीन सालों में संवार चुके हैं। यहां फिलहाल 4 बच्चे रह रहे हैं, जबकि इन तीन सालों में 7 बच्चों को कारा के तहत देश में और एक बच्चे को विदेश के एक परिवार में भी आधिकारिक रूप से गोद भी दिया गया है। गोद देने के बाद भी यहां के समाजसेवी और कार्यकर्ता नियमित रूप से गोद दिए गए बच्चों की खबर लेते हैं।

प्यार और सेवा से सुधरी सेहत
मातृ छाया में जिले के ऐसे सभी बच्चों को चाईल्ड हेल्प लाइन, पुलिस तथा आधिकारिक संस्थाओं के माध्यम से लाया जाता है जिन्हें प्रशासन से अनुमति हो। यहां तीन सालों में कचरे में फैंके तथा मानसिक रूप से विक्षिप्त महिलाओं द्वारा जन्म देकर छोड़ दिए गए बच्चों को भी लाया गया था जिनकी सेहत बेहद खराब थी।  हालांकि यहां मिली सेवा और इलाज से बच्चों की सेहत में सुधार भी हुआ और अब वे स्वस्थ भी हैं। बच्चों की पहचान भी पूरी तरह से गुप्त रखी जाती है।

मेडिकल कॉलेज से आएगी नन्ही परी
उल्लेखनीय है कि 18 अक्टूबर को रतलाम रेलवे स्टेशन पर एक नवजात बालिका पड़ी हुई मिली थी। चाईल्ड लाईन ने सूचना के बाद प्लेटफार्म नंबर 7 के चबूतरे के पास से बालिका को विधिवत बाल चिकित्सालय में इलाज के लिए भर्ती करवाया। तत्काल प्रभाव से नवजात की देखरेख के लिए उनके द्वारा मातृ छाया को बच्ची सौंप दी गई है जिसके बाद से अस्पातल में भी एक यशोदा मां पूरे समय बच्ची के साथ रहकर देखभाल कर रही हैं। बच्ची के सेहतमंद होते ही उसे भी शास्त्री नगर स्थित मातृ छाया भवन में लाकर रखा जाएगा।

बच्चों को आप भी दे सकते हैं प्यार
संस्था से जुड़े समाजसेवियों ने बताया कि इसका संचालन सेवा भारती की गाइडलाइन अनुसार किया जाता है। पंरतु कोई भी संस्था आम लोगों के प्यार और सहयोग के बिना नहीं चल सकती है। ऐसे में कोई भी इच्छुक व्यक्ति इन नन्हें बच्चों के जीवन को थोड़ा बेहतर बनाने के लिए भाग ले सकता है। पुरानी वस्तुओं विशेषकर कपड़े, बिस्तर से इंफेक्शन होने का खतरा रहता है ऐसे में बच्चों के लिए सेंटर पर आकर उनके उपयोग हेतु नई वस्तुएं दी जा सकती हैं।

देश दुनिया की ताजा खबरे सबसे पहले पाने के लिए लाइक करे प्रादेशिक जन समाचार फेसबुक पेज

प्रादेशिक जन समाचार स्वतंत्र पत्रकारिता के लिए मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा मंच है। यहां विभिन्न समाचार पत्रों/टीवी चैनलों में कार्यरत पत्रकार अपनी महत्वपूर्ण खबरें प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं ।

Advertisement

Subscribe Youtube

Advertisement

सेंसेक्स

Trending

कॉपीराइट © 2021. प्रादेशिक जन समाचार

error: Content is protected !!