गोपाष्टमी 20 नवम्बर से देवझिरी की गो सेवा सदन, चारोलीपाडा अन्तरिक होगी ।
धर्मप्रेमियों से गौशाला संचालन में सहभागिता की समिति ने की अपील ।
गोलोकवासी पूज्य मोहनानंदजी ने कहा था, सनातन धर्म में गाय यानि गौ का विशेष महत्व है।
झाबुआ । ब्रह्मलीन धर्म धुरंधर अनंत श्री विभूषित दंडी स्वामी मोहनानंद जी सरस्वती के कर कमलो से झाबुआ जिले के पवित्र स्थल देवझिरी में नगर के सामाजिक एवं धार्मिक कार्यकर्ता कन्हैयालाल राठौर द्वारा दान की गई भूमि पर वर्ष 2009 की गोपाष्टमी पर श्रीकृष्ण गो सेवा सदन देवझीरी का शुभारंभ किया गया था । वर्तमान में इस पंजीकृत संस्थान का रखरखाव 7 सदस्यों की समिति कर रही है । गौशाला विगत 14 वर्षों से निरंतर इसकी देखभाल कर रही है । गौशाला में वर्तमान में 25 के लगभग गायमाताओं की सेवा समिति नगर के धर्मात्माओं से प्राप्त सहयोग राशि से कर रही है। गौशाला संचालक के रूप में कार्यरत सदन के सदस्य प्रीतेश शाह ने बताया कि उक्त गौशाला देवझिरी में संचालित करने में अनेको कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है तथा कई प्रकार की जटिल समस्याएं उत्पन्न हो रही है । तथा विगत 1 वर्ष पूर्व समिति के सदस्यों द्वारा यह निर्णय लिया गया कि ग्राम चारोली पपड़ा में शासन द्वारा निर्मित गौशाला निर्माण तिथि से आरंभ नहीं हुई है, इस देवझीरी स्थित गौशाला को स्थानांतरित कर दिया जावे। इस निर्णय के उपरांत समिति द्वारा जिलाध्यक्ष महोदय से संपर्क कर ग्राम पंचायत स्तर से कार्रवाई की जाकर संपूर्ण औपचारिकताएं पूर्ण की गई। तथा गौशाला श्रीकृष्ण गौ सेवा सदन को स्थानांतरित करवा ली गई है । गौशाला में आवश्यक परिवर्तन, परिवर्धन के उपरांत विधिवत गौशाला को कार्तिक मास की गोपाष्टमी 20 नवम्बर सोमवार से चारोलीपाडा में स्थानांतरित कर आरंभ किया जाने का लक्ष्य रखा गया है। ऐसा माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने गोपाष्टमी से ही गौचपरण आरंभ किया था । गोचपरण का यह दिन हिंदू सनातनी परंपरा में गोपाष्टमी के रूप में सनातनधर्मी कई राज्यों में मनाया जाता है । गौशाला समिति के सदस्यगण कन्हैयालाल राठौर, पीयूष पवार, दयानंद पाटीदार, प्रीतेश शाह, छोगालाल मालवीय, रमेशचंद्र मालवीय, सुधीर तिवारी ने नगर के सभी सनातनी गो भक्तों से इस नूतन शुभारंभ कार्यक्रम में सम्मिलित होकर तन मन और धन से सहयोग करने की अपील की है ।
श्री राधेश्याम परमार ने बताया कि गौशाला के प्रणेता स्वामी मोहनानन्द जी का कहना था कि सनातन धर्म में गाय यानि गौ का विशेष महत्व है। इसी के चलते इन्हें माता का दर्जा दिया जाता है। गाय का कई मायनों में विशेष महत्व है। ऐसे में ज्योतिष से लेकर धर्म में भी गाय की विशेषताओं का वर्णन मिलता है। गाय से जुडेे ऐसे कई उपाय हैं जिनकी मदद से हम जीवन को खुशहाल बना सकते हैं, इन उपायों के संबंध में मान्यता है कि इनके प्रभाव से जीवन में खुशहाली आने के साथ ही तरक्की भी आती है। उनका कहना था कि माना जाता है कि घर में बनने वाली पहली रोटी हमेशा गाय को खिलाएं और सभी शुभ कार्यों में गाय का ग्रास अवश्य निकालें। साथ ही अपने बच्चे के हाथ से गौ माता को भोजन जरूर खिलाएं। इससे नव गृह शांत होंगे। सप्ताह में कम से कम एक बार परिवार के साथ गौशाला में अवश्य जाएं और सामर्थ्य अनुसार दान करें। इसके अलावा गर्मियों में पानी और सर्दियों के दौरान गौ माता को गुड़ का भोग अवश्य लगाएं। माना जाता है कि ऐसा करने से बार बार आने वाली परेशानियां दूर होती हैं। गौ माता के पंचगव्य का सेवन से हर प्रकार की बीमारी दूर होती है, गौ माता को चारा अवश्य खिलाएं। अगर रोजाना संभव नहीं तो कम से कम हफ्ते में एक दिन यह उपाय जरूर करें। इसके साथ ही गौ माता की पूजा के साथ साथ उनकी प्ररिक्रमा अवश्य करें। इससे व्यक्ति को सभी तीर्थों का पुण्य प्राप्त होगा। गाय के गले में बजती घंटी उनकी आरती करने की-सूचक मानी जाती है। सवामी जी कहा था कि किसी भी प्रकार की बुरी नजर या नकारात्मक ऊर्जा से बचने के लिए रोजाना या हफ्ते में एक बार गौ माता की पूंछ को अपने सिर के ऊपर से जरूर घुमाएं। मान्यताओं के अनुसार, धर्म के साथ किया गया गौ पूजन शत्रुओं का विनाश कर व्यक्ति को सफलता प्रदान करता है।अगर आपका कोई काम रुका हुआ है और लाख कोशिशों के बाद भी पूर्ण नहीं हो पा रहा है तो उस काम को गौ माता के कान में अवश्य कहें। इससे सभी काम गौ माता के आशीर्वाद से पूरे हो जाते है। गाय की पीठ पर उभरे कूबड़ को छूने से और उस पर हाथ फेरने से न सिर्फ व्यक्ति रोग मुक्त हो जाता है, बल्कि उस पर कभी भी कर्ज का बोझ नहीं पड़ता।इसलिये गौशालाओं में जो भी गाय की परोक्ष या प्रत्यक्ष तरिके से सहयोग करता है,वह पूण्य का भागी बनता है।
समिति ने कहा कि गोपाष्टमी से चारोलीपाडा में यह गौशाला यहां पर निरंतर आरंभ रहेगी अतःजिले की धर्मप्राण जनता अधिक से अधिक पूण्य के सहभागी बने तथा चारोलीपाडा की इस धर्मशाला के संचालन में सहभागिता करें ।