परंपरागत आदिवासी वैद्यों का हुआ प्रशिक्षण
झाबुआ.~~पिरामल संस्था द्वारा कृषि विज्ञान केंद्र हॉल में एक दिवसीय परंपरागत आदिवासी वैद्यों का प्रशिक्षण कार्यक्रम राखा गया । जिसमे उनके द्वारा मरीज परीक्षण व इलाज कार्य में स्वच्छता एवं गंभीर बीमारी वाले मरीजों को शासकीय अस्पताल में रेफर करने हेतु प्रशिक्षित किया गया। इस प्रशिक्षण में विभिन्न ब्लॉकों से 30 परंपरागत आदिवासी वैद्य शामिल हुए जिसमे 2 महिला वैद्य भी शामिल हुई।इन वैद्यों का काम से काम 20 वर्षों का इलाज अनुभव है ।प्रशिक्षण में मुख्य रूप से इन वैद्यों द्वारा अपनी जड़ी बूटियों का संग्रहण व ॵवषधीय पौधो का संरक्षण पर जोर दिया गया। प्रशिक्षण में ये भी बताया गया की यदि कोई वैद्य नशे में किसी मरीज का परीक्षण व ईलाज आदि करता हैं तो वह प्रमाणिकरण के योग्य नही ठहराया जा सकता व उसका प्रशिक्षण रद्द माना जाएगा । जड़ी बूटियों का उपयोग साफ सफाई से धोकर पीसे व साफ कपड़े से छाने व स्वयं भी स्वच्छ रहे आदि बातो को विस्तार से समझाया गया । आदिवासी परंपरागत वैद्यों को संख्या निरंतर काम होती जा रही है इसकी वजह नई पीढ़ी इस कार्य को करना नही चाहती, जिसमे ईलाज का उचित दाम न मिलना अथवा ईलाज के बदले पैसे न लेना अथवा मुफ्त में इलाज की परंपरा होना, कुछ परंपरागत आदिवासी वैद्य इलाज के लिए पैसे न लेकर वस्तु विनिमय प्रणाली पर कार्य करते हैं। इन अनेक कारणों से नई पीढ़ी इस कार्य में काम रुचि रखती है और यह ज्ञान विलुप्ति के कगार पर खड़ा है ।नई पीढ़ी में इस विज्ञान का हस्तांतरण व बचाव आवश्यक है । शासन द्वारा उचित प्रमाणन के लिये आदिवासी वैद्यों का प्रशिक्षण व कुशलता विकास के लिए पिरामल संस्था निरंतर प्रयास कर रही हैं।