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झाबुआ

20 फरवरी को जया एकादशी का व्रत किया जावेगा । *********जया एकादशी व्रत करने से श्रीहरि की कृपा प्राप्त होती है तथा भगवान विष्णु के आशीर्वाद से उनके घर में कभी धन धान्य की कमी नहीं होगी- पण्डित द्विजेन्द्र व्यास ।

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20 फरवरी को जया एकादशी का व्रत किया जावेगा ।
जया एकादशी व्रत करने से श्रीहरि की कृपा प्राप्त होती है तथा भगवान विष्णु के आशीर्वाद से उनके घर में कभी धन धान्य की कमी नहीं होगी- पण्डित द्विजेन्द्र व्यास ।

झाबुआ । जया एकादशी का व्रत माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। इस दिन व्रत करने से आपके पापों का अंत होता है और मां लक्ष्मी और विष्णु भगवान का आशीर्वाद मिलता है। इस व्रत में कथा का पाठ करने से घर में सुख समृद्धि बढ़ती है और घर में मां लक्ष्मी का वास होता है। उक्त जानकारी देते हुए ज्योतिषाचार्य पण्डित द्विजेन्द्र व्यास ने बताया कि जया एकादशी एकादशी माघ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा के साथ ही पूरी आस्था और श्रद्धा से उनका व्रत किया जाता है और शाम को पूजा करके लोग फलाहार करते हैं। जया एकादशी के व्रत का पारण अगले दिन द्वादशी तिथि में किया जाता है। जया एकादशी को लेकर यह मान्यता है कि ऐसा करने से मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है और सभी दुखों से मुक्ति मिलती है। आइए आपको बताते हैं कि कब है जया एकादशी, पूजाविधि और शुभ मुहूर्त।

कब है जया एकादशी
पण्डित द्विजेन्द्र व्यास के अनुसार जया एकादशी का व्रत 20 फरवरी को रखा जाएगा। पंचांग के अनुसार एकादशी तिथि का आरंभ 19 फरवरी को सुबह 8 बजकर 50 मिनट पर हो जाएगा और 20 फरवरी को सुबह 9 बजकर 52 मिनट तक यह तिथि रहेगी। इस प्रकार उदया तिथि की मान्यता के अनुसार यह व्रत 20 फरवरी को रखा जाएगा और व्रत का पारण 21 फरवरी को किया जाएगा। सबसे खास बात यह है कि इस व्रत के दिन आयुष्मान योग के साथ, त्रिपुष्कर योग और प्रीति योग भी बन रहा है। इस वजह से जया एकादशी के दिन व्रत करने से व्रतियों को विशेष फल की प्राप्ति होगी। भगवान विष्णु के आशीर्वाद से उनके घर में कभी धन धान्य की कमी नहीं होगी।
जया एकादशी व्रत का महत्व
पण्डित व्यास के अनुसार जया एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा माधव स्वरूप में की जाती है। इस व्रत को करने से आपके पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और आपके लिए भी परलोक का रास्ता तय होता है। इस व्रत के महत्व के बारे में बताते हुए स्वयं भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर को कहा था कि इस दिन का उपवास करने से व्यक्ति को ब्रह्महत्या का पाप नहीं लगता है।
जया एकादशी व्रत की पूजाविधि
जया एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद साफ कपड़े पहनकर केले के पेड़ की पूजा करें और उस पर जल चढ़ाएं। इसके बाद पूजा करके भगवान विष्णु को पीले फल, पीले मिष्ठान और पीले वस्त्र दान करें। भगवान की धूप-दीप से आरती करें और तुलसी दल के साथ पंचामृत का भोग लगाएं। भगवान विष्णु के मंत्रों का जप करें और मां लक्ष्मी की पूजा करें। जया एकादशी के व्रत की कथा का पाठ करें। इस दिन अनाज और फलों का दान भी करना चाहिए।सभी एकादशियों में जया एकादशी बहुत ही पुण्यदायी मानी जाती है। इस व्रत को करने से व्यक्ति भूत, प्रेत, पिशाच की योनि से मुक्त हो जाता है। मान्यता है कि जो व्यक्ति श्रद्धापूर्वक जया एकादशी का व्रत रखता है वह ब्रह्म हत्या जैसे महापाप से भी छूट जाता है ।
जया एकादशी के उपाय –
उन्होने बताया कि पंचांग के अनुसार हर साल माघ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को जया एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस साल यह व्रत 20 फरवरी को रखा जा रहा है। सभी एकादशियों में जया एकादशी बहुत ही पुण्यदायी मानी जाती है। इस व्रत को करने से व्यक्ति भूत, प्रेत, पिशाच की योनि से मुक्त हो जाता है। मान्यता है कि जो व्यक्ति श्रद्धापूर्वक जया एकादशी का व्रत रखता है वह ब्रह्म हत्या जैसे महापाप से भी छूट जाता है तथा भगवान विष्णु की कृपा से उसे जीवन के समस्त सुखों की प्राप्ति होती है। धार्मिक शास्त्र में पूजा पाठ के साथ ही जया एकादशी के दिन गए कुछ उपाय विशेष फलदायी माने जाते हैं। जया एकादशी के दिन श्रीहरि विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की भी पूजा करें। मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में तरक्की आती है।
श्री व्यास के अनुसार 20 फरवरी को जया एकादशी व्रत वाले दिन सुबह स्नान के बाद घी का दीपक जलाएं और भगवान विष्णु का आह्वान करें। इससे भगवान विष्णु शीघ्र प्रसन्न होते हैं और घर में कभी धन-धान्य की कमी नहीं होती है। इस दिन जगत के पालनहार श्रीहरि विष्णु को प्रसन्न करने के लिए उन्हें पीले वस्त्र, पीले फूल, पीले रंग की पुष्प माला, मिठाई, फल आदि अर्पित करें। फिर बाद गाय को चारा खिलाएं और जरूरतमंद को कुछ दान करें। मान्यता है कि पीपल में भगवान विष्णु का वास होता है, इसलिए इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा जरूर करनी चाहिए। जया एकादशी के दिन किसी मंदिर में स्थित पीपल के वृक्ष को जल चढ़ाएं और उसके समीप देसी घी का दीपक जलाएं। एक बात का खास ध्यान रखें कि एकादशी के दिन तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए। साथ ही इस दिन चावल खाने से बचें। इस दिन केवल एक बार भोजन करें और वो भी फलाहार ही होना चाहिए।

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