देश,धर्म,और संस्कृति की दिशा में बहिनों की भागीदारी सुनिश्चित करने ओैर अच्छी मां की निर्मिती के साथ ही संस्कारवान संताने हो,देश फिर से विश्वगुरू बने यही हमारा संकल्प-श्रीमती सूरज डामोर ।
विश्व मागंल्य सभा का वर्धापन दिवस समारोहपूर्वक आयोजित ।
विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य के लिये 5 नारी शक्ति का किया गया सम्मान ।
झाबुआ । स्थानीय दत्त मंदिर में विश्व मांगल्य सभा का 14 वां वर्धापन दिवस समारोह पूर्वक मनाया गया । इस आयोजन में बडी संख्या में नारीशक्ति का एकत्रित होना अपने आप में एक सुखद प्रसंग था । विश्व मांगल्य सभा की प्रदेशाध्यक्ष श्रीमती सूरज डामोर ने बताया कि इस वर्धापन दिवस का विशेष आकर्षण अंचल में विभिन्न 5 क्षेत्रों में कार्य करने वाली 5 बहिनों को उनकी लम्बी एवं उल्लेखनीय सेवाओं के लिये सम्मानित किया गया । जिसमें प्रमुख रूप से ज्योतिष के क्षेत्र में कार्यकरने वाली श्रीमती विद्या बहिन सोढानी जिनके द्वारा स्वर्गीय प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेयाी की पत्रिका देख कर जो भविष्यवाणी की थी वह सही साबित हुई थी, इसी तरह शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में विगत 40 वर्षो से बच्चोें को संस्कार एवं शिक्षा के माध्यम से अपना समग्र जीवन समर्पित करने वाली तथा कई पुरस्कारों से सम्मानित ,श्रीमती देवयानी नायक, लोकस्वास्थ्य के क्षेत्र में पिछले 40 वर्षो से अधिक समय तक इस अचंल में माताओं एवं बहिनों के स्वास्थ्य के लिये समर्पित भाव से कार्यरत है, तथा जिन्होने बहिनों को स्वस्थ्य बना कर उनका जीवन बचाया ऐसी पूर्व सिविल सर्जन डा.श्रीमती उमेश राठौर, के अलावा स्वच्छता सफाई के क्षेत्र में कोई भी मोसम हो, बरसात, ठंड की पर्वाह किये बगैर जिन्होने समुदाय की सेवा में तत्पर रही ऐसी बहिन पनम बसौड, तथा सबसे महत्वपूर्ण हस्तशिल्प के क्षेत्र में दिव्यांग बहिन लाडकी बहिन खडकिया, जो करीब 25 बरसों से हस्तशिल्प का कार्य सतत कर रही है, जो चल फिर नही सकती है, उसके बावजूद भी उनका उत्साह और जोश उत्कृष्ठ एवं उल्लेखनीय है, जिन्हे कई बार राज्यस्तरीय पुरस्कारों से नवाजा गया है उन्हे भी विश्व मांगल्यसभा द्वारा सम्मानित किया गया ।
शनिवार को विश्व मांगल्यसभा के सवर्धापन दिवस का महत्व बताते हुए श्रीमती सूरज डामोर ने नारी सशक्तिरण की भावना को जागृत करते हुए कहा कि जिस स्थान पर नारी सशक्त नहीं होती, उस स्थान को श्मशान बनने में अधिक समय नहीं लगता। नारी सशक्तिकरण ही किसी भी राष्ट्र को प्रेरित करने वाला प्रेरणा पुंज है। नारी की विनम्रता से यदि अमृत्व फलता-फूलता है तो यह न भूलें कि नारी में ही संहार भी झूलता है। नारी को सृजन की शक्ति माना जाता है अर्थात स्त्री से ही मानव जाति का अस्तित्व माना गया है। इस सृजन की शक्ति को विकसित-परिष्कृत कर उसे सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक न्याय, विचार, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, अवसर की समानता का सु-अवसर प्रदान करना ही नारी सशक्तिकरण का आशय है। दूसरे शब्दों में महिला सशक्तिकरण का अर्थ महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार लाना है। ताकि उन्हें रोजगार, शिक्षा, आर्थिक तरक्की के बराबरी के मौके मिल सके, जिससे वह सामाजिक स्वतंत्रता और तरक्की प्राप्त कर सके। यह वह तरीका है, जिसके द्वारा महिलाएँ भी पुरुषों की तरह अपनी हर आकंक्षाओं को पूरा कर सके। आसान शब्दों में महिला सशक्तिकरण को इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है कि इससे महिलाओं में उस शक्ति का प्रवाह होता है, जिससे वो अपने जीवन से जुड़े हर फैसले स्वयं ले सकती हैं और परिवार और समाज में अच्छे से रह सकती हैं। समाज में उनके वास्तविक अधिकार को प्राप्त करने के लिए उन्हें सक्षम बनाना ही महिला सशक्तिकरण है। आधुनिक युग में कई भारतीय महिलाएँ कई सारे महत्वपूर्ण राजनैतिक तथा प्रशासनिक पदों पर पदस्थ हैं, फिर भी सामान्य ग्रामीण महिलाएँ आज भी अपने घरों में रहने के लिए बाध्य है और उन्हें सामान्य स्वास्थ्य सुविधा और शिक्षा जैसी सुविधाएँ भी उपलब्ध नही है।हमारा देश काफी तेजी और उत्साह के साथ आगे बढ़ता जा रहा है, लेकिन इसे हम तभी बरकरार रख सकते है, जब हम लैंगिग असमानता को दूर कर पाए और महिलाओं के लिए भी पुरुषों के तरह समान शिक्षा, तरक्की और भुगतान सुनिश्चित कर सके।
श्रीमती डामोर ने कहा कि महिला सशक्तिकरण की जरुरत इसलिए पड़ी क्योंकि प्राचीन समय से भारत में लैंगिक असमानता थी और पुरुषप्रधान समाज था। महिलाओं को उनके अपने परिवार और समाज द्वारा कई कारणों से दबाया गया तथा उनके साथ कई प्रकार की हिंसा हुई और परिवार और समाज में भेदभाव भी किया गया ऐसा केवल भारत में ही नहीं बल्कि दूसरे देशों में भी दिखाई पड़ता है। उन्होने नारी सशक्तिकरण की भावना को जागृत करते हुए सभी बहिनों की भागीदारी से कितना काम किया जासकता है तथा देश,धर्म, ओर संस्कृति की दिशा में बहिनों की भागीदारी सुनिश्चित करने ओर अच्छी मां की निर्मिती के साथ ही संस्कारवान संताने हो तथा देश फिर से विश्वगुरू बन सकें,के बारे में विचार व्यक्त करते हुए इस दिशा मं सभी बहिने काम करेगी इस अपेक्षा के साथ आव्हान किया ।
योगगुरू सुश्री रूकमणी वर्मा ने विश्व मांगल्य सभा के आयाम एवं उद्देश्यों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। तथा विश्व मांगल्य सभा का नारी शक्ति सशक्तिकरण में बहिनोंकी भागीदारी सुनिष्चित करने का आव्हान किया ।
इस अवसर पर डा. श्रीमती उमेश राठौर,एवं श्रीमती विद्या सोढानी ने भी अपनी महत्वपूर्ण उपलब्धियों के बारे में जानकारी दी तथा नारी शक्ति को आव्हान किया कि वे समय की मांग को पहिचाने वे अपनी शक्ति का सकारात्मक तरिके से उपयोग करें ।
इस अवसर पर बहिनों को खेल भी खिलाये गये जिसमे सभी बहिनो ने बढ चढ कर हिस्सा लिया तथा विजेता बहिनों का सम्मान भी किया गया । कार्यक्रम में 150 के करीब महिलाआंें ने भागीदारी की । इस अवसर पर हल्दी कुमकुम लगा कर सभी बहिनों का स्वागत एवं सम्मान किया गया। कार्यक्रम का सलसंचालन सुश्री मोना गिडवानी ने किया तथा अंत में आभार प्रदर्शन संध्या कुलकर्णी ने व्यक्त किया । ईश शक्तिगान व ध्वज वंदन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ ।