एडल्ट बीसीजी वैक्सीनेशन के संबंध में सर्वेक्षण कार्य जारी
स्वेच्छिक आधार पर टी.बी. से बचाव का टीका लगेगा
रतलाम / एडल्ट बीसीजी वैक्सीनेशन के लिए आवश्यक वैक्सीन जिले में प्राप्त हो चुकी है। टीकाकरण के दौरान निर्धारित पात्र एवं अपात्र लोगों को टीकाकरण के लिए चिन्हित किया जाना है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डा. आनन्द चंदेलकर ने बताया कि टीकाकरण के दौरान पिछले 5 वर्ष से टीबी का उपचार करा रहे ऐसे लोग जिनका उपचार पूर्ण हो चुका है, पिछले 5 साल से टीबी मरीज के संपर्क में रहने वाले लोग, जिनका बीएमआई 18 से अधिक हो, स्वयं रिपोर्ट किए गए धुम्रपान करने वाले लोग, स्वयं रिपोर्ट किए गए डायविटीज के मरीज तथा 60 वर्ष से अधिक आयु के लोग सहमति पत्र भरकर टीका लगवा सकेंगे।
इन्हें नहीं लगेगा टीका
18 वर्ष से कम आयु के लोग, टीका लगवाने के प्रति असहमति रखने वाले व्यक्ति, गंभीर रूप से बीमार बिस्तर पर रहने वाले व्यक्ति, गर्भवती माताऐं, स्तनपान कराने वाली माताऐं, जिनका वर्तमान में टीबी का उपचार चल रहा है, एचआईवी, कैंसर इम्युनोसप्रेशन लोग, दवाओं के प्रति एलर्जी रखने वाले लोग, प्रत्यारोपण रिसीवर आदि को किसी भी स्थिति में बीसीजी का वैक्सीनेशन नहीं किया जाएगा ।
जिले में बाजना क्षेत्र में श्री देवेन्द्रसिंह तोमर, डा. नितिश. श्री सैयद अली अहमद आदि के द्वारा की गई। सर्वेक्षण के दौरान पात्र हितग्राहियों की प्रतिदिन रिपोर्टिंग टी.बी. विन पोर्टल में प्रविष्टि आदि के सम्बन्ध में एएनएम तथा मैदानी कार्यकर्ताओं को आवश्यक निर्देश देते हुए सर्वेक्षण कार्य की मानिटरिंग की गई।
सफलता की कहानी –
गंभीर अवस्था की मरीज को बचाया गया
आईसीयू में चिकित्सा सेवाओं से शरबत बाई अब खतरे से बाहर
रतलाम / जिला चिकित्सालय रतलाम के वार्डों से मरीजों के फीड बेक आधार पर कई मरीजों की जान बचाने में चिकित्सकों को सफलता मिल रही है। विकासखण्ड रतलाम के ग्राम काण्डरवासा की 65 वर्षीय महिला श्रीमती शरबतबाई पति रामचन्द्र को शुक्रवार को जिला चिकित्सालय रतलाम लाया गया, उन्हें सीने में दर्द की शिकायत हो रही थी। ओपीडी में उपस्थित चिकित्सकों द्वारा मरीज की इसीजी तथा अन्य जांचें कराने पर खतरे की स्थिति में होने के कारण आईसीयू वार्ड में भर्ती कराया गया।
उपचार के दौरान मरीज की स्थिति अत्यन्त गंभीर हो गई थी जिसके कारण उन्होंने खाना पीना बंद कर दिया था। परिवारजन बताते हैं कि उनकी स्थिति को देखकर गंभीर चिन्ता हो रही थी। ऐसे में जिला चिकित्सालय के फिजिशियन डा. कैलाश चारेल, डा. जीवन चौहान, डा. अंकित जैन तथा आईसीयू के सहायक कर्मचारियों की टीम द्वारा निरन्तर आब्जर्वेशन करके इन्क्यूवेशन किया गया तथा हर प्रकार का संभव उपचार प्रदान किया गया। शरबतबाई के पुत्र श्री सुरेश चन्द्रावत बताते हैं कि शासकीय चिकित्सालय में मिलने वाली सेवाओं के कारण उनकी माताजी के स्वास्थ्य निरन्तर सुधार हुआ है।
वर्तमान में श्रीमती शरबतबाई ने खाना-पीना भी आरम्भ कर दिया है, चिकित्सकों के अनुसार दो-तीन दिन में शरबतबाई को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया जाएगा। शरबतबाई के परिजन मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव तथा सिविल सर्जन डा. एम.एस. सागर तथा जिला चिकित्सालय टीम का धन्यवाद अदा करते हैं। पुत्र श्री सुरेश चन्द्रावत का मोबाइल न. 88898 30454 है।
ग्रामीण क्षेत्र की आशा कार्यकर्ताओं को छोटे बच्चों की गृह आधारित देखभाल का प्रशिक्षण जारी
रतलाम / शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के उद्देश्य से गंगासागर गार्डन में आशा कार्यकर्ताओं को छोटे बच्चों की गृह आधारित देखभाल के पांच दिवसीय प्रशिक्षण का संचालन किया जा रहा है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डा. आनन्द चंदेलकर के मार्गदर्शन में जिला कम्युनिटी मोबीलाईजर श्री कमलेश मुवेल, बीईई श्रीमती इशरतजहां सैयद, प्रभारी बीईई श्री लोकेश जोशी, श्रीमती सुनीता देवड़ा द्वारा प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है।
प्रशिक्षण के दौरान बताया गया कि ग्रामीण क्षेत्र की आशा कार्यकर्ताओं को शिशु जन्म के पहले दिन, तीसरे दिन, सातवें दिन, चौदहवें दिन, इक्कीस दिन, अट्ठाईसवें दिन शिशुओं की गृह आधारित देखभाल की जाती है। इसके साथ-साथ अब शिशु के तीन माह का होने पर, छह माह का होने पर, नौ माह का होने पर, बारह माह का होने पर एवं पन्द्रह माह का होने पर भी घर पर जाकर आशा कार्यकर्ताओं द्वारा गृह आधारित देखभाल की जाएगी।
गृह आधारित देखभाल के दौरान शिशुओं के पोषण, स्वास्थ्य देखभाल, स्तनपान, एनिमिया, परिवार कल्याण सेवाओं की प्रदायगी के साथ-साथ बच्चों की वृद्धि एवं निगरानी चार्ट, वजन के अनुसार ऊंचाई बढना आदि की भी नियमित मानिटरिंग करते हुए आवश्यक सेवाएं प्रदान की जाना सुनिश्चित की जाएगी। उल्लेखनीय है कि पूर्व में नवजात शिशुओं की 28 दिन तक देखभाल करने पर आशा कार्यकर्ताओं को प्रति शिशु एक हजार रुपए प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती थी, किन्तु अब शिशु के तीन माह का होने से 15 माह का होने तक आशा कार्यकर्ता को प्रति दौरा 50 रुपए के मान से कुल पांच दौरे करने पर 250 रुपए प्रोत्साहन राशि अतिरिक्त प्रदान की जाएगी।
गौ-माता के सम्मान के लिए महत्वपूर्ण फैसले शीघ्र : मुख्यमंत्री डॉ. यादव
रतलाम / मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने आज मंत्रालय में मंत्रि-परिषद की बैठक के पहले मंत्रीगण से चर्चा में कहा कि प्रदेश में गौ-माता के सम्मान के लिए शीघ्र ही कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाने हैं। डॉ. यादव ने कहा कि अक्सर वर्षा काल में प्रमुख सड़कों और राजमार्गों पर गौ-माता के दुर्घटनाग्रस्त होने की खबरें सामने आती हैं। कई बार गौ-माता इन दुर्घटनाओं का शिकार होकर मृत्यु को प्राप्त हो जाती हैं। इसलिए ऐसी व्यवस्था आवश्यक है कि गौ-माता सड़कों पर न दिखें और उन्हें गौशालाओं अथवा सुरक्षित स्थानों में स्थान मिले। इसके अलावा गौशालाओं के लिए राशि और मानदेय वृद्धि का निर्णय लिया जाएगा। श्रेष्ठ प्रबंधन से गौ-माता के सम्मान में आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जाएंगी। यदि गौ माता मृत्यु का शिकार होती है तो उनके सम्मानजनक दाह संस्कार की व्यवस्था होना चाहिए। इस संबंध में ग्राम पंचायत, नगर परिषद और नगर निगम का दायित्व निर्धारित किया जाएगा। गौ माता के अवशेष कहीं अपमानित न हों इसके लिए समाधि अथवा उनके दाह संस्कार के लिए आवश्यक बजट आवंटन किया जाएगा।
मंत्रि-परिषद के सदस्यों ने मुख्यमंत्री डॉ. यादव की घोषणा का मेजें थपथपाकर स्वागत किया। मंत्रि- परिषद के सदस्यों ने कहा कि सामाजिक संस्थाओं का सहयोग भी इस कार्य में लिया जाए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने पशु पालन एवं डेयरी विभाग को इस संबंध में आवश्यक तैयारी के निर्देश दिए ताकि वर्षाकाल के पूर्व व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जा सकें। पशु पालन मंत्री श्री लखन पटेल ने कहा कि वे शीघ्र ही गौशाला संचालकों को बैठक में आमंत्रित कर सुझाव प्राप्त करेंगे।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने पशु पालन विभाग द्वारा इसी माह यह बैठक आयोजित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि नगरों के महापौर और निकायों से जुड़े पदाधिकारी एवं अन्य जनप्रतिनिधि भी इस बैठक में शामिल किए जाएं। बैठक में गौ-शालाओं के बेहतर संचालन, गौ-पालकों द्वारा गौ-माता के स्वतंत्र विचरण पर अंकुश, पुलिस द्वारा सहयोग प्राप्त करने और केंद्र सरकार से इस संबंध में अधो संरचनात्मक कार्यों के लिए राशि प्राप्त करने पर भी चर्चा हुई।