Connect with us

RATLAM

एक जमाने में सबसे तेज ग्रोथ करने वाला स्वदेशी ब्रांड कहां चूक कर गया? ये जानना जरूरी है कि आखिर पतंजलि ने किस तरह से खुद की मार्केटिंग की थी, कैसे वो घर-घर तक पहुंचा। ये वो फैक्टर हैं जो पतंजलि की गिरावट की असल कहानी बताने का काम भी करते हैं।

Published

on

एक जमाने में सबसे तेज ग्रोथ करने वाला स्वदेशी ब्रांड कहां चूक कर गया? ये जानना जरूरी है कि आखिर पतंजलि ने किस तरह से खुद की मार्केटिंग की थी, कैसे वो घर-घर तक पहुंचा। ये वो फैक्टर हैं जो पतंजलि की गिरावट की असल कहानी बताने का काम भी करते हैं।

नई दिल्ली | पतंजलि में आई गिरावट का विश्लेषण
पतंजलि, एक ऐसी स्वदेशी कंपनी जिसने कुछ सालों के लॉन्च के बाद ही FMCG सेक्टर में तहलका मचा दिया। आलम ये था कि 2016 से 2017 के बीच में 10 हजार करोड़ तक का मुनाफा किया गया, ऐसी क्रांति दर्ज की गई कि दूसरी बड़ी कंपनियां डर गईं, सहम गईं, उन्हें अहसास हो गया कि मार्केट में उनकी मोनोपोली खत्म होने जा रही है। लेकिन ये पतंजलि के अच्छे दिन थे, तब हर कोई उसकी चर्चा कर रहा था, अब स्थिति बदल गई है। चर्चा तो आज भी हो रही है, लेकिन सिर्फ गलत कारणों की वजह से।

क्यों सवालों में पतंजलि?
पतंजलि को लेकर देश की सर्वोच्च अदालत ने कुछ ऐसा फैसला सुनाया है जो बाबा रामदेव से लेकर आचार्य बालकृष्ण की विश्वनीयता पर ही सवाल उठा देगा। असल में पतंजलि अपनी कुछ आयुर्वेद की दवाइयों को लेकर दावा करती है कि उससे कई बीमारियां ठीक हो सकती हैं। अब दावे तक तो अलग बात है, अपने विज्ञापनों के जरिए पतंजलि ने एक तरह से उन बीमारियों को पूरी तरह ठीक करने की बात कह दी। इसके साथ-साथ एलोपेथी की दवाइयों को लेकर भी भ्रामक जानकारी साझा की। अब यही मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और अदालत ने ऐसे सभी विज्ञापनों पर बैन लगा दिया।
अब ये विवाद अपनी जगह है, पतंजलि ने अपनी तरफ से आश्वासन भी दे दिया है, लेकिन सवाल ये आता है कि आखिर पतंजलि का ग्राफ ऊपर से नीचे कैसे आता चला गया। जिस ब्रांड पर लोगों ने आंख बंद कर भरोसा किया, वो आज इस तरह से अदालत के निशाने पर क्यों खड़ा है। अब इस डाउनफॉल का विश्लेषण करने के लिए पतंजलि की शुरुआत, उसकी रणनीति, उसका टॉप तक पहुंचना समझना पड़ेगा। ये जानना जरूरी है कि आखिर पतंजलि ने किस तरह से खुद की मार्केटिंग की थी, कैसे वो घर-घर तक पहुंचा। ये वो फैक्टर हैं जो पतंजलि की गिरावट की असल कहानी बताने का काम भी करते हैं।
पतंजलि की शुरुआत और बाबा रामदेव फैक्टर
पतंजलि की शुरुआत साल 2006 में हुई थी, उसका पूरा नाम पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड रखा गया था। अब कहा जा सकता है कि जिस समय पतंजलि ने खुद को लॉन्च किया, हिंदुस्तान लीवर, डाबर, आईटीसी जैसी कंपनियां पहले से ही मैदान में जमी हुई थीं। ग्राहकों के माइंडसेट से समझा जाए तो आर्युवेद का जब भी जिक्र होता, डाबर जैसी कंपनियां सबसे पहले दिमाग में आतीं। लेकिन उस समय आर्युवेद और योग की पहचान एक शख्स और था।

योग गुरू बाबा रामदेव कोई हमेशा से ही इतने लोकप्रिय नहीं थे। योग तो वे पहले से कर रहे थे, लेकिन वो घर-घर तक नहीं पहुंचा था। लेकिन तब साल 2000 के बाद आस्था चैनल ने बाबा रामदेव को सबसे बड़ा मौका दिया। उनके योग के कार्यक्रम का प्रसारण होने लगा और देखते ही देखते योग की पहचान बाबा रामदेव बन गए। हर घर में योग हुआ तो रामदेव का जिक्र भी साथ में किया गया। यानी कि पतंजलि की असल लॉन्चिंग से पहले ही बहुत बड़ी मार्केटिंग हो चुकी थी। लोगों की जो आस्था बाबा रामदेव को लेकर बनी थी, उसका इस्तेमाल ही आगे चलकर एक बड़ी कंपनी बनाने के लिए होने वाला था।

पतंजलि के अच्छे दिन
साल 2006 में जब खुद को लॉन्च करने के कुछ साल बाद ही पूरे देश में पतंजलि का डंका बजने लगा था। पहला बड़ा गेमचेंजर तब देखने को मिला जब कंपनी ने 2015 में फ्यूचर ग्रुप के साथ टाइ अप किया। वो गठजोड़ इतना फायदेमंद रहा कि पतंजलि के सामान 250 सिटी तक अपनी पहुंच बना सके, इसके ऊपर बिग बाजार में उसका हर ब्रॉन्ड बिकने लगा। इसके बाद से तो पतंजलि ने अगले कुछ साल रुकने का नाम ही नहीं लिया। वो एक के बाद एक नया प्रोडक्ट लॉन्च करता, नई कैटेगरी बनाता रहा और उसे मुनाफा भी जबरदस्त हुआ। ये बात 2014 से लेकर 2018 तक की है, यानी कि चार जब पतंजलि सही मायनों में अपने शिखर पर चल रहा था।
आंकड़े बताते हैं कि साल 2011 से 2017 तक रिवेन्यू में 10 हजार करोड़ तक का जंप देखने को मिला। ये सबकुछ कंपनी के कुछ स्टार प्रोडक्ट्स की वजह से हुआ। उदाहरण के लिए टूथपेस्ट, साबुन और आटा जरूरतों की कुछ ऐसी चीजें हैं, जिनकी जरूरत हमेशा पड़ने वाली है और उन जरूरतों को दूर करने का काम पतंजलि ने किया। इसी वजह से 2016-17 में रिवेन्यू 10 हजार करोड़ तक रहा। लेकिन फिर अगले ही साल वो गिरकर 8 हजार 135 करोड़ पर आ गया। अब उल गिरावट को समझने के विए पहले पतंजलि की सक्सेस स्टोरी समझना जरूरी है।

उन चार सालों में पतंजलि की जबरदस्त ग्रोथ के कुछ बड़े कारण थे-

पतंजलि एक समय तक अपने विरोधियों से इसलिए आगे दिखाई दे रहा था क्योंकि हर जगह उसकी टाइमिंग गजब की थी। वो नए मार्केट में भी घुस रहा था तो ये देख कि उसे कितना फायदा हो सकता है। उदाहरण के लिए कुछ साल पहले नेसले की मैगी पर बैन लगा था, उसमें लैड पाया गया। अब पतंजलि ने उस कार्रवाई को लपक लिया और अपने खुद के नूडल मार्केट में उतार दिए। नेसले की तुलना में सस्ते और हेल्थी होने का दावा तो लगातार किया ही गया।

इसी टाइमिंग का एक और पहलू है पतंजलि की इंटेलिजेंट कॉस्टिंग। कंपनी चाहती तो वो भी महंगे प्रोडक्ट बेचकर खूब मुनाफा कमाती। लेकिन उसने अपने विरोधियों को खत्म करने के लिए अपना रेट कम कर दिया। उसके हर प्रोडक्ट का प्राइज 10 से 30 फीसदी तक कम रहा,इस वजह से टाइर 2 और टाइर 3 जैसे क्षेत्रों में उसके सामान की डिमांड बनने लगी।

नेरेटिव बिल्डिंग– पतंजलि के साथ एक मजबूत पक्ष ये भी रहा है कि उसने खुद को इस तरह से मार्केट में सेट किया है। एक तो वो भारत की पहली स्वदेशी कंपनी होने का दावा करती है। दूसरा ये कि उसका सारा मुनाफा चैरिटी में जाता है, देश में ही रहता है। तीसरा ये कि वो देश की संस्कृति के बेहद करीब है, उन जड़ीबूटियों से दवाई या दूसरे प्रोडक्टर बनाए जा रहे हैं जिनका जिक्र शास्त्रों में है, साधु-संतों की वाणी में है। अब कितनी सच्चाई, इस पर डिबेट हो सकती है, लेकिन नेरेटिव बिल्डिंग इन्हीं दावों ने पतंजलि की जबरदस्त की है।

हर उम्र के लिए प्रोडक्ट– अगर गौर से देखा जाए तो पतंजलि कोई आंख बंद हर प्रोडक्ट को लॉन्च नहीं किया है, एफएमसी सेक्टर में कॉम्टीशन को समझते हुए उसने हर उम्र के लिए प्रोडक्ट लॉन्च किया है। साबुन, तूथपेस्ट से लेकर बिस्किट नमकीन और नूडल तक, हर एज को टारगेट करने की कवायद दिखी है। इससे एक ही घर में उसके ज्यादा से ज्यादा प्रोडक्ट इस्तेमाल में आए हैं और ब्रॉन्ड की तगड़ी रीकॉल वैल्यू बनी है।

हेल्दी प्रोडक्ट से ज्यादा हेल्दी लाइफस्टाइल- किसी भी ब्रॉन्ड की सक्सेस के लिए एक बड़ा और भरोसेमंद चेहरा साथ जुड़े रहना चाहिए। साइकोलॉजी की भाषा में इसे क्रेडिबल होना कहते हैं। अब पतंजलि के साथ तो क्योंकि योग गुरू बाबा रामदेव का नाम जड़ा रहा है, ऐसे में काफी आसानी से लोगों को हेल्थी लाइफस्टाइल बेचा जा रहा है। समझने वाली बात ये है कि लोग पतंजलि के प्रडोक्ट सिर्फ इसलिए नहीं खरीद रहे कि वो आयुर्वेद के हैं, वो इसलिए खरीद रहे हैं क्योंकि उन प्रोडक्स के जरिए हेल्दी लाइफस्टाइल को प्रमोट किया जा रहा है।

एक ही ब्रॉन्ड के सारे प्रोडक्ट- पतंजलि ने अपनी कंपनी को एक्सपैंड करने के लिए ब्रॉन्डेड हाउज मॉडल का इस्तेमाल किया। उसने दूसरे विरोधियों की तरह एक ही कंपनी के कई सारे ब्रॉन्ड लॉन्च नहीं किए। बल्कि उसने सिर्फ एक ही ब्रॉन्ड रखा- पतंजलि। उसी ब्रॉन्ड के जरिए सभी प्रोडक्ट्स को साथ में ही प्रमोट करने का मौका मिल गया। अलग से ज्यादा मार्केटिंग करने की जरूरत नहीं पड़ी।

वैल्यू इनोवेशन वाला दांव- पतंजलि ने एक नए मॉडल के जरिए अपने कॉम्टीशन को खत्म करने का काम किया था। उसने सीधे-सीधे कभी अपने विरोधियों से पंगा लिया ही नहीं, उसने तो अपने ग्राहकों को वैल्यू देने का काम किया। सीधा फंडा था, जितने पैसे का सामान, उतनी वैल्यू भी मिलनी चाहिए। इसी तरह अपने प्रोडक्ट्स की यूएसपी बनाकर ऐसे मार्केट किया गया कि दूसरा कोई ऐसा सामान नहीं बेच सकता। ये इनोवेशन हो गई और इसी के जरिए कॉम्टीशन को भी किल किया गया।

पतंजलि के डाउनफॉल की कहानी
अब पतंजलि के लिए सबकुछ बेहतरीन चल रहा था, लेकिन फिर कुछ विवादों ने, गुणवक्ता ने कंपनी के खिलाफ माहौल बनाना शुरू दिया। ये समझने वाली बात है कि पतंजलि क्योंकि ब्रॉन्डेड हाउज मॉडल का ही इस्तेमाल करती है, ऐसे में एक प्रोडक्ट में कमी भी पूरी कंपनी को बदनाम करने लगी। उदाहरण के लिए अगर पतंजलि के साबुन में कोई कमी देखी गई तो सवाल पूरे ब्रॉन्ड पर ही उठ गए।
पतंजलि के साथ एक बड़ी समस्या ये भी रही कि वो अपनी ही ग्रोथ के मुताबिक डिमांड-सप्लाई मैच नहीं कर पाया। उसने एक तगड़ी जंप तो ले ली, लेकिन उस जंप के साथ जब और ज्यदा स्केल करने की जिम्मेदारी आई, कंपनी वहीं फंस गई। हर बड़ी कंपनी को समय के साथ ऐसी टेक्लोनॉजी, ऐसा इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना होता है जिससे उसके प्रोडक्ट्स की बढ़ती डिमांड को समय रहते पूरा किया जा सके। लेकिन ये काम पतंजलि नहीं कर पाया, उसकी बैक हैंड टेक्नोलॉजी, मैनपावर इतनी नहीं थी कि वो अपनी ही ग्रोथ को मैच कर पाए।

जबरदस्ती के एक्सपेरिमेंट पड़े भारी
एक और बड़ी चूक पतंजलि से ये हुई कि उसने समय से पहले, कम रिसर्च के साथ उन इंडस्ट्री में भी पैर जमाने की कोशिश की जहां उसकी कोई एक्सपर्टीस नहीं थी। जो कंपनी पहले आयुर्वेद और हेल्थी लाइफस्टाइल को प्रमोट कर रही थी, धीरे-धीरे उसने खुद को कपड़ों से लेकर टेलीकम्युनिकेशन इंडस्ट्री तक में घुसा लिया। ये एक बड़ा ब्लंडर था और इस वजह से जहां उसकी पहले से ही पकड़ थी, वहां भी कमजोर होता चला गया। उदाहरण के लिए जिस समय पतंजलि के दंतकाति जैसे तूथपेस्ट से टक्कर लेने के लिए कोलगेट और डाबर नए प्रोडक्ट लॉन्च कर रहा था, पतंजलि ने परिधान के नाम से अपना कपड़ों का ब्रॉन्ड शुरू कर दिया। इस फेलियर से वो उबर पाता, उससे पहले ही उसने वाट्स ऐप को टक्कर देने के लिए किंबो लॉन्च कर दिया जिससे कुछ महीनों बाद ही बंद कर दिया गया। ये सारे जबरदस्ती वाले एक्सपेरिमेंट पतंजलि को काफी भारी पड़े और जिस ट्रस्ट फैक्टर पर वो खेल रही थी, उसी के साथ बड़ा वाला खेला हो गया।

टूटती सप्लाई चेन, लेट डिलीवरी
कंपनी की सप्लाई चेन भी इतनी कमजोर हो गई कि वो समय रहते प्रोड्क्टस को रिटेलर तक नहीं पहुंचा पा रही थी। पतंजलि के जो भी स्टार प्रोडक्ट्स थे, जिनकी डिमांड सबसे ज्यादा थी, उनकी उतनी सप्लाई ही नहीं हो रही थी। इसके ऊपर उनकी डिलीवरी इतनी लेट दुकानों तक होती थी कि उसकी एक्सपाइरी डेट करीब आ जाती। इस वजह से हर मोर्चे पर पतंजलि बिखरने लगा था।
अब कंपनी के तौर पर तो पतंजलि नुकसान उठा ही रही थी, उसने जिन विवादों में खुद को फंसा दिया, उससे भी उसकी ग्रोथ काफी इमपैक्ट हुई। किसी जमाने में बाबा रामदेव और पतंजलि का काम सिर्फ लोगों को योगा सिखाना और आयुर्वेद की ओर खींचना था। उसका मकसद दूसरी मेडिकल प्रैक्टिस को कोसना नहीं होता था। लेकिन समय के साथ और खुद को और ज्यादा बड़ा ब्रॉन्ड बनाने के चक्कर में ऐसी मार्केटिंग की गई जिसने कंपनी का नुकसान ही किया।

क्या करना होगा पतंजलि को?
इसका सबसे बड़ा उदाहरण तो सुप्रीम कोर्ट का हाल में आया आदेश ही है जहां दो टूक कहा गया है कि अगर पतंजलि ने फर्जी क्लेम देने बंद नहीं किए तो उस पर जुर्माना ठोक दिया जाएगा। एक कंपनी के लिए इससे बड़ा झटका और क्या हो सकता है जब सर्वोच्च अदालत उसके ब्रॉन्ड की क्रेडेबिलिटी पर ही सवाल उठा दे। अब बाबा रामदेव और बालकृष्ण ने पतंजलि को नंबर 1 FMCG ब्रॉन्ड बनाने का सपना नहीं छोड़ा है, लेकिन अगर उसे साकार करना है तो पुरानी गलतियों से सीखना होगा, फिजूल के विवादों से दूर रहना होगा और अपने स्टार प्रोडक्ट्स को ही फिरसे ग्राहकों के बीच रीमार्केट करना पड़ेगा।

देश दुनिया की ताजा खबरे सबसे पहले पाने के लिए लाइक करे प्रादेशिक जन समाचार फेसबुक पेज

प्रादेशिक जन समाचार स्वतंत्र पत्रकारिता के लिए मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा मंच है। यहां विभिन्न समाचार पत्रों/टीवी चैनलों में कार्यरत पत्रकार अपनी महत्वपूर्ण खबरें प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं ।

Advertisement

Subscribe Youtube

Advertisement
RATLAM11 hours ago

भाजपा जिला अध्यक्ष ने मंडलों में प्रचार हेतु रवाना किए रथ  **** भाजपा पार्षद दल ने कलेक्टर से की नेता प्रतिपक्ष के विरूद्ध कडी कार्यवाही की मांग**** सेक्टर संयोजक एवं बडावदा मंडल प्रभारी की नियुक्ति

RATLAM11 hours ago

प्रेक्षकगणों ने एमसीएमसी कक्ष का निरीक्षण किया**आयोग को प्रतिदिन दी जाने वाली रिपोर्ट में ढिलाई नहीं बरती जाए प्रेक्षकगणों द्वारा लोकसभा निर्वाचन के संदर्भ में बैठकें ली गई**माइक्रो आब्जर्वर का प्रशिक्षण संपन्न हुआ**प्रेक्षकों ने सिविजिल तथा वेबकास्टिंग कंट्रोल रूम का निरीक्षण किया***आबकारी विभाग द्वारा अवैध शराब जब्त***जिला जिला चिकित्सालय रतलाम में आगजनी से बचाव के लिए किया गया मॉकड्रिल***

अलीराजपुर11 hours ago

अलीराजपुर – कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी एवं अरुण यादव कल जिले के दौरे पर ।

झाबुआ15 hours ago

बंदर के काटने की घटनाओ से आम जन भयभीत.                            नगर परिषद व वन विभाग एकशन मोड मे.                                

झाबुआ16 hours ago

अंकुरम इंटरनेशनल स्कूल झाबुआ के कक्षा आठवीं और कक्षा पांचवी के छात्रों ने परीक्षा परिणाम में किया शानदार प्रदर्शन

सेंसेक्स

Trending

कॉपीराइट © 2021. प्रादेशिक जन समाचार

error: Content is protected !!