शिव प्रिया महिला मंडल ने अनास के पावन तट पारदेश्वर महादेव मंदिर में सम्पन किया शिव पार्वती की विवाह रस्म ।
धार्मिक मान्यता है कि पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने से कष्टों का नाश होता है और श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी होती है- सुश्री रूकमणी वर्मा ।
झाबुआ । नगर मे महाशिवरात्री के पावन अवसर पर अनासनदी के पावन तट पर बिराजित भगवान श्री पारदेश्वरजी महादेव के मंदिर पर चौथे सोपान के रूप में शिवप्रिय महिला मंडल की सदस्याओं एवं नगर की धर्मप्राण महिलाओं द्वारा शिव पार्वती जी के विवाह रस्मको धुमधाम से मनाया गया । शिवप्रिया महिला मंडल की सुश्री रूकमणी वर्मा एव अनिला बैस ने जानकारी देते हुए बताया कि शिवप्रिया महिला मंडल द्वारा शिव विवाह का भव्य आयोजन चौथे सोपान के रूप में किया गया। मंडल का उद्देश्य नगर नगर गांव गांव में धर्म का प्रचार करना है। चैथे सोपान में शिव और गोरा के प्रतिमा पार्थिव स्वरूप में बनाई गई जिसका निर्माण चंदनबाला शर्मा मेघनगर द्वारा किया गया । पार्थिव शिवलिंग का महत्व पुराण में बहुत अधिक बताया गया है।
उन्होने बताया कि महाशिवरात्री के पावन पर्व भगवान शिव और माता पार्वती जी का प्रिय दिवस माना जाता है और इस दौरान शिवलिंग की विशेष तौर पर पूजा की जाती है। शिव पुराण में भी शिवरात्री पर भगवान शिव व शिवलिंग की पूजा विधि के बारे में विस्तार से बताया गया है। साथ ही पार्थिव शिवलिंग की पूजा के महत्व के बारे में भी बताया गया है। धार्मिक मान्यता है कि पार्थिव शिवलिंग की पूजा करने से कष्टों का नाश होता है और श्रद्धालुओं की मनोकामना पूरी होती है। शिवरात्री पर शिवलिंग की पूजा का संकल्प लेकर पारदेश्वर महादेव मंदिर का चयन किया गया और पवित्र अनास नदी की मिट्टी लेकर आए। मिट्टी के शुद्धिकरण के लिए फूल और चंदन का प्रयोग किया गया। मिट्टी के शुद्धिकरण के दौरान शिवमंत्रों का जाप करते हुए मिट्टी में गाय का दूध, गाय का गोबर, गुड़, मक्खन और भस्म मिलाकर शिवलिंग बनाए गये। तथा मातृशक्ति सहित शिव भक्तों ने पार्थिव शिवलिंग बनाये तथा उनका विधि विधान से पंचद्रव्यों से अभिषेक किया जाकर उन्हे स्थापित किया गया । पार्थिव शिवलिंग की पूजा से पहले श्री गणेश, भगवान विष्णु, नवग्रह और देवी पार्वती की आराधना की गई। शिवलिंग पर बेलपत्र, फूल, आंकड़ा आदि समर्पित किया गया तथा कच्चे गाय के दूध से शिवलिंग का अभिषेक किया गया एवं पंचमेवा, पंचामृत, मिठाई, फल, धतूरा, भांग आदि का भोग लगाया गया । शिव पुराण के मुताबिक, पार्थिव शिवलिंग के पूजन से जीवन में आ रही कई समस्याओं का समाधान होता है। इसके अलावा मानसिक और शारीरिक कष्टों से भी मुक्ति मिलती है। पार्थिव शिवलिंग को लेकर पौराणिक कथा है कि कलयुग में सबसे पहले कूष्माण्ड ऋषि के पुत्र मंडप ने पार्थिव शिवलिंग की पूजा शुरू की थी। पार्थिव शिवलिंग की पूजा के दौरान शिव मंत्रों का जाप करने से समस्त कष्टों का नाश हो जाता है।
शिवप्रिय महिला मंडल की सक्रिय सदस्या अधिवक्ता मुकुल निवेदिता सक्सेना द्वारा शिव पार्वती जी के विवाह का प्रतिनिधित्व किया गया । गांव में विवाह का पारदेश्वर महादेव के अनास नदी के पास किया गया । इसके पूर्व सनातन धर्म के अनुसार हल्दी मेहंदी मंडप माता पूजन बारात का भव्य आयोजन किया गया। शिवरात्री के अवसर पर मंदिर में पाणिग्रहण का आयोजन प्रफुल्ल वातावरण में किया गया इस आयोजन में शिवप्रिया महिला मंडल की कुमारी रुक्मणी वर्मा द्वारा बताया गया कि इस अवसर पर मंडल की बहने श्रीमती सूरज डामोर माया पवार, विनिता टेलर, आदि का सराहनीय सहयोग प्राप्त हुआ । कार्यक्रम के दौरान भावना टेलर ,सुशीला गहलोत, किरण शर्मा ,सीमा गहलोत, कविता कानूनगो, कविता चैहान, विद्या विश्वकर्मा, लता चैहान, राखी सिसोदिया, जयश्री पवार, कुंता सोनी, सुनीता माली, अनीता चैहान, आशा सिस्टर, ,राधा पटेल, द्वारा मिलकर भव्य शिव विवाह का आयोजन माता पूजन करके प्रारंभ किया । इसके पूर्व कालिका माता मंदिर पर आरती गरबा रास किया गया । मंदिर पर बंड बाजों एवं ढोल नागाडो की संगीतमय सुरभि में भगवान शिव गौरा का विवाह का आयोजन किया गया । वैवाहिक रस्म पूरी होने के बाद भगवान शिव पार्वतीजी के पार्थिक विग्रह एवं भगवान पारदेश्वरजी की महामंगल आरती की गई तत्पश्चात महाप्रसादी का वितरण किया गया ।
शिव प्रिया महिला मंडल द्वारा आयोजित शिव पार्वती विवाह के अवसर पर बडी संख्या में नगर तथाा दूर दराज से आये श्रद्धालुजनों ने भगवान के अभिषेक,पूजन एवं दर्शन का लाभ उठाया ।