झाबुआ – जिले में निजी बस संचालकों की मनमानी का दौरा लगातार जारी है । इन निजी बस संचालकों द्वारा अपनी बसों में क्षमता से अधिक सवारीया को बैठाया जा रहा है और नियमों का उल्लंघन किया जा रहा हैं । साथ ही साथ.इन निजी बस संचालको द्धारा बसो मे किराया सूची के अभाव में मनमाना किराया भी वसूला जा रहा है जिसको लेकर अब जांच और कारवाई की आवश्यकता है ।
जिला मुख्यालय के अलावा पेटलावद, मेघनगर, राणापुर ,थांदला,पारा , राणापूर आदि अनेक बस स्टैंड से बसो का संचालन होता है । वही इन बसों में इस जिले से लेकर अन्य जिलों तक के यात्री सवार होते हैं इन निजी बस संचालकों द्वारा. 52 सीटर या 60 सीटर बसों में कई बार 80 से 90 सवारी बैठाकर लगातार किया जा रहा है नियमों का उल्लंघन और साथ ही साथ लोगों की जान से भी खिलवाड़ किया जा रहा है इसके अलावा इन निजी बस संचालकों द्वारा अपने बसों में किसी भी गंतव्य को लेकर किराया सूची भी चस्पा नहीं की गई है जिससे इन चालक परिचालक द्वारा एक गंतव्य से दूसरे गंतव्य को लेकर मनमाना किराया भी वसूला जा रहा है । जिसको लेकर जांच की आवश्यकता है विगत दिनों ही निजी बस से इंदौर से झाबुआ आ रही कुछ महिलाओं ने बताया कि शाम को 5:00 बजे इंदौर से झाबुआ के लिए बस में बैठे , नाम ना बताने की शर्त पर एक महिला ने बताया कि उन्होंने इंदौर बस स्टैंड से एसी कोच नॉनस्टॉप बस का टिकट 240 रुपए देकर 4 टिकीट लिए । लेकिन वहां उपस्थित कंडक्टर द्वारा उन्होंने नॉन एसी बस में बैठाया , जिसका जगह-जगह स्टॉपेज था और संभवत: उस बस का किराया ₹ 200 था । जानकारी के अभाव में उस महिला ने 240 रुपए की दर से चार सवारी की टिकट ली । बस में किराया सूची के अभाव में , छोटे-छोटे गंतव्य को लेकर इस तरह की घटना होती रहती है । वही कुछ और महिलाओं ने बताया कि बस इंदौर से ही सीटीग फुल थी तथा वे लोग बीच रास्ते में से झाबुआ के लिए बस में चढ़े । सीट ना होने के कारण महिलाओं को खड़ा होना पड़ा । लेकिन यहां पर भी कंडक्टर और क्लीनर की मनमानी का आलम था कि उन्होंने इस छोटी सी जगह में यात्रियों को ठूस ठूस कर और अमानवीय तरीके से खड़ा रखने की बात कही तथा उन्होंने कुछ महिलाओं को और पुरुषों को आमने-सामने खड़ा किया जिससे कई बार ब्रेक लगने पर बैलेंस भी बिगड़ता है । महिलाओं ने इस तरह से खड़े रहने का विरोध किया और कुछ और यात्रियों ने भी , तो कंडक्टर क्लीनर ने बड़े ही कड़क अंदाज में उन यात्रियों से बस से उतर जाने की बात कही । यदि इस तरह की बसो की लगातार चेकिंग हो तो ओवरलोडीग रूक सकती हैं । तथा चालक इन बसों की छतो को ट्रांसपोर्ट के रूप में इस्तेमाल करते हैं.। जहां किसी भी इन सामान को ले जाने का बिल नहीं लिया जाता है सिर्फ आर्थिक लालच के कारण , उन बक्सों में या पार्सल में क्या हैं यह जानने का प्रयास ही नहीं किया जाता हैं की समान क्या है । कई बार बिना बिल का सामान इन बसों के माध्यम से पहुंच रहा है जिससे शासन को जीएसटी का नुकसान हो रहा है । साथ ही साथ कई बार पार्सल की जांच न होने पर नशीले पदार्थों के परिवहन होने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है । चालक परिचालक को भी यह समझाइए देने की आवश्यकता है कि आमजनों से सभ्यता से पेश आए । शासन प्रशासन को चाहिए कि समय-समय पर बसो मे ओवरलोडीग को लेकर चेकिंग अभियान चलाया जाए तथा बसों में अनिवार्य रूप से किराया सूची को भी चस्पा करने हेतु निर्देशित किया जाए ।
संबंधित आरटीओ विभाग को भी बसों में ओवरलोडिंग को लेकर समय-समय पर जांच की जाना चाहिए और कारवाई की जाना चाहिए ।
मनोज अरोड़ा,अध्यक्ष , वनवासी कल्याण परिषद,झाबुआ ।
देश दुनिया की ताजा खबरे सबसे पहले पाने के लिए लाइक करे प्रादेशिक जन समाचार फेसबुक पेज
प्रादेशिक जन समाचार स्वतंत्र पत्रकारिता के लिए मध्य प्रदेश का सबसे बड़ा मंच है यहाँ विभिन्न टीवी चैनेलो और समाचार पत्रों में कार्यरत पत्रकार अपनी प्रमुख खबरे प्रकाशन हेतु प्रेषित करते है।