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समर्थ गुरु ही सच्चा तारनहार होता है,- मुनिराज श्री कलापूर्ण विजयजी **आचार्य श्री स्थलिभद्र सूरी के 89जन्म दिवस पर गुनानुवाद सभा का हुआ आयोजन

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समर्थ गुरु ही सच्चा तारनहार होता है,- मुनिराज श्री कलापूर्ण विजयजी **

आचार्य श्री स्थलिभद्र सूरी के 89जन्म दिवस पर गुनानुवाद सभा का हुआ आयोजन

झाबुआ । ’’समर्थ गुरु ही अपने शिष्य का सच्चा तारनहार होता है, जिसे अपने गुरु की कृपा प्राप्त हो जाती है उस शिष्य के जीवन मै कभी बड़े कष्ट नही आते, जो भी आते है वे परम गुरु की कृपा एवं आशीर्वाद से बहुत शीघ्र ही दुर हो जाते है ।’’ उक्त उदगार परम पूज्य पन्यास प्रवर मुनिराज श्री कलापूर्ण विजय जी मसा. ने अपने दीक्षा दाता गुरु श्री स्थूलीभद्र सुरिश्वर जी मसा. के 89 अवतरण दिवस पर आयोजित गुणानुवाद सभा में व्यक्त किये आपने कहा कि जो जीव आत्मा अपने आत्मकल्याण के लिए इस भौतिक संसार की समस्त सुख सुविधा को त्याग कर संयम पथ को स्वीकार करता है उसके लिए उसका एक गुरु होना अति आवश्यक होता है। जो अपने ज्ञान, तप एवं साधना के बल से अपने शिष्य को भी योग्य बनाता है।
आपने कहा कि मेरे दीक्षादाता गुरु एक महान तपस्वी एवं प्रभावक आचार्य थे, जिन्होंने अपने जीवन काल मै जिन शासन के कई अद्भुत कार्य किये। अपने संयम जीवन के 37 वर्षो मै आपने शुद्ध चारित्रधर्म का पालन करते हुए आपने कर्नाटक की राजधानी बंगलुरू मै कालधर्म को प्राप्त किया, पर उनका दिव्य आशीर्वाद आज भी हमारे साथ है। गुरु के गुणों के महत्व का वर्णन करते हुए श्री विघ्नहरा चेरेटिबल ट्रस्ट के अध्यक्ष यशवंत भंडारी ने कहा कि पूज्य आचार्यश्री जैन सम्पद्राय के एक महान संत थे। मात्र 17 वर्ष की आयु मै आपने मुनि दीक्षा अंगीकार कर अपना पूरा जीवन आत्मकल्याण एवं जगत कल्याण के लिये समर्पित कर दिया था। आपने अपने गुरु श्री लब्धिसागर सूरीजी के अस्वस्थ होने पर 10 वर्षो तक उनकी अदभुत सेवा की। आपने दक्षिण भारत मै कई शहरों एवं गावों में वर्षो तक विहार कर वहाँ पर अभूतपूर्व धर्म प्रभावना की। आप एक महान युगप्रभावी आचार्य थे,। गुणानुवाद सभा में श्रावक रत्न धर्मचंद मेहता, ओ.एल.जैन, श्रीमती किरण कटारिया, योगेश जैन बापू, अशोक कटारिया, ज्ञानचंद मेहता, सुभाष कोठारी, निखिल भंडारी ने भी अपने शब्दों के माध्यम से पूज्य आचार्य श्री के गुणों के महात्म्य पर प्रकाश डाला
गुरु पद पूजन से हुई शुरुआत
मिडिया प्रभारी रिंकू रुनवाल ने कार्यक्रम के आयोजन की जानकारी देते हुए बताया कि गुणनुवाद सभा के प्रारम्भ में लाभार्थी श्रीमती बिंदु यशवंत भंडारी, निखिल, शार्दुल,हिया जीनाश भंडारी परिवार ने पूज्य आचार्यश्री के चित्र पर पुष्प अर्पित कर दीप प्रज्वलन किया तथा वाक्षेप से पूजन की साथ ही पाट पर विराजित पूज्य पन्यास प्रवर मुनिश्री कलापूर्ण विजय जी एवं पूज्य मुनि श्री देवचद्र विजयजी मसा. की चरण वंदना एवं पूजन कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त किया ।

सामूहिक सामायिक एवं प्रभावना का हुआ वितरण
पूज्य आचार्य भगवंत के 89 जन्म दिवस निमित्त श्रीसंघ के श्रावक एवं श्राविकाओं द्वारा सामूहिक सामायिक भी गई । साथ ही प्रभावना मै जीतेन्द्र कुमार, भरत बाबेल की ओर से श्रीफल, योगेश जैन, संजय धर्मचंद्र मेहता, ज्ञानचंद्र मेहता, लीलाबाई भंडारी, जयेश चंद्रशेखर कांठी एवं निखिल, शार्दुल भंडारी की और से नगद राशि के रूप मै प्रभावना वितरित की गई।
गुणानुवाद सभा के समापन पर पूज्य पन्यास प्रवरजी के द्वारा मंत्रजाप के साथ मांगलिक का श्रवण कराया गया, इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रावक श्रविकाएं उपस्थित थे।

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