चैत्र नवरात्र का व्रत मां दुर्गा को समर्पित है, इस दौरान देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा का विधान है- पण्डित द्विजेन्द्र व्यास ।
09 अप्रेल से ही मनाया जावेगा चैत्र नवरात्रोत्सव ।
झाबुआ । नवरात्र के 9 दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा और व्रत किया जाता है। हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तक चैत्र नवरात्र का त्योहार मनाया जाता है। नवरात्र में जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है और साथ ही शुभ फल की प्राप्ति के लिए व्रत किया जाता है। उक्त जानकारी देते हुए आचार्य पण्डित द्विजेन्द्र व्यास ने बताया कि देशभर में नवरात्र का पर्व अधिक उत्साह के साथ मनाया जाता है। नवरात्र का अर्थ है कि ‘नौ विशेष रातें’। इन नौ रातों में देवी शक्ति और उनके नौ रूपों की विशेष पूजा-अर्चना करने का विधान है। हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तक चैत्र नवरात्र का त्योहार मनाया जाता है। नवरात्र में जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है और साथ ही शुभ फल की प्राप्ति के लिए व्रत किया जाता है। इस बार चैत्र नवरात्र की शुरुआत की तिथि को लेकर लोग अधिक असमंजस हो रहे हैं। कुछ लोग चैत्र नवरात्र का प्रारंभ 08 अप्रैल से बता रहे हैं, तो वहीं कुछ लोग 09 अप्रैल से चैत्र नवरात्र की शुरुआत बता रहे हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र नवरात्र 09 अप्रेल को ही मनाया जावेगा ।
पण्डित व्यास के अनुसार सनातन धर्म में नवरात्र के पर्व को अधिक महत्वपूर्ण माना गया है। पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी 09 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि शुरू होंगे और 17 अप्रैल को समापन होगा। ऐसे में 09 अप्रैल को घटस्थापना कर मां दुर्गा की विशेष पूजा की जावेगी । इस तरह से 09 अप्रैल को माता रानी की घटस्थापना के साथ मां शैलपुत्री की पूजा, 10 अप्रैल को मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, 11 अप्रैल को मां चंद्रघंटा की पूजा,12 अप्रैल को मां कुष्मांडा की पूजा,13 अप्रैल को मां स्कंदमाता की पूजा, 14 अप्रैल को मां कात्यायनी की पूजा, 15 अप्रैल को मां कालरात्रि की पूजा,16 अप्रैल को मां महागौरी की पूजा,17 अप्रैल को मां सिद्धिदात्री की पूजा, एवं राम नवमी का पर्व मनाया जावेगा ।
चैत्र नवरात्र का महत्व बताते हुए उनका कहना है कि नवरात्र के 9 दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा और व्रत किया जाता है। इस दौरान मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लोग भजन-कीर्तन करते हैं। हिंदू मान्यता के अनुसार, नवरात्र के दौरान मां दुर्गा की विशेष पूजा करने से साधक को सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही मां दुर्गा की आशीर्वाद प्राप्त होता है। साधक को मां दुर्गा के महामंत्र का कम से कम पूजा के दोैरान ’’ओम् जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।’’ एवं’’सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये ़त्रयम्बके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते। का जाप करना चाहिये ।
श्री व्यास के अनुसार चैत्र नवरात्र का व्रत मां दुर्गा को समर्पित है। इस दौरान देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा का विधान है। इस साल चैत्र नवरात्र की शुरुआत 9 अप्रैल से हो रही है। ऐसी मान्यता है कि जो भक्त इस व्रत के सभी नियमों का पालन करते हैं उन्हें मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है। साथ ही जीवन में बरकत आती है। उनके अनुसार सनातन धर्म का सबसे महत्वपूर्ण पर्व नवरात्र माना गया है। मां दुर्गा के भक्त इस नौ दिवसीय त्योहार को बेहद प्रेम और उत्साह के साथ मनाते हैं। साथ ही देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त करने के लिए उनके नौ अलग-अलग अवतारों की पूजा करते हैं। नवरात्र साल में चार बार मनाई जाती है – शरद नवरात्र, चैत्र नवरात्र, माघ नवरात्र और आषाढ़ गुप्त नवरात्र। इस साल नवरात्र की शुरुआत 9 अप्रैल, 2024 से हो रही है। चैत्र नवरात्र इन बातों का ध्यान साधक, श्रद्धालु को जरूर रखना चाहिये। साधक नवरात्र के दौरान जल्दी उठें और पवित्र स्नान करें। तामसिक चीजें जैसे – शराब, तंबाकू और मांसाहार भोजन का सेवन न करें। व्रत के दौरान नाखून काटने, बाल कटवाने, दाढ़ी काटने से बचें। व्रती अपनी ऊर्जा बढ़ाने के लिए कुट्टू, सिंघाड़ा, दूध, साबूदाना, आलू और फलों का सेवन कर सकते हैं। नवरात्र पर सरसों का तेल और तिल का सेवन करने से परहेज करें। मूंगफली का तेल और घी का उपयोग कर सकते हैं। रोजाना उपयोग वाले नमक के सेवन से बचें। सेंधा नमक का उपयोग कर सकते हैं। व्रती दिन में सोने से बचें। पूजा के दौरान साफ और पवित्र कपड़े पहने। चमड़े से बनी चीजों का उपयोग न करें। काले कपड़े पहनने से भी बचें। बच्चों, गर्भवती महिलाओं व गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोगों को व्रत रखने से बचना चाहिए। इन नौ दिनों के दौरान मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा करें। किसी के बारे में बुरा बोलने से बचें। कन्याओं का अपमान न करें।