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झाबुआ

विक्रम संवत देश की संस्कृति को निर्धारित करता है. इतिहासकार के के त्रिवेदी

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  थांदला (वत्सल आचार्य) युवा रामायण मण्डल द्वारा विगत 27 वर्षो से अनवरत चैत्र नवरात्री पर नगर मे 09 दिवसीय प्रभात फेरी श्री राम सकीर्तन के साथ आयोजित की जाति रही है इसी कड़ी मे  आज प्रथम दिवस पर स्थानीय श्री रामजी मंदिर परिसर पर आयोजित सनातन संस्कृति की महत्ता का प्रतिवादन करते हुवे वरिष्ठ साहित्यकार, इतिहासकार प्रोफेसर के के त्रिवेदी ने धर्मानुअनुरागियो को सम्बोधित करते हुवे कहा की विक्रम संवत हमारी संस्कृति की निर्धारण के साथ एक सूत्र मे पिरोने का का कार्य करता है. जैसे प्रातः पंछियो का कलरव, सूर्य का उदय व हमारी वैदिक संस्कृति को समाहित कर पूजा, अर्चना करना तथा भक्त द्वारा ईश्वर का नित्य स्मरण करना दर्शाता है.
सनातन है क्या जो कभी अष्ट ना हो वो सनातन परमात्मा के साथ हमारी आत्मा ये सनातन है कोई पंथ नहीं, कोई संप्रदाय नहीं सनातन जीवन शैली है जीवन को सुन्दर बनाने का व कलात्मक तरीके से जीने की कला है सनातन.

संत एवं ग्रन्थ का अपमान मत करना

इतिहासकार के के त्रिवेदी ने अपने उदबोधन मे कहा की भारतीय संस्कृति व इतिहास की खोज करने भारत आये अनेको धर्म प्रमुखो का उल्लेख करते हुवे कहा की उन धर्म गुरुओं को उनके आचार्य, मौलवी, पादरी, फ़क़ीर एवं मलंगाओ ने भी भारत की संस्कृति की सराहना करते हुवे उनसे कहा था की जब भी भारत जाओ तो किसी भी समाज के संत व ग्रन्थ का अपमान मत करना यहां विभिन्न पूजा पद्दती तथा धर्म को मानने वाले धर्मवलम्बी भी सनातन के महत्त्व का उल्लेख करते है की भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जँहा ऋषि मुनियो व संतो की तपस्या से यह देश फल फूल रहा है.
श्री त्रिवेदी ने अपनी ओजस्वी वाणी से धर्मालू जनता को बताया की भारतीय तिथि, मासो की काल गणना से लोग अनभिज्ञ होते जा रहे है परन्तु वास्तविकता यह भी है की देश के सांस्कृतिक पर्व, उत्सव तथा राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर, शकराचार्य, गुरु नानक, महर्षि दयानन्द आदि महा पुरषों की जयंती आज भी भारतीय काल गणना के हिसाब से मनाई जाती है इशवी संवत के अनुसार नहीं नामकरण, मुंडन का शुभ मुहूर्त हो या विवाह आदि सामाजिक कार्यों का अनुष्ठान ये सभी भारतीय पंचांग पद्द्ति के अनुसार ही किया जाता है इशवी सन की तिथियों के अनुसार नहीं.
आज 09 अप्रेल 2024 से हिन्दू नव वर्ष एवं विक्रम संवतसर 2081का आरम्भ हो रहा है हिन्दू नववर्ष के प्रारम्भ के साथ ही नवरात्र भी प्रारम्भ हो जाते है क्योंकि हिन्दू नववर्ष का आरम्भ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से होता है ब्रह्मा पुराण के अनुसार सृष्टि का प्रारम्भ इसी दिन से हुवा था, इसी दिन से काल गणना का प्रारम्भ हुवा था चैत्र शुक्ल प्रतिपदा हिन्दू संस्कृति मे विशेष महत्व है इस दिवस का भारत के स्वर्णिम इतिहास मे उल्लेखनीय महत्व है.
इस अवसर पर मंच पर विशेष रूप से नगर के विद्वान् पंडित शिक्षक श्री रंगजी आचार्य ने भी धर्म सभा को सम्बोधित किया.
इस अवसर पर अतिथियों द्वारा चैत्र नवरात्री मे नीम शरबत वितरण करने वाले उत्साही युवकों को सम्मानित किया गया.
कार्यकम मे वरिष्ठ नेता नारायण भट्ट, रामायण मण्डल के संरक्षक पंडित किशोर आचार्य,विश्वास सोनी,एडव्होकेट तुषार भट्ट,अशोक अरोरा,नीरज भट्ट, नगर परिषद अध्यक्ष लक्ष्मी सुनील पणदा, मंडल के वरिष्ठ ओमप्रकाश शर्मा,भगवान लाल शर्मा,एडव्होकेट नीरज कोठारी,श्रीमंत अरोड़ा,गोपाल नागर ,किशोर आचार्य, सुनील राठौड़,विजय जोशी (गुद्दू ),पत्रकार अक्षय भट्ट,राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के भूषण भट्ट,कुलदीप झाला कमलेश जैन, सुशील शर्मा, कमल पटेल् मंदिर के पुजारी, विट्ठल वैरागी, बमबम बैरागी,कृतिका शर्मा,पिंकी पाठक, श्रीमती पुष्पा शर्मा,टूना जी भट्ट सहित समस्त समाज के प्रमुख सहित नगर की धर्म प्रेमी भक्त जन एवं बड़ी संख्या मे मातृ शक्ति उपस्थित थी.
कार्यकम का संचालन राजेश वेद्य व आभार युवा रामायण मण्डल के अध्यक्ष ओमप्रकाश शर्मा ने व्यक्त किया.।

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