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झाबुआ

महाराणा प्रताप की 487 वी जन्म जयंती को लेकर राजपुत समाज की बैठक में कार्ययोजना बनाई । महाराणा प्रताप के शौर्य, त्याग और बलिदान की गाथाएं आज भी देश में चारों ओर गूंजती हैं- ठा. मनोहरसिंह राठौर

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महाराणा प्रताप की 487 वी जन्म जयंती को लेकर राजपुत समाज की बैठक में कार्ययोजना बनाई ।
महाराणा प्रताप के शौर्य, त्याग और बलिदान की गाथाएं आज भी देश में चारों ओर गूंजती हैं- ठा. मनोहरसिंह राठौर

 


झाबुआ 
। शूरवीर महाराणा प्रताप की जन्मोत्सव को धुधाम एवं गरीमामय वातावरण में मनाये जाने के लिये स्थानीय राजपुत भवन में समाज की आवश्यक बैठक समाज अध्यक्ष भेरूसिंह सोलंकी की अध्यक्षता में आयोजित की गई । समाज के उपाध्यक्ष ठा. रविराजसिंह राठौर ने बताया कि मेवाड की आन बान और शान के प्रतिक श्री महाराणा प्रताप समग्र राजपुत समाज के गौर रहे है। इस अवसर पर समाज के सरंक्षक ठा. मनोहरसिंह राठौर ने महाराणा प्रताप के जीवन वृत पर  प्रकाश डालते हुए कहा कि महाराणा प्रताप भारत के महान शूरवीर सपूतों में एक थे। वीरों के वीर महाराणा प्रतापसिंह सिसोदिया जिनके शौर्य, त्याग और बलिदान की गाथाएं आज भी देश में चारों ओर गूंजती हैं। महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 को राजपूत राज परिवार में हुआ था। पिता उदय सिंह मेवाड़ा वंश के शासक थे। महाराणा प्रताप उनके बड़े बेटे थे। महाराणा प्रताप के छोटे तीन भाई और दो सौतेली बहनें थीं। शूरवीर महाराणा प्रताप ने मुगलों के अतिक्रमणों के खिलाफ अनगिनत लड़ाइयां लड़ी थीं। अकबर को तो उन्होंनेयुद्ध में तीन बार बुरी तरह हराया था। उन्होने आगे बताया कि महाराणा प्रताप ने जंगल में घास की रोटी खाई और जमीन पर सोकर रात जरूर गुजारी, लेकिन अकबर के सामने कभी हार नहीं मानी। यह भी कहा जाता है कि महाराणा प्रताप अपनी तलवार से दुश्मनों के एक झटके में घोड़े सहित दो टुकड़े कर देते थे।


वे आगे बताते है कि भारत की आन-बान-शान और वीरों के वीर महाराणा प्रताप का जन्मदिन साल में दो बार मनाया जाता है। 9 मई 2024 को उनकी 487 वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 9 मई 1540 उनकी जन्म तिथि है, वहीं बहुत से लोग उनका जन्मदिन हिंदू पंचांग के अनुसार जेष्ठ मास की तृतीया को गुरु पुष्य नक्षत्र में मनाते हैं। एंसं शुरवीर की 487 वीं जन्म जयंती पूरा समाज पूरे उल्लास उएवं परम्परागत रूप  से  आन बान और शान के साथ मनावे इसके लिये बैठक में विचार किया गया ।


श्री रविवराज राठौर ने बताया कि संरक्षक ठा. मनोहर सिंह राठौर की ओर से समाज को एक बडा कैरम बोर्ड दिया गया है, जिससे यहां पर समाजजन राजपूत भवन में आकर कुछ क्षण मनोरंजन के साथ व्यतित करें एवं समाजोत्थान को लेकर चर्चा कर सकें । आयोजित बैठक में समाज की कार्य योजना भी बनाई जाकर उसे क्रियान्वित करने का संकल्प लिया गया । इस अवसर पर परस्पर विचार प्रकट करते हुए राजपूत समाज जो 10 साल से पिछड़ा हुआ था उसे और आगे अग्रसर करने का सर्वानुमति से संकल्प लिया गया । और समाज को एकरूपता में बांधने के संकल्प के साथ ही इसका उद्देश्य है कि इस प्रकार से समाजजन एकत्रित होंगे व एक-दो घंटे मनोरंजन के साथ समाज की बारे में वार्तालाप में कर सुझावों का संकलित करेगें ताकि समाज की उन्नति होसके । समाज के सरंक्षक को सभी पदाधिकारिगणो  एवं कार्यकारिणी सदस्यों की ओर से बहुत-बहुत बधाई दी गई एवं आभार व्यक्त करते हुए सभी समाजजनों को महाराणा प्रताप की जन्म जयंती को उल्लास के साथ मनाये जाने की अपील की गई ।

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