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झाबुआ

श्री राधाकृष्ण सरकार मंदिर मे धुमधाम से मनाया गया श्रीराम प्राकट्योत्सव । 500 लीटर ठंडारी का हुआ वितरण ।

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श्री राधाकृष्ण सरकार मंदिर मे धुमधाम से मनाया गया श्रीराम प्राकट्योत्सव ।
500 लीटर ठंडारी का हुआ वितरण ।

झाबुआ । शहर के हृदय स्थल राजवाड़ा चैक झाबुआ पर श्रीराधाकृष्ण सरकार एवं बैरागी परिवार द्वारा श्रीराम नवमी जन्मोत्सव का आयोजन किया गया । मंदिर के मंहत मनीष बैरागी ने बताया प्रातः प्रभु का पंचामृत अभिषेक वृंदावन धाम से लाई गई मनमोहक पोशाक का आकर्षण श्रृंगार कर दोपहर बारह बजे जन्मोत्सव महाआरती की जिसमें नगर के गणमान्य नागरिकों द्वारा सहभागिता कर बैरागी द्वारा तैयार की गई 500 लीटर ठंडाई (दूध,शक्कर, गुरुजी ठंडाई,बदाम, काजू,पिस्ता से निर्मित) सुखा मेवा, धनिया पंजीरी, खोपरा बुरा, चाकलेट का वितरण शाम पांच बजे तक किया गया ।


श्री बैरागी ने श्रीराम के प्राकट्योत्सव के अवसर पर कहा कि ब्रह्मा, विष्णु तथा महेश में से भगवान विष्णु ने संसार की भलाई के लिए कई अवतार लिए हैं। भगवान विष्णु द्वारा कुल 10 अवतार लिए गए जिसमें से भगवान राम सातवें अवतार माने जाते हैं और यह अवतार भगवान विष्णु के सभी अवतारों में से सबसे ज्यादा पूज्यनीय माना जाता है। भगवान श्री राम के बारे में महर्षि वाल्मीकि द्वारा अनेक कथाएं लिखी गई हैं। वाल्मीकि के अलावा प्रसिद्ध महाकवि तुलसीदास ने भी श्री राम के महत्व को लोगों को समझाया है। भगवान राम ने कई ऐसे महान कार्य किए हैं जिसने हिन्दू धर्म को एक गौरवमयी इतिहास प्रदान किया है। भगवान राम अपनी प्रजा को हर तरह से सुखी रखना चाहते थे। उनकी धारणा थी कि जिस राजा के शासन में प्रजा दुखी रहती है, वह राजा नरक भोगी होता है। महाकवि तुलसीदास जी ने रामचरितमानस् में रामराज्य की विशद चर्चा की है। माना जाता है कि अयोध्या में ग्यारह हजार वर्षों तक भगवान राम का दिव्य शासन रहा। वनवास के दौरान भगवान श्री राम ने देश के सभी आदिवासियों और दलितों को संगठित करने का कार्य किया और उनको जीवन जीने की शिक्षा दी। उन्होंने देश के सभी संतों और उनके आश्रमों को राक्षसों, दैत्यों के आतंक से बचाया था।

अपने 14 वर्ष के वनवास के दौरान भगवान राम ने भारत की सभी जातियों और संप्रदायों को एक सूत्र में बांधने का कार्य किया। चित्रकूट में रहकर भी उन्होंने धर्म और कर्म की शिक्षा दीक्षा ली। भगवान राम ने भारत भर में भ्रमण कर भारतीय आदिवासी, जनजाति, पहाड़ी और समुद्री लोगों के बीच सत्य, प्रेम, मर्यादा और सेवा का संदेश फैलाया और यही कारण था कि राम का जब रावण से युद्ध हुआ तो सभी तरह की अनार्य जातियों ने राम का साथ दिया। भगवान श्री राम कहते है कि पृथ्वी लोक एक ऐसा लोक है जहां जो भी आता है उसे एक दिन वापस लौटना ही होता है। ठीक इसी तरह श्री राम भी अपना मानवीय रूप त्याग कर अपने वास्तविक स्वरूप विष्णु का रूप धारण कर बैकुंठ धाम की ओर चले गए।ऐसे मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्री राम के प्राकट्योत्सव पर हम सभी श्रद्धावनत होकर श्री राम नवमी का पर्व भक्ति भावना से मनाते है ।
श्री राधाकृष्ण सरकार के दरबार में आयोजित रामनवमी महापर्व पर में संपुर्ण आयोजन को सफल बनाने में तुलसी सेवा समिति के सदस्य अजय बैरागी, हार्दिक बैरागी,ओजस्व बैरागी, श्रीमती देविका बैरागी, श्रीमती कविता बैरागी, श्रीमती निशा बैरागी, सुश्री पंखुरी बैरागी,मिमांसा सोनी, प्रमोद सोनी, मनीष, देवेन्द्र, गोपाल सोनी, श्रीमती अंजू सोनी, श्रीमती कृष्णा तिवारी, विनत तिवारी, नेहा शर्मा,दिपशिखा तिवारी, उदय सिंह, देवेन्द्र सिंह चैहान, संदीप मिश्रा,वासु शर्मा,प्रितेश शाह आदि का सहारनीय योगदान रहा श्रीराधाकृष्ण सरकार का श्रृंगार इतना आकर्षक था की जो भी धर्मानुरागी दर्शन करता उन्हीं में खो जाता था ।

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