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कम वोट प्रतिशत, लोकतंत्र के लिए घातक

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आस्थारूप शांडिल्य कि रिपोर्ट
         *ऐसा प्रतित हो रहा है कि ,चुनाव आयोग को, देश के प्रत्येक नागरिक  के लिए लोकतंत्र में वोट करना अनिवार्य करने का उपयुक्त समय आ गया है!*
        *लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा, अवसर होने पर भी वोटर द्वारा, वोट नहीं करना है! लोकतंत्र को बचाने ही नहीं, सुरक्षित और सुदृढ बनाने की सम्पूर्ण जिम्मेदारी वोटर की है! देश का कोई भी नागरिक इस भ्रम में कदापि न रहे कि, लोकतंत्र को कोई भी राजनैतिक दल या दलों का सत्ता लोलुप गठबंधन बचाएगा!*
           *ये मुझ युवा मतदाता का विचार है, जो देश के अन्य युवा के सम सामयिक विचार से मेल खाता है, एक तरह से ये विचार देश में नई युवा क्रांति कही जा सकती है, कदाचित, इसीलिए देश का युवा, लोकतंत्र के प्रति अपनी जिम्मेदारी का ज्यादा अनुभव कर रहा है, और वोट कर रहा है!*
         *2024 में भारत भाग्य विधाता, लोकतंत्र का वोटर वोट करने, आखिर, बूथ तक क्यों नहीं जा रहा, यह एक शोध का विषय है!*
           *आश्चर्य है, चुनाव आयोग के भरसक प्रयास के बाद भी वोटर उदासीन क्यों? कहीं, विपक्ष विशेषकर कांग्रेस का ईवीएम मशीन से वोटिंग के बाबत फैलाया गया, भ्रम का पाखंड तो काम नहीं कर गया? या वास्तव में गर्मी के मौसम में लू के थपेड़े वोटर को रोक रहे?*
       *इस चुनाव में वोट का प्रतिशत बढ़ाने के लिए सोशल मीडिया पर लाखों करोड़ों सन्देश घूम रहे हैं! पूरे विश्व के सोशल मीडिया और राजनैतिक विश्लेषक, इन रोमांचकारी सन्देश प्रवाह से रोमांचित हैं! कई विघ्न संतोषी तत्व, जो भारतीय लोकतंत्र के कट्टर विरोधी हैं, वे भी देश के अंदर के साथ देश के बाहर से, फर्जी नाम पते आईडी से, इसे कमजोर करने के लिए निरंतर भ्रामक पोस्ट कर रहे हैं! सोशल मीडिया पर ऐसी कई पोस्ट उपलब्ध हैं, जो वोटर को भड़का रहे हैं, और वोटर की सोच को प्रभावित कर रहे हैं! इन्हें अभी रोकना संभव नहीं है, किन्तु सरकार और चुनाव आयोग ऐसी पोस्ट को नियंत्रित करने के साथ ही, वोटर को सजग करने का काम कर रहा है, करना भी चाहिए!*
           *जहाँ तक गर्मी के मौसम में चल रही लू के थपेड़ों से वोट प्रतिशत कम होने की बात है, ये बेमानी लगती है, क्योंकि, अपने निजी स्वार्थ के लिए देश का यही नागरिक, इससे भी भीषण गर्मी या व्यवधानों में भी स्वहित का काम करता है! कहीं न कहीं देश का नागरिक, इस हद तक स्वार्थी हो गया है कि, उसे राष्ट्र हित के अपने अधिकार और कर्तव्य भी बौने लगने लगे हैं, यही लोकतन्त्र के लिए घातक है!*
          *रही बात, समूचे विपक्ष द्वारा माननीय अपैक्स कोर्ट में इवीएम के बजाय मत पर्ची से वोट कराने के लिए दायर याचिकाओं पर निर्णय आ तो गया है, पर मुझ जैसे देश के युवाओं का मानना है कि, ये निर्णय इससे पहले आ सकता था! देश में दो चरणों के चुनाव हो जाने के बाद माननीय कोर्ट द्वारा ईवीएम तथा विविपेट मशीन से चुनाव कराने के आयोग द्वारा प्रस्तुत तथ्यों को प्रामाणिकता प्रदान करते हुए, वापस मत पर्ची से आम चुनाव तक लौटने से साफ मना कर दिया! ये चुनाव आयोग और वर्तमान सरकार की जीत हुई है, ऐसा माना जा सकता है, क्योंकि, ऐसा ही हुआ है! किन्तु, उन वोटर का क्या, जो ईवीएम और विविपेट मशीन के निर्णय को प्रभावित किया जा सकता है, की शंका में वोट करने बूथ तक गए ही नहीं, तो उनके वोट का क्या? मैंने इसीलिए कहा कि, देश का युवा सोचता है, ये निर्णय थोड़ा पहले आ जाना चाहिए था! खैर, अब क्या, हुआ जो अच्छा हुआ! पर इस तरह की सम्भावनाओं पर आधारित याचिका लगाने वालों पर चुनाव आयोग, सरकार या कोर्ट कोई एक्शन लेगी, या ये यूँ ही चलता रहेगा!*
           *2024 चुनाव में अब तक वोट के कम वोट प्रतिशत से पक्ष और विपक्ष अपना अपना अर्थ निकाल रहे हैं! विपक्ष इसे पक्ष विरोधी चुनाव घोषित करने में लगा है, वहीं पक्ष इसे विपक्ष का सफाया बता रहा है! इनके अपने आधार और मायने हो सकते हैं, किन्तु, पूर्ण सत्य तो वोटों की गिनती के परिणाम आने पर ही ज्ञात होगा!*
          *हाँ, यह भी सत्य है, हमारा भारतीय समाज बड़ा ही मनुहारी है, वो इस बात को लेकर मुंह फुला कर बैठा है कि, कार्यकर्त्ता ने उसे वोट करने के बुलावा ही नहीं दिया, तो वोट करने क्यों जाएँ ?*
         *वैसे ही देश को कमजोर करने के लिए कई देशी विदेशी ताकतें अलग अलग या मिलजुलकर काम कर रही हैं! देश में निश्चित ही आतंकवाद, वामपंथ, तुष्टिकरण वाद, छदम धर्म निरपेक्षता वाद आदि का पराभव हूआ है, किन्तु, देश को आजादी के पूर्व की तर्ज पर, नये वर्ग संघर्ष में धकेलने के प्रयास पुरजोर ढंग से पुनः प्रारम्भ हो गए हैं, जो विभाजनकारी विचारधारा है! ऐसे में देश के लोकतंत्र को मजबूती देने के लिए, प्रत्येक नागरिक को वोट अवश्य करना प्रासंगिक हो चला है!*
       *आज का वोटर अपने वंशजों से स्थायी सम्मान का वास्तव में अभिलाषी है, तो उसे लोकतंत्र का सम्मान  करते हुए, वोट करना होगा! किन्तु, अकाट्य सत्य यही है कि, वर्तमान पीढ़ी के वोटर द्वारा प्रदर्शित, ये उदासीनता या कड़वे शब्दों में कहें तो, निर्लज्जता, राष्ट्र और आने वाली कई पीढ़ियों के प्रति कृतघ्नता सिद्ध होंगी, यदि, ऐसा हुआ तो इससे भारतीय लोकतंत्र आहत होगा, ये निश्चित है! अतः वोट करें, लोकतंत्र बचाएं!*

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