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झाबुआ

लोकार्पण के 8 माह बाद भी, करोड़ों की लागत से बना इंजीनियरिंग कॉलेज अपने नवीन भवन में प्रारंभ नहीं हो सका………… यह कैसा विकास……

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झाबुआ – झाबुआ जिले में विभागीय अधिकारी कर्मचारी की लापरवाह कार्य प्रणाली के कारण कहीं ना कहीं भाजपा का विकास रथ थम सा गया है यह विभागीय अधिकारी अपने मनमानी कार्यशैली के कारण, शासन  द्वारा दिए जा रही सौगातो का ध्यान ही नहीं रख जा रहा है और मनमाने तौर पर कार्य कर रहे हैं । कुछ ऐसा ही झाबुआ जिले में पीडब्ल्यूडी पीआईयू द्वारा करीब 35 करोड़ की लागत से बनाए गए इंजीनियरिंग कॉलेज, जो तत्कालीन मुख्यमंत्री और सांसद वीडी शर्मा द्वारा लोकार्पण के 8 बाद भी अब तक नवीन भवन में प्रारंभ नहीं हो सका है ….यह कैसा विकास ….. क्षेत्र की जनता के मन में संशय बना हुआ है और इस तरह के ज्वलंत मुद्दों को ध्यान में रखकर ही युवा पीढ़ी अपना वोट करती है ।

वर्तमान में शहर में इंजीनियरिंग कॉलेज का संचालन वर्ष 2015-16 से पॉलिटेक्निक कॉलेज में हो रहा है यह प्रदेश का सबसे कम फीस वाला सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज है ।  संभवत नवीन भवन में प्रारंभ होने पर तथा सभी शाखाएं का अध्ययन प्रारंभ होने पर संभवत 700 से अधिक बच्चे , इस कॉलेज का लाभ ले सकते हैं । इसे ए.पी.जे. अब्दुल कलाम यूनिवर्सिटी इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के नाम से जाना जाता है तथा यह राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के माध्यम से संचालित होता है । यहा पर दो कोर्सेस – प्रथम कंप्यूटर साइंस व इंजीनियरिंग,. द्बितीय मैकेनिकल इंजीनियरिंग का अध्ययन कराया जा रहा. हैं । जिले में इंजीनियरिंग कॉलेज की सौगात मिलने के बाद , झाबुआ से सटे ग्राम गडवाडा में 34.65 करोड़ की लागत से इंजीनियरिंग कॉलेज भवन का निर्माण कार्य वर्ष 2020-21 में प्रारंभ हुआ । जिसकी क्रियान्वयन एजेंसी परियोजना क्रियान्वयन इकाई लोक निर्माण विभाग है इस भवन निर्माण का कार्य सूरत की फर्म आर.एंड. डोब्रीयाल द्वारा किया जा रहा है । इस भवन का निर्माण कार्य प्रगति पर था और सिविल कार्य करीब पूर्ण होने पर 26 अगस्त 2023 को तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व सांसद वीडी शर्मा द्वारा लोकार्पण किया गया था । पश्चात लाइट फिटिंग व अन्य रिपेयरिंग कार्य पूर्ण होने पर इंजीनियरिंग कॉलेज को इस नवीन भवन में प्रारंभ किया जाना था । सूत्रों के अनुसार लोकार्पण के पूर्व भी कॉलेज भवन निर्माण को लेकर संभवतः तत्कालीन कलेक्टर तन्वी हुड्डा ने भवन का निरीक्षण किया था तथा इस दौरान उन्हें भवन में कुछ खामिया पाई थी इस हेतु दिशा निर्देश भी जारी किए थे । संभवत: दिशा निर्देशों का पालन हुआ है या नहीं यह भी जांच का विषय है । वर्तमान में झाबुआ रतलाम संसदीय क्षेत्र का 13 मई को मतदान होना है और इस संसदीय क्षेत्र से दो मंत्री , वन मंत्री नागरसिंह चौहान एवं महिला एव बाल विकास मंत्री निर्मला भूरिया सक्रियता से कार्य कर रही है । लेकिन पीडब्ल्यूडी पीआईयू विभाग द्वारा अब तक इस क्षेत्र को मिली इंजीनियरिंग कॉलेज की सौगात को भी पूर्ण कर नहीं सका है जिससे कालेज नवीन भवन में प्रारंभ नहीं हो सका है । इस तरह की धीमी गति के विकास से क्षेत्र की जनता में वर्तमान सरकार को लेकर संशय है क्या विकास की गति इस तरह की होगी …कि स्वयं तत्कालीन मुख्यमंत्री और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष द्वारा किए गए लोकार्पण के आठ माह बाद भी ,  इंजीनियरिंग कॉलेज नवीन भवन में प्रारंभ नहीं हो सका । जब भी इस आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में चुनाव होते हैं तो स्थानीय मुद्दों और ज्वलनशील मुद्दों को ध्यान में रखकर ही वोटिंग होती है यहां ना तो कोई दल और नहीं कोई प्रत्याशी को देखा जाता है या सिर्फ ज्वलंत मुद्दों पर ध्यान में रखकर ही क्षेत्र की जनता वोट करती है । क्षेत्र की युवा पीढ़ी विशेष रूप से विद्यार्थीगण इस बात से खुश तो है कि क्षेत्र में इंजीनियरिंग कॉलेज की सौगात मिली है लेकिन उनके मन में यह संशय भी है कि दो-दो मंत्री होने के बाद भी इंजीनियरिंग कॉलेज अपने नवीन भवन में प्रारंभ नहीं हो सका है । तो कहीं ना कहीं क्षेत्र की जनता और विद्यार्थियों के मन में विकास की रफ्तार को लेकर संशय बना हुआ है वहीं दोनों ही दल विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ रहे हैं कहीं पीडब्ल्यूडी पीआईयूं विभाग भाजपा के विकास रथ को रोकने का प्रयास तो नहीं कर रहा है या यू कहे कि कहीं यह विभाग मोदी के विकास को सेंध लगाने का प्रयास तो नहीं कर रहा है । यह भाजपा के लिए चिंतन का विषय है । खैर कारण चाहे जो भी रहो ,लेकिन लोकार्पण के आठ माह बाद भी यदि भवन पूर्ण रूप से तैयार नहीं है तो यह विकास की रफ्तार काफी धीमी है जो वर्तमान में मतदान के समय आम जनता के मन में रहेगा । वही इस विभाग द्वारा शासकीय स्नाकोत्तर चंद्रशेखर महाविद्यालय के वाणिज्य संकाय हेतु अतिरिक्त कक्षो का निर्माण भी किया गया । जिसकी लागत करीब 3 करोड़ 50 लख रुपए के आसपास है उसे कॉलेज में भी बिल्डिंग भवन के बीम-कालम में बड़ी-बड़ी दरारे देखने को मिल रही है जिसकी  भवन की गुणवत्ता को लेकर शिकायत भी हुई है जिसमें विभाग के ठेकेदार द्वारा पुट्टी भरकर उसे रिपेयर तो कर दिया गया है । लेकिन आम जनता के मन में प्रश्न है क्या पुट्टी भरने से भवन की गुणवत्ता प्राप्त हो सकती है प्रश्न यह भी है कि यदि भवन की दीवारों में धाराएं होती तो चल जाता ।लेकिन बीम-कालम में दरारे होने पर बिल्डिंग की गुणवत्ता पर ही प्रश्न चिन्ह है । लोगों के मन में यह भी प्रश्न है कि इस तरह की शिकायत ऊपर संभव तक कोई कार्रवाई नहीं होगीप्रश्न वहीं है यह कैसा विकास…..

डॉ. उमेश बनौधा, प्राचार्य इंजीनियरिंग कॉलेज, झाबुआ ।

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