झाबुआ

भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी सरकारी योजनाओं की राशि……….

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जिले के सजेली तेजा भीमजी साथ गांव के सचिव व सरपंच ने मिलकर सरकारी योजनाओं में जमकर भ्रष्टाचार किया, जो पैसा गांव के विकास के लिए आया था, उसकी सरपंच और सचिव ने मिलकर बंदरबांट कर ली.

झाबुआ। ग्रामीण विकास के लिए केंद्र और राज्य की सरकारें जो राशि ग्रामों में भेजती हैं, उसमें किस कदर भ्रष्टाचार किया जाता है, उसकी तस्वीर झाबुआ जिले के सजेली तेजा भीमजी साथ गांव में देखी जा सकती है. इस पंचायत में जो कागजी विकास की इबारत लिखी गई, उसके साक्षी जिले के कलेक्टर और क्षेत्रीय सांसद भी बन चुके हैं. इस ग्राम पंचायत के सचिव व सरपंच ने मिलकर सरकारी योजनाओं की राशियों को फर्जी बिलों के माध्यम से गबन कर दिया और गांव वालों को विकास के कामों के तारे दिन में दिखा दिए. लंबे अरसे तक गांव में जब कोई विकास का काम नहीं हुआ, तो ग्रामीणों ने सरपंच और सचिव की भ्रष्टाचार की पोल खोली, लेकिन जिम्मेदारों ने शिकायती आवेदनों को कचरे के डब्बे में डाल दिया. भ्रष्टाचार में जिम्मेदारों की सहभागिता के चलते रिकॉर्ड पर हुए लाखों रुपए का भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा सरकारी योजनाओं का पैसा सरपंच सचिव में कागजों पर खानापूर्ति कर दिल लगाकर राशि की बंदरबांट कर दी |

दर्जनों योजनाओं में भ्रष्टाचार-ग्रामीणों ने जनपद और पंचायत दर्पण पोर्टल से पंच परमेश्वर सहित अन्य योजनाओं की जब जानकारी जुटाई, तो उससे ग्रामीणों के होश उड़ गए. ग्रामीण युवाओं को दो दर्जन योजनाओं में लाखों रुपए के भ्रष्टाचार की जानकारी हाथ लगी. ग्रामीणों ने इस बारे में सरपंच और सचिव से काम पूरा करने को कहा, तो उनके कानों पर जूं नहीं रेंगी. पंचायत के जिम्मेदारों की शिकायत अधिकारियों से की गई, तो अधिकारियों ने भी अपनी जेब भारी करके जिम्मेदारों को खुली छूट दे दी. सरकारी योजनाओं की जानकारी ग्रामीणों ने क्षेत्रीय विधायक वीरसिंह भूरिया सहित जिला कलेक्टर को जनसुनवाई में दी, लेकिन भ्रष्टाचार के मामलों पर कार्रवाई करने की बजाए ग्रामीणों की समस्या को ही गायब कर दिया गया.

सांसद ने भी नहीं सुनी शिकायत-जिसके बाद ग्रामीण रतलाम-झाबुआ सांसद गुमान सिंह डामोर के दरबार में हाजिरी लगाने पहुंचे, वहां से भी उन्हें आश्वासनों का झुनझुना पकड़ा दिया गया. इन ग्रामीणों को 5 महीने बाद भी न तो अपने गांव में विकास के नाम पर कोई काम नजर आया और ना ही की गई शिकायतों का कोई निराकरण किया गया. एक बार फिर से ग्रामीण कलेक्टर के दरबार में पहुंचे, जहां कलेक्टर ने शिकायती कागज हाथ में लेने की बजाय उन्हें जिला पंचायत का रास्ता दिखा दिया.

सरकारी विभागों पर भ्रष्टाचार के छींटे-इस गांव में दर्जनों सीसी रोड का निर्माण होना था, गांव के रास्तों को सही करने के लिए नाले बनाए जाने थे, सरकार ने लोगों की सुविधा के लिए अतिरिक्त कक्ष की स्वीकृति दी थी और उसके लिए पैसों का भुगतान भी किया, लेकिन पंचायत के जिम्मेदारों ने फर्जी बिल लगाकर उसे अपने निजी स्वार्थ के लिए आहरित कर लिया. इस पंचायत में मौके पर विकास काम देखने को नहीं मिल रहे, जो कागजों में स्वीकृत और पूरे हो चुके हैं. ऐसा नहीं है कि, इस काम में सरपंच और सचिव ने ही तिजोरी भरी है, इस काम के लिए उपयंत्री और मॉनिटरिंग करने वाले जनपद सीईओ से लेकर योजनाओं का सही क्रियान्वयन कराने वाले जिला पंचायत सीईओ और कलेक्टर सरकारी धन के गबन को रोकने में नाकाम रहे. कहीं ना कहीं इन तमाम सरकारी विभागों पर भ्रष्टाचार के छींटे दिखाई देते हैं, इसीलिये जिम्मेदारों ने अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ कर तमाम शिकायतों के बाद भी कार्रवाई नहीं की.

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