झाबुआ से आफताब कुरेशी , हरीश यादव , नरेंद्र राठौड़ और पीयूष गादिया की रिपोर्ट
लगभग सभी विभागों में शासन द्वारा सारी प्रक्रिया ऑनलाइन के माध्यम से स्वीकार की जा रही है ताकि पारदर्शिता रहे |लेकिन शासन पारदर्शिता लाने के लिए चाहे कितने भी प्रयास कर ले लेकिन परिवहन विभाग मे दलाल इन सारे नियमों को धता बताकर, नियमों में उलझाकर , कोई भी प्रक्रिया को उनके बिना पूरी नहीं मानी जा सकती है और इसके लिए दलाल मनमानी फीस तक वसूल कर आमजन को ठग रहे हैं कुछ ऐसा ही नजारा झाबुआ के जिला परिवहन कार्यालय में आए दिन देखने को मिलता है जहां एक और सारी प्रक्रिया ऑनलाइन प्रारंभ हो चुकी है वहीं दूसरी ओर इस कार्यालय में दलालों की सक्रियता बढ़ती जा रही है और इस सक्रियता से हर कार्य की फीस 3 से 5 गुना हो गई है और क्या कारण है कि विभाग भी इस कार्य में बखूबी इन दलालों का साथ दे रहा हैं क्यों जिला परिवहन कार्यालय में शासन को ऑनलाइन प्रक्रिया को धता बताकर इस प्रक्रिया का फायदा उठाकर आज भी दलाली प्रथा को परिवहन कार्यालय द्वारा मजबूत किया जा रहा है ड्राइविंग लाइसेंस चाहे दो पहिया ,तीन पहिया या चार पहिया वाहन लाइसेंस ,परमिट ,वाहन रजिस्ट्रेशन, नाम ट्रांसफर, बस फिटनेस आदि कोई भी कार्य हो विभाग के अधिकारी सारी प्रक्रिया ऑनलाइन आवेदन के बाद दलाली प्रथा से ही स्वीकार करते हैं. यह वही दलाल है जो सारे कागजी खानापूर्ति कर फिर विभाग के अधिकारी कर्मचारी से जोड़ तोड़ कर आवेदक से भारी राशि वसूल करते हैं कोई भी वाहन परमिट हो बस फिटनेस हो रजिस्ट्रेशन हो लाइसेंस आदि कोई भी कार्य दलाल के माध्यम से स्वीकार किए जाते है इस विभाग में हर दलाल अपने कागजों को लेकर स्वयं अधिकारी के समक्ष प्रस्तुत होता है जो भी खानापूर्ति में कमी पाई जाती है वह आपसी तालमेल के द्वारा पूर्ति कर फाइल विभाग के बाबू को सौंप दी जाती है विभाग और दलाल की आपसी समझ या लेनदेन से हर कार्य पूर्ण कर लिया जाता है सूत्रों से यह भी पता चला है कि सारे कार्य का रेट तय है सिर्फ कागजी खानापूर्ति कर और यदि का कागजजी खानापूर्ति में कमी पाई जाती है तो रेट बदल जाते हैं नाम न बताने की शर्त पर कुछ आवेदकों ने बताया कि दो पहिया स्थाई ड्राइविंग लाइसेंस का शासकीय शुल्क संभवत है रुपए 548 रुपए है और दलालों के द्वारा करीब 15 सौ से ₹2000 वसूले जा रहे हैं और तत्काल की स्थिति में 2500 से ₹3000 वसूले जा रहे हैं टू व्हीलर फोर व्हीलर लाइसेंस का शासकीय शुल्क 1498 रुपए है जिसका 3500 से ₹4000 लिए जा रहे हैं इस तरह दलाल और विभाग द्वारा आमजन को लूटा जा रहा है नाम न बताने की शर्तों पर कुछ आवेदकों ने यह भी बताया कि इस विभाग में लाइसेंस और अन्य कोई भी परिवहन संबंधी कार्य सीधे तौर पर नहीं लिए जाते है यहां सभी कार्य दलाली प्रथा से ही स्वीकार किए जाते हैं और यह दलाल आमजन से मनमानी राशि वसूल करते हैं
उपरोक्त फोटो एजेंट राजू का है
एजेंट राजू का शाही बंगला
एजेंट बना करोड़पति
जब से झाबुआ परिवहन विभाग में आरटीओ राजेश गुप्ता पदस्थ हुए उसके बाद से तो मानो एजेंट राजेंद्र राठौड़ उर्फ राजू नामक दलाल के दिन ही फिर गए है यह दलाल आरटीओ साहब के साथ या तो पीए बनकर ब या फिर ड्राइवर बनकर एजेंट का कार्य करता है दो पहिया ,चार पहिया लाइसेंस ,बस फिटनेस आदि की शासकीय राशि शुल्क के तीन गुना से चार गुना राशि लेकर यह एजेंट कार्य करता है परिवहन विभाग से संबंधित कोई भी कार्य बिना इस एजेंट के पूरा नहीं हो सकता |काेई भी फाइल आरटीओ के पास जाने से पहले फाइल राजू दलाल चेक करता है और तब ओके होने पर भी आरटीओ साहब उस फाइल पर दस्तखत करते हैं फाइल में कमी पेशी होने पर राशि की डिमांड बढ़ जाती है इस तरह दलाल दिन दुगनी रात चौगुनी की तर्ज पर पैसा कमा रहा है |इस तरह दलाल जो किराए के मकान में रह कर अपना गुजारा करता था आज आलीशान बंगलों में रहकर ठाट का जीवन जी रहा है आमजन में यह चर्चा है कि इस एजेंट के बंगले में जितने सितारे हैं उतने तो क्षेत्र के विधायक और सांसद के बंगले में भी नहीं होंगे |यह भी चर्चा जोरों पर है कि एजेंट फर्श से अर्श तक इस आरटीओ की मेहरबानी से ही पहुंचा है इस एजेंट की वसूली चाहे बैरियर पर हो या फिर लग्जरी बसों से हो या फिर बसों के परमिट से हो रजिस्ट्रेशन से हो लाइसेंस आदि अनेक प्रकार की वसूली यह दलाल करता है और वसूली आरटीओ साहब और दलाल में बट जाती है हर फाइल में कागज की खानापूर्ति यह कमी पेशी के हिसाब से रेट तय होते हैं यह कहने में भी कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि चंद सालों में ही यह दलाल आरटीओ राजेश गुप्ता की मेहरबानी से रोड पति से करोड़पति बन गया है अगर लोकायुक्त को इसकी शिकायत की जाए तथा आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज किया जाए ताे एक बडा खुलासा हाेने की संभावना है |
उपरोक्त फोटो जिला परिवहन अधिकारी राजेश गुप्ता
आरटीओ अरबपति या ख़रबपति
यूं तो परिवहन विभाग में परिवहन अधिकारी की सब तरह से चांदी ही चांदी होती है लेकिन परिवहन अधिकारी राजेश गुप्ता जब से झाबुआ पदस्थ हुए हैं उन्हें तो मानव झाबुआ ऐसा रम गया मानाे रोज यहां चांदी की बरसात हो रही है आरटीओ सा .कभी भी अपने निश्चित समय पर परिवहन कार्यालय में उपस्थित नहीं होते है यह सिर्फ उस निश्चित समय पर उपस्थित होते है जब दलाल की उपस्थिति कार्यालय पर हाेती है और बाकी समय में मीटिंग में हूं यह कह कर टाल दिया जाता है साहब कार्यालय में कम और मीटिंग में ज्यादा व्यस्त रहते हैं इतनी मीटिंग मैं व्यस्त था तो शायद प्रदेश के मुख्यमंत्री की भी नहीं होते हाेगे|जिस विभाग का एजेंट इन 3 वर्षों में रोड़पति से करोड़पति बन गया हो उस विभाग का आरटीओ अरबपति या खरबपति तो बना ही होगा | चर्चा यह भी जोरों पर है कि साहब झाबुआ छोड़ कर जाना नहीं चाहते हैं | सूत्रों से यह भी चल पता चला है कि साहब इस राजू नामक दलाल पर इतने मेहरबान हैं कि इस दलाल की दो बोलेरो जीप इस विभाग में अटैच है और संभवत बिना निविदा प्रक्रिया के और नियमाे काे ताक मे रखकर गाड़ी इस विभाग में अटैच है साहब की मेहरबानी से ही राजू दलाल इस मुकाम तक पहुंचा है |यदि इनके कार्यकाल की जांच की जाए और आय से अधिक संपत्ति का मामला दर्ज कर भी जांच की जाए तो एक बड़ा खुलासा होने की संभावना है