झाबुआ

आरटीओ के संरक्षण में अंतरराज्यीय बसों में नहीं हो पा रहा है कोविड-19 के नियमों का पालन

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बे रोक-टोक जारी है गुजरात आना-जाना, अंतराज्यीय बसों में नही हो पा रहा है शासकीय नियमों का पालन

बस मालिकों द्वारा मूल किराए से दो से 3 गुना अधिक राशि वसूली जा रही है

झाबुआ – जिले के साथ साथ विभिन्न ग्रामीण इलाकों से बस संचालकों द्वारा यात्रियों को प्रदेश के बाहर लाया जा रहा है और ले जाया जा रहा है इन बस मालिकों द्वारा कोविड-19 के तहत शासन द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन नहीं किया जा रहा है वरन उनकी धज्जियां उड़ाई जा रही है । जिले में बिना परमिट की बसें भी चल रही है या यूं कहें की आरटीओ के संरक्षण में यह बसें बिना परमिशन के चलाई जा रही हैं । साथ ही साथ इन बस मालिकों द्वारा निर्धारित किराए से करीब 2 से 3 गुना अधिक किराया वसूल कर जिले की भोली भाली जनता को किराए के नाम पर लुटा जा रहा है । आरटीओ विभाग जान कर भी अंजान बनकर इन बस मालिकों की जेबें भर रहा है ।

 

जिला मुख्यालय से गुजरात के विभिन्न शहरों तक चलने वाली बसों में भारी मात्रा में यात्रियों को बे रोक-टोक भरा जा रहा है, कोरोना अब शहर से निकल कर ग्रामीण इलाको के गांव गांव व फलिया फलिया तक पहुच गया हैं, जहा से बड़ी संख्या में ग्रामीण मजदूरी के लिए अन्य राज्यो में जाते हैं। लगातार ग्रामीण इलाकों से मजदूरो का आना-जाना लगा रहता है, खास कर महाराष्ट्र और गुजरात जहां कोरोना का संक्रमण  बहुत ज्यादा है। वर्तमान में संक्रमण को देखते हुए रेल सेवा को सरकार ने लगभग बन्द कर रखी है, ऐसे में बड़ी संख्या में मजदूर इन बसों के द्वारा अन्य राज्यो में जा रहे हैं और वहाँ से आ भी रहे हैं, शासन ने नियम व शर्तों के साथ इन बस संचालको को बस संचालन की अनुमति दी गई, लेकिन सभी नियमो को ताक में रख कर बस में ठूस-ठूस कर सवारियां भरी जा रही है और बस में सवारी को बिना किसी सोशल डिस्टन्सिंग को ध्यान में रखकर सीट दी जा रही है और ना ही शासन के मापदंड को धयान मे रखकर बसे संचालित की जा रही हैं ।

बिना परमिट की बसों का भी आवागमन जारी है जिले के आरटीओ के संरक्षण में जिले के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों से बिना परमिट की बसों का आवागमन निरंतर जारी है इन बस मालिकों द्वारा ना तो शासन के नियमों का पालन किया जा रहा है और तो और इन बस मालिकों द्वारा मूल किराए से करीब 2 से 3 गुना अधिक राशि भी वसूली जा रही है उदाहरण के लिए झाबुआ से मोरबी तक का किराया संभवतः ₹500 के करीब है लेकिन बस मालिकों द्वारा करीब 1500 से ₹1800 प्रति सवारी किराए के रूप में वसूल की जा रही है साथ ही साथ बस में सवारियों को ठूंस ठूंस कर भरा जा रहा है जबकि नियमानुसार आरटीओ को इन बसों को समय-समय पर चेक कर कोविड-19 के नियमों का पालन करने के लिए सख्त निर्देश भी दिया जाना चाहिए । लेकिन आरटीओ साहब एसी कमरों में बैठकर अपने दलालों के साथ दलाली प्रथा को बढ़ावा देने में व्यस्त हैं । उन्हें बसों की चेकिंग करने के लिए समय कहां है । झाबुआ में भी करडावद बड़ी के पास ढाबों पर इस तरह बसों का आवागमन हो रहा है और यदि किराए के बारे में सवारी से जानकारी ली जाए तो सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा ।

किसी की जांच की कोई व्यवस्था नही 

गुजरात और महाराष्ट्र की ओर से आने-जाने वाले मजदूरों की किसी प्रकार की जांच नही हो रही है, जिससे बहार से आने वाले मज़दूर कोरोना संक्रमण का शिकार होकर अगर आ जाते हैं तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी, क्योकि कल्याणपुरा के पास के गाँव में बहार से आए मजदूर कोरोना संकृमित निकल चुके हैं । इन यात्रियों की ना तो स्क्रीनिंग की जारी है और ना ही कोरोना जांच हेतु सेंपलिंग की जा रही है जिससे संक्रमण फैलने का भय बना हुआ है । यदि समय रहते अंतर राज्यीय बसों को कोविड-19 के तहत नियमों का पालन करने के लिए सख्त हिदायत नहीं दी गई तो कहीं गुजरात, महाराष्ट्र से संक्रमित होकर आए मजदूर जिले में संक्रमण को बढ़ावा दें, तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी । इसके लिए जिम्मेदार कौन होगा परिवहन विभाग या जिला प्रशासन..?

पूरा खेल बन्दी का 

बसों के नियमो को ताक में रखकर हो रहे संचालन के पीछे पूरा खेल बन्दी का है, क्योंकि ये बसे हजारों किलोमीटर का सफर कई बेरियर, चेक नाके से होकर गुजरती है लेकिन इन बसों को कही दिक्कत नही आती न कोई रोक-टोक होती है, जिसके पीछे की कहानी को आसानी से समझा जा सकता हैं लेकिन जवाबदार परिवहन विभाग मानो आंखों पर पट्टी बांध कर बैठा है । एक और जहां कई शासकीय कर्मचारी कोरोना योद्धा के रूप में काम कर अपनी जवाबदारी पूर्ण कर रहे हैं वही परिवहन विभाग का आरटीओ एसी कार्यालय में बैठकर दलालों के साथ दलाली प्रथा में व्यस्त हैं । जवाबदार केवल अपने कमीशन के चक्कर मे लापरवाही बरत कर जिले में कोरोना के संक्रमण को बढ़ाने में अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग दे रहे हैं। सबसे बड़ी बात कि जिले के आरटीओ विभाग द्वारा भी इन बसों को लेकर चेकिंग अभियान तक भी प्रारंभ नहीं किया है जिससे इन बस मालिक को हौसले बुलंद होते जा रहे हैं ।

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