झाबुआ

आखिर सीएचएमओ और शंकर क्यों मेहरबान है गुलजार पर….

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झाबुआ – झाबुआ जिला मुख्यालय के स्वास्थ्य विभाग में कई कर्मचारी कोविड-19 को देखते हुए आर्थिक लाभ लेने का प्रयास कर रहा है एक तरफ जहां सारा देश कोरोना महामारी से बचाव व रोकथाम के उपाय ढूंढ रहा था तब झाबुआ सीएचएमओ और उनका कर्मचारी शंकर प्रिंटिंग कार्य व रेक खरीदी की प्रक्रिया को अंजाम दे रहा थे । इसमें गुलजार नाम के किसी इंदौरी ठेकेदार की विभिन्न फर्मों से लाखों करोड़ों की बिना निविदा प्रक्रिया के सामग्री खरीदी की और कुछ सामान की प्राप्ति देकर बाकी सब कार्यों में हेराफेरी की । आखिर सीएचएमओ और शंकर क्यों मेहरबान है ..गुलजार ..पर..।।।

जब पूरे देश में लॉक डाउन चल रहा था वही झाबुआ सीएचएमओ कार्यालय में सीएमएचओ और उसके अधीनस्थ कर्मचारी शंकर द्वारा फर्म विशेष को या व्यक्ति विशेष को आर्थिक लाभ देने की प्रक्रिया प्रारंभ की गई ।इसमें इंदौर के किसी ठेकेदार गुलजार की विभिन्न फर्म से सर्वप्रथम प्रिंटिंग कार्य का करीब 40 लाख का आदेश दीया गया । और इसी दौरान कोविड-19 को लेकर प्रिंटिंग कार्यो के करीब 12 लाख के बिल भुगतान हेतु प्रेषित किए गए । विभागीय गलियारों से जब पता लगाने का प्रयास किया तो यह जानकारी मिली की प्रिंटिंग कार्य मात्र 2 से ₹3 लाख का हुआ है बाकी सब भुगतान करके आर्थिक हिस्सेदारी लेने का प्रयास किया गया । उसके बाद संभवत अप्रैल माह में रैक खरीदी के लिए भी गुलजार की किसी फर्म को करीब 25 लाख रुपए का आर्डर बिना किसी निविदा प्रक्रिया के दिया गया । विभाग से भी पता लगाने पर जानकारी मिली कुछ मात्रा में खरीदी गई बाकी सब कागजों पर ही खरीदी पूर्ण बता दी गई । आख़िर क्या कारण है की स्वास्थ्य विभाग गुलजार पर पूर्ण रूप से मेहरबान है जहां एक तरफ जहां इस कोरोना काल में डॉक्टर , नर्सेज और अन्य स्टाफ अपनी सेवाएं देकर कोरोना योद्धा के रूप में कार्य कर रहे हैं । वहीं कई सामाजिक संस्थाएं छोटे छोटे रूप में गरीब वर्ग को राशन उपलब्ध करा रही है वही स्वास्थ्य विभाग के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी इस तरह के भ्रष्टाचार को बढ़ावा देकर कौन से योद्धा के रूप में काम कर रहे हैं । संभवत सीएचएमओ का रिटायरमेंट विगत दो-तीन माह में होना है और जाते-जाते इस तरह भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना कहां तक उचित है । आज शाम को भी गुलजार अपनी फॉर्च्यूनर गाड़ी से सीएचएमओ साहब के बंगले पर धोक लगाने गया था । क्योंकि साहब शासकीय अवकाश पर है । आखिर क्या कारण है कि बिना निविदा प्रक्रिया के लाखों करोड़ों के आर्डर दिए जा रहे हैं आखिर क्या कारण है कि गुलजार फॉर्च्यूनर से आता है और लाखों करोड़ों के आर्डर लेकर चला जाता है जबकि लोकल स्तर पर भी बहुत सारी फर्मे हैं जो उसी तरह कम दरों में बिना निविदा प्रक्रिया के काम कर सकती है ।आखिर कौन है वह शंकर जो गुलजार के लिए शासकीय नियमों को तार-तार कर रहा है । आखिर क्या कारण है कि स्वास्थ्य विभाग इस गुलजार पर पूर्ण रुप से मेहरबान है । क्या शासन प्रशासन इस ओर ध्यान देकर स्वास्थ्य विभाग में कौराना काल के दौरान संपूर्ण खरीदी की जांच करेगा ….. ? क्या जांच में दोषी पाए जाने पर सीएचएमओ और शंकर पर कार्रवाई होगी या फिर यह गुलजार यूं ही फॉर्च्यूनर से आता रहेगा और लाखों करोड़ों के आर्डर ले जाता रहेगा…..।

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