झाबुआ – वन विभाग की मनमानी कार्यशैली के किस्से जिले में रोज-रोज सुनने को मिल रहे हैं पिछली बार हमने बताया था कि किस प्रकार वन विभाग द्वारा पूर्व में 6 से 7 रुपए किलो की सामग्री ₹ 30 प्रति किलो की दर से खरीदी की थी हाल ही में एक और मामला सामने आया है कि वन विभाग द्वारा बिना जीएसटी वाली फर्मे से सामग्री खरीदी की तथा विभाग द्वारा भूगतान किए गए बिलों में जीएसटी को लेकर बिल में कोई जानकारी नहीं थी । जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि कर चोरी की गई हो ।
जानकारी अनुसार वन विभाग अंतर्गत वन परिक्षेत्र अधिकारी पेटलावद द्वारा मार्च 2024 में वनरक्षक नाका स्थल रायपुरिया निर्माण में कई सामग्री खरीदी की गई जिसमें बिलों में किस कंपनी की सामग्री खरीदी गई है को लेकर कोई जानकारी नहीं है साथ ही साथ विभाग द्वारा जिस फर्म से इस निर्माण कार्य में उरीसापान या टायलेट शीट , वास बेसिन , नल आदि खरीदे गए हैं उस कंपनी को लेकर भी कोई जानकारी नहीं है जो यह दर्शाता है कि लोकल कंपनी की टायलेट शीट व अन्य सामग्री खरीदी गई थी जबकि बिल में उरीसापान ₹1400 प्रति नग दर्शाया गया है जबकि वह सामान्यतः बाजार में ₹500 प्रति नग की दर में उपलब्ध है वही वॉश बेसिन ₹ 1000 प्रति नग दर्शाया गया है जबकि बाजार में सामान्य कंपनी का ₹ 400 उपलब्ध है वही किचन सिंक भी 1800 रुपए प्रति नग दर्शाया गया है जबकि बाजार में सामान्य कंपनी का स्टील सिंक ₹1000 प्रति नग की दर पर उपलब्ध है । इसके अलावा एल्यूमीनियम खिड़की, फ्रेम मच्छर जाली आदि सामग्री खरीदी के बिल तो दर्शाये गए हैं जबकि इन बिलों में किसी भी तरह का टैक्स को लेकर कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है । जबकि शासन के निर्देशानुसार सामग्री खरीदी में जीएसटी को लेकर जानकारी उपलब्ध होना आवश्यक है । इस प्रकार नल व अन्य सामग्री भी अधिक दरों में खरीदी की गई है जो जांच का विषय है यहां यह जरूर है यह सामग्री छोटी-छोटी है लेकिन इनकी दरे लगभग दुगनी नजर आ रही है । वही वन परिक्षेत्राधिकारी पेटलावद द्वारा बीट बनी के कक्ष क्रम 356 कचरा खदान में फरवरी 2024 में आरडीएफ योजना अंतर्गत वृक्षारोपण क्षेत्र में उपयोग हेतु गेट खरीदी कार्य किया गया । जिसमें फर्म द्वारा सादे कागज पर बल दिया गया है तथा इसमें किसी भी प्रकार का जीएसटी नंबर का उल्लेख नहीं है और नहीं जीएसटी को लेकर कोई जानकारी उपलब्ध है जो संभवतः कर चोरी की श्रेणी में आता है । साथ ही यह गेट 110 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से खरीदा गया है।जबकि आम बाजारों में या ₹ 90 प्रति किलो की दर से उपलब्ध है । इस तरह के गेट खरीदी के और बोर्ड बनवाई के दर्जनों बिल आपको देखने को मिल सकते हैं । जो राशि में हजारों में नजर आ रहे हैं । वही अक्टूबर 2023 में वन मंडलाधिकारी वन परीक्षेत्र झाबुआ में धार की किसी फर्म, जो की केमिकल्स और मिनरल्स में डील करती है उनसे दो भारी सरिया खरीदी की गई , जो की समझ से परे है । यह खरीदी नल्दी छोटी में शेड निर्माण कार्य के लिए की गई थी । इस प्रकार इस विभाग में छोटे-छोटे बिल जो हजारों में नजर आते हैं लेकिन यदि इन सबको इकट्ठा किया जाए तो राशि लाखों करोड़ों रुपए में नजर आने लगेगी । इस प्रकार विभिन्न वन परिक्षेत्राधिकारियों द्वारा मनमानी पूर्वक अधिक दरो में सामग्री की खरीद कर , शासन को आर्थिक नुकसान पहुंचाया जा रहा है । सूत्रों की बात पर विश्वास करें तो यह सारे बिल और खरीदी , इस विभाग के कंप्यूटर बाबू के इशारों पर हो रहे हैं जो वर्षों से इस विभाग में जमा हुआ है और अपनी जेबें गर्म करने में लगा हुआ है ।
आने वाली खबरों में ओर भी खरीदी को लेकर जानकारी साझा की जावेगी ।