झाबुआ

व्यक्ति जैन बने या ना बने,जीवन में एक अच्छा इंसान जरूर बने – साध्वी श्री पंकज श्री जी

Published

on

झाबुआ – अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी के निर्देशानुसार अणुव्रत समिति जिला झाबुआ व तेरापंथ समाज झाबुआ द्वारा 77 वा अणुव्रत स्थापना दिवस साध्वी श्री पंकज श्री जी आदि ठाणा -3 के पावन सानिध्य में मनाया गया । इस अवसर पर अणुव्रत रैली भी निकाली गई तथा रैली के माध्यम से आमजनों से अणुव्रत नियमों को आत्मसात  कर , जीवन को नैतिक व संयमित बनाने की अपील की गई ।

अणुव्रत समिति व तेरापंथ समाज झाबुआ द्वारा शनिवार को शहर के बावन जिनालय मंदिर में अणुव्रत स्थापना दिवस साध्वी श्री पंकज श्री जी आदि ठाणा -3 के पावन सानिध्य में मनाया गया । कार्यक्रम पूर्व अणुव्रत रैली निकाली गई , जो शहर के राजवाड़ा से प्रारंभ होकर ,आजाद चौक,  बाबेल चौराहा , थांदला गेट , छत्री चौक रूनवाल बाजार होते हुए बावन जिनालय मंदिर पर समाप्त हुई । रैली के दौरान समाज जनों ने जयकारे अणुव्रतो का क्या संदेश व्यसन मुक्त हो सारा देश….. के साथ अणुव्रत गीत का संगान करते हुए निकले तथा आमजनों से अणुव्रत के नियमों का पालन करने की अपील की गई । रैली 52 जिनालय मंदिर पर समाप्त हुई और धर्म सभा में तब्दील हुई । सर्वप्रथम साध्वी श्री पंकज श्री जी ने नमस्कार महामंत्र के जाप के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की । तत्पश्चात युवक परिषद के सदस्यों ने अणुव्रत गीत का संगान किया । पश्चात अणुव्रत समिति अध्यक्ष पंकज कोठारी ने स्वागत भाषण दिया तथा अणुव्रत के बारे में जानकारी प्रदान करते हुए कहा कि 1 मार्च 1949 में तेरापंथ धर्मसंघ के नवमे आचार्य व राष्ट्रसंत आचार्य श्री तुलसी ने अणुव्रत की स्थापना की तथा अणुव्रत के नियमों को बनाया । तब से‌ ही प्रतिवर्ष 1 मार्च को अणुव्रत स्थापना दिवस मनाया जाता है । तेरापंथ सभाध्यक्ष मितेश गादीया ने बताया कि अणुव्रत में अणु याने छोटे-छोटे तथा व्रत याने नियम , अर्थात छोटे-छोटे नियमों का पालन करना ही अणुव्रत कहलाता है । साध्वी श्री शालीन प्रभा जी द्वारा अणुव्रत के नियमों के बारे में जानकारी प्रदान करते हुए बताया कि अणुव्रत किसी धर्म, जाति, संप्रदाय या वर्ग विशेष के लिए नहीं है वरन् संपूर्ण मानव जाति के कल्याण के लिए है । पश्चात महिला मंडल झाबुआ द्वारा गीतिका की प्रस्तुति दी ।

साध्वी श्री शारदा प्रभा जी ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए बताया कि भगवान महावीर ने बताया संयम महा खलु जीवनम,  याने जिसके जीवन में संयम है वही जीवन है भगवान महावीर के नियमों को जीवन में उतारने पर हम संयमी जीवन जी सकते हैं हमारे आराध्य या जो भी शिक्षा देते हैं उसे हम जीवन में उतारेंगे या उसका पालन करेंगे तो हम जीवन में परिवर्तन ला पाएंगे। वही अणुव्रत एक ऐसा नियम है जिसका लाभ जैन , अजैन‌ सभी तक पहुंचाने के लिए आचार्य से तुलसी ने इसकी स्थापना की । मनुष्य में आकांक्षाएं बढने पर अनैतिकता आती है तथा आकांक्षाएं कम होने पर हम नैतिकता की ओर बढ़ने का प्रयास कर सकते हैं ।आपने यह भी बताया कि जब 1949 में अणुव्रत की स्थापना हुई , तब पहले दिन ही करीब 80 लोग अणुव्रती बने थे । अणुव्रत के नियमों की पूजा नहीं करें , वरन इन नियमों को जीवन में उतार कर ,नैतिकता व समतामय जीवन जीने का प्रयास करें । साध्वी शारदा प्रभा जी ने अणुव्रत के 11 नियमों के बारे में बताए  1.मैं किसी ने निरपराध प्राणी का संकलपूर्वक वध नहीं करूंगा । 2.मैं किसी पर आक्रमण नहीं करूंगा । 3. मैं हिंसात्मक उपद्रव एवं तोड़फोड़ मूलक प्रवृत्तियों में भाग नहीं लूंगा । 4. मैं मानवीय एकता में विश्वास रखूंगा 5.मैं धार्मिक सहिष्णुता का भाव रखूंगा 6.मैं व्यवसाय और व्यवहार में प्रमाणिक रहूंगा 7. मैं ब्रह्मचर्य की साधना और संग्रह की सीमा का निर्धारण करूंगा 8.मैं चुनाव के संबंध में अनैतिक आचरण नहीं करूंगा 9. मैं सामाजिक कुरुढियों का प्रश्रय नहीं दूंगा ।10. मैं व्यसन मुक्त जीवन जीयूगा  । 11.में पर्यावरण की समस्या के प्रति जागरूक रहूंगा ।

साध्वी श्री पंकज श्री जी ने‌ धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा अणुव्रत का जन्म दिवस मना रहे हैं और अणुव्रत  तो तीर्थंकरों से चला आ रहा है भगवान महावीर के बाद आचार्य श्री तुलसी ने अणुव्रत की शुरुआत की । जिसका उद्देश्य जीवन में प्रामाणिकता लाना तथा नैतिक व संयमित जीवन जीना । अणुव्रत कहता है कि आपकी वाणी और व्यवहार कैसा है । व्यक्ति जैन बने या ना बने एक अच्छा इंसान अवश्य बने । भगवान महावीर ने कहा जो व्यक्ति चरित्र को सुरक्षित रखता है उसके जीवन में कभी आंच नहीं आती है। इसलिए हमें हमेशा चरित्र रूपी पेटी को सुरक्षित रखना चाहिए ।यदि हमारा चरित्र उच्च कोटि का होगा ,तो समाज व राष्ट्र का चरित्र भी ऊंचा उठेगा । महात्मा गांधी जी ने कहा जब तक मेरे देश के नागरिक चरित्रवान रहेंगे , तब तक मेरा देश ऊंचा रहेगा ।‌ साध्वी श्री ने बताया कि आचार्य तुलसी ने अणुव्रत के जो नियम दिए हैं उनको जीवन में अपनाकर , हम नैतिक व प्रामाणिक बन सकते हैं । अणुव्रत को अपना कर हम अपने जीवन में बहुत कुछ पा सकते हैं अणुव्रत का यह नारा …बदले जीवन धारा  । आज की इस युग में आमजन पैसा इकठ्ठा करना चाहता है और ईमानदारी को छोड़ता चला जाता है और यदि हम अणुव्रत को अपनाते हैं तो तो पैसे को महत्व न देते हुए , ईमानदारी को इकट्ठा करने का प्रयास करेंगे । गुरुदेव आचार्य श्री महाश्रमण जी फरमाते हैं जीवन को बदलते हुए तथा निज पर शासन फिर अनुशासन को परिभाषित करते हुए बताया पहले हमें स्वयं पर अनुशासन करना चाहिए पश्चात दूसरों पर अनुशासन करने का प्रयास करना चाहिए । आत्मा की चादर को उज्जवल बनाओगे तो ही अणुव्रती बन पाओगे । अणुव्रत का उद्देश्य है सब में जागृति आए और मानव जीवन का नवनिर्माण हो सके । साध्वी श्री ने यह भी बताया कि जब पूर्व में प्रधानमंत्री राजीव गांधी और राष्ट्र संत आचार्य श्री तुलसी की आध्यात्मिक चर्चा हुई , तब आचार्य से तुलसी ने कहा मेरे पास 700-800 चारित्र आत्माओं की फौज है जो अणुव्रत के नियमों को जन जन तक पहुंचा सकते हैं यह भी कहा जैसे कि सत्य की परिभाषा राजा हरिश्चंद्र के द्वारा बोली जाती थी वेसै ही सत्य को उजागर करने के लिए मैं अणुव्रत आंदोलन लेकर आया हूं । जिसका उद्देश्य मैत्री ,एकता, शांति , आध्यात्मिक और नैतिक मूल्यों की प्रतिष्ठा । साथ ही जाति, रंग ,संप्रदाय , देश और भाषा का भेदभाव न रखते हुए मनुष्य मात्र को आत्म संयम की प्रेरणा देना । उसके बाद महिला मंडल से हंसा गदिया,दीपा गादिया व ऐजल गादिया ने सुंदर नाट्य प्रस्तुति के माध्यम से नशा नाश का कारण है समझाया । कार्यक्रम में कल्याणपुरा महिला मंडल द्वारा भी गीतिका की प्रस्तुति दी गई  । साथ ही उपासीका मंजु पीपाड़ा द्वारा अणुव्रत के नियमों पर प्रकाश डाला गया । कार्यक्रम का सफल संचालन साध्वी श्री शारदा प्रभा जी द्वारा किया गया व आभार अणुव्रत समिति सचिव पियूष गादिया ने किया ।

Trending