झाबुआ – झाबुआ के स्वास्थ्य विभाग में इंदौरी बाबू की मनमानी और हठधर्मिता का आलम लगातार जारी है। यह इंदौरी बाबू स्वास्थ्य विभाग में सामग्री सप्लाई से लेकर आउटसोर्स कर्मचारी को सैलरी के अनुपात अनुसार प्रोविडेंट फंड और ESIC की राशि कर्मचारियों को दी है या नहीं …..यह गंभीर जांच का विषय है यदि PF जमा नहीं किया जाता है तो इस स्थिति में क्या फिर FIR दर्ज हो सकती है ।
जिले के स्वास्थ्य विभाग में विभिन्न सेवाओं अंतर्गत कर्मचारीयो की आवश्यकता के लिए आउटसोर्स पद्धति पर इंदौर के किसी इंदौरी बाबू (पाठक) की फर्म को कार्य दिया गया । इस कार्य अंतर्गत जिला अस्पताल ,सिविल अस्पताल , सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ,प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र एवं उप स्वास्थ्य केंद्रों में आउटसोर्स पद्धति के माध्यम से सेवाएं ली जाना थी यह कार्य संभवत किसी इंदौरी बाबू की फर्म को अक्टूबर 2021 से 2024 तक के लिए नियम अनुसार आदेशित किया गया । करीब करीब 250 से अधिक कर्मचारी आउटसोर्सिंग पद्धति के माध्यम से जिला स्वास्थ्य विभाग में इन सभी केंद्रों पर सेवाएं उपलब्ध करा रहे थे सूत्रों का कहना है कि जहां आउटसोर्सिंग पद्धति में सफाई कर्मचारी को रू12000-16000 की सैलरी देना दर्शीई जा रही थी वहीं डाटा एंट्री ऑपरेटर की सैलरी 16000-22000 और सिक्योरिटी गार्ड की 12000-16000 की स्लैब अंतर्गत सैलरी देना बताया गया । सूत्रों का कहना है कि आउटसोर्सिंग कंपनी द्वारा फर्जी दस्तावेजों के आधार पर या दस्तावेजों को एडिट कर सीएमएचओ और सिविल सर्जन को बिल दिए गए और भुगतान हो गया । जबकि वास्तविकता में सफाई कर्मचारी को संभवत ₹6000 , सिक्योरिटी गार्ड को ₹7000 प्रतिमाह व डाटा एंट्री ऑपरेटर को रू 7500 हजार रुपए प्रतिमाह सैलेरी दी जा रही थी और यदि इस बात की पुष्टि करना हो तो संबंधित फर्म के बैंक स्टेटमेंट से इसकी पूरी सत्यता साबित हो सकती है और तो और जहां संबंधित इंदौरी बाबू की फर्म को सैलरी के बाद 18 प्रतिशत जीएसटी , 13.25% पीएफ और 3.25 प्रतिशत ESIC की राशि, इस प्रकार राशि दी जा रही थी लेकिन इंदौर बाबू की फर्म ने संभवतः इन सभी कर्मचारियों की PF की राशि जमा कराई है या नहीं …..यह गंभीर जांच का विषय है । सूत्रों का यह भी कहना है कि इस इंदौरी बाबू की फर्म ने ESIC की राशि भी कर्मचारियों को नहीं दी है । वही श्रम विभाग अंतर्गत मजदूरी के लिए अकुशल ,,अर्धकुशल , कुशल और उच्च कुशल श्रेणी के अंतर्गत भुगतान किया जाता है । श्रमिकों की कार्य क्षमता अनुसार सेलेरी दी जाती है । सूत्रों के अनुसार स्वास्थ्य विभाग द्वारा सैलरी के अलावा जीएसटी, पीएफ, ESIC सभी राशि का भुगतान किया गया । लेकिन संबंधित फर्म द्वारा कर्मचारीयो को PF और ESIC का भुगतान किया गया या है नहीं , जांच का विषय है । सूत्रों के अनुसार या समझने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा आउटसोर्सिंग कंपनी को श्रमिक की किसी श्रेणी के अंतर्गत 393 प्रतिदिन की मजदूरी दी है तथा 26 कार्य दिवस के लिए करीब 10218 रुपए प्रतिमाह होती है उसके बाद 18 पर्सेंट जीएसटी, 13.25 परसेंट PF और 3.25% ESIC की राशि दी जाती है । इस प्रकार करीब ढाई सौ मजदूरी की सैलेरी की गणना की जाए , तो यह महीने में लाखों रुपए होती है और वर्षभर में करोड़ों रुपए होती है । और तीन वर्ष में यह राशि 12 करोड़ से अधिक है । यदि PF की गणना की जाए तो संभवतः यह राशि भी करोड़ों में होती है । वही श्रम विभाग को इसकी जांच करना चाहिए , कि संबंधित फर्म द्वारा PF जमा किया है या नहीं …..और यदि नहीं तो नियमानुसार संबंधित फर्म पर कारवाई की जाना चाहिए । इसके अलावा लैब अंतर्गत ऑक्सीजन टेक्नीशियन ,किचन में कर्मचारी , ई हॉस्पिटल , डीसी अंतर्गत कर्मचारियों या आउटसोर्सिंग का कार्य 2017 से इंदौरी बाबू की फर्म द्वारा किया जा रहा है और संभवतः उसके बाद से ही इसके लिए टेंडर नहीं हुए हैं । इस प्रकार इंदौरी बाबू द्वारा स्वास्थ्य विभाग अंतर्गत कर्मचारी को कम वेतन देकर और पीएफ की राशि नहीं देकर भी लूटा गया है जो गंभीर जांच का विषय है । क्या श्रम विभाग इस कार्य प्रणाली को लेकर कोई जांच करेगा ।