झाबुआ

क्रोध,मान, माया, लोभ रूपी कषायो का  शमन कर, क्षमा और मैत्री की होली खेले :- साध्वी शालीन प्रभा जी

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झाबुआ – आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी पंकज श्री जी आदि ठाणा-3  के पावन सानिध्य में होली चातुर्मास के शुभ अवसर पर मंगल प्रवचन का आयोजन रूनवाल बाजार स्थित स्थानक महावीर भवन में किया गया । कार्यक्रम में होली पर्व को किस प्रकार धार्मिक तौर पर मनाया जाए , विस्तार पूर्वक बताया गया और कषायो का शमन कर क्षमा और मैत्री की होली खेलने की प्रेरणा दी ।

होली चातुर्मास को लेकर मंगल प्रवचन सुबह 10:00 बजे महावीर भवन में आयोजित हुए  । साध्वी श्री शालीन प्रभा जी ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा कि होली रंगों का त्यौहार है और इन रंगों का हमारे जीवन में महत्व है लाल रंग गर्म है लाल रंग गर्म का परिचायक है तथा वह शरीर को स्फूर्ति प्रदान करता है वह मां को उत्तेजित करता है नीला रंग रोग नाशक होता है साथ ही नीले रंग का ध्यान करने से सहनशीलता बढ़ती है हरा रंग ना गर्म होता है और नहीं ठंडा होता है यह मध्य होता है इस रंग से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है मन में प्रेम और भावना का प्रेम भावना का विकास होता है ज्ञान केंद्र पर पीले रंग का ध्यान करने से शरीर में स्मृति का विकास होता है । पीला रंग शुभ भी माना जाता है । साथ ही मन का मानसिक संतुलन बना रहता है और मैत्री भावना का विकास होता है । काला रंग गर्म होता है और वह शरीर को सुरक्षा प्रदान करता है । काला रंग सुरक्षा के साथ आत्मा को उजागर करने के लिए भी होता है। हम भी वकील की तरह काले रंग का सदुपयोग करे । वही  सफेद रंग का ध्यान करने से हमारा बीपी नार्मल हो जाता है और निर्णय लेने की शक्ति में वृद्धि होती है साथ ही कषाय भी शांत हो जाते है । आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी द्वारा प्रेक्षा ध्यान की प्रणाली इन रंगों के आधार पर ही प्रारंभ की गई थी क्रोध ,मान ,माया, लोभ रूपी कषायो की चिकित्सा रंगों से की जा सकती है ।

साध्वी शारदा प्रभा जी ने धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा भारत देश में 365 दिन पर्व मनाये जाते हैं दो तरीके से पर्व मनाते हैं लौकिक और अलौकिक । साल में चार पर्व विशेष रूप से मनाते हैं बांदली याने रक्षाबंधन। राखी का पर्व हमें यह बताता है कि हम आत्मा की सुरक्षा कैसे करें । जपली याने नवरात्रि व पयूषण पर्व। इस दौरान मंत्रो की विशेष आराधना की जाती है । जैन धर्म में  नमस्कार महामंत्र की एक शुद्ध माला फेरने से एक उपवास का लाभ मिलता है । मनाली याने दीपावली । इस पर्व पर सिर्फ दीपों की दिवाली ना मना कर कषायो का शमन कर दीपावली मनाएं । होली पर शत्रु के दिल पर क्षमा का गुलाल लगाए । आत्मा की होली रंगों से नहीं वरन क्षमा और मैत्री से खेले । साध्वी श्री ने यह भी विशेष रूप से कहा कि इस वर्ष ऐसी मनाई होली, भर जाए खुशियों की झोली ।

साध्वी श्री पंकज श्री जी धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहा होली पर ऐसा संकल्प करते हुए कार्य करें, जिससे आपका जीवन सफल बन जाए । इस त्यौहार पर एक दूसरे के लिए मंगलभावनाए प्रेषित करें । आपने यह भी बताया कि जन्म और मृत्यु निश्चित है आने वाले जीव को रोका जा सकता है पर मृत्यु को टाला नहीं जा सकता । श्री कृष्ण ने गीता में कहा की दो प्रकार से दलाली की जा सकती है पाप की दलाली और धर्म की दलाली । पाप की दलाली में कार्य करने पर हाथ काले हो जाएंगे और धर्म की दलाली करने पर आपके हाथ घी की तरह चिकने और साफ सुथरे हो जायेंगे । हमें इस लौकिक पर्व को त्याग व तपस्या के माध्यम से मनाना चाहिए । साथ ही इस पर्व को आध्यात्मिक और धार्मिक तौर पर भी मनाना चाहिए । कार्यक्रम के अंत में साध्वी वृंद द्वारा सुंदर गीतिका की प्रस्तुति दी गई अंत में साध्वी श्री द्वारा मंगल पाठ सुनाया गया ।

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