विश्व होम्योपैथिक दिवस हर साल 10 अप्रैल को मनाया जाता है। यह दिवस होम्योपैथी के जनक डॉ. सैमुअल हैनिमन (Dr. Samuel Hahnemann) की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। डॉ. हैनिमन का जन्म 10 अप्रैल 1755 को हुआ था, और उन्होंने होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति की नींव रखी थी।
इस दिन का उद्देश्य:
होम्योपैथी के महत्व और योगदान को पहचान देना।
इस चिकित्सा प्रणाली के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाना।
स्वास्थ्य सेवा में होम्योपैथी के बढ़ते योगदान को प्रोत्साहित करना।
थीम (वर्ष अनुसार):
हर साल इसकी एक विशेष थीम (विषय) होती है जो उस वर्ष की प्राथमिकताओं को दर्शाती है। अगर आप 2025 की थीम जानना चाहते हैं, तो मैं उसे अभी वेब से ढूंढ सकता हूँ।
वरिष्ठ रोटेरियन यशवंत भंडारी ने बताया कि होम्योपैथिक ईलाज से गम्भीर से गम्भीर बिमारी को भी ठिक होते देखा है
डॉक्टर नितीन सौनी ने होम्योपैथिक से होने वाले फायदे के ऊपर प्रकाश डाला और स्वय के बडे भाई को कैसर से फायदा हुआ वह भी बताया
डॉक्टर लोकेश दवे ने होम्योपैथिक ईलाज से ऐलोपेथिक ईलाज तुरन्त होता है आप किसी प्रकार की भ्रान्ति से बचे
मंच पर वरिष्ठ रोटेरियन नसरुद्दीन पिटोलवाला डॉक्टर चारुदत्त दवे डॉक्टर लोकेश दवे रोटेरियन उमंग सक्सेना रोटेरियन रोटेरियन मनोज अरोरा अध्यक्ष ईदरिस बोहरा सचिव मनोज पाठक मंच उपस्थित रहे