झाबुआ – जिले में अधिकारी कर्मचारी की मनमानी का आलम यह है कि यह सरकारी नौकरी करते करते अपने रिश्तेदार के माध्यम से कब सप्लायर बन जाते हैं पता ही नहीं चलता। लेकिन इन सप्लायर का तानाशाह रवैए के बाद पता चलता है कि यह तो सरकारी कर्मचारी का रिश्तेदार होने का फायदा उठाकर वर्षो से शासन को चूना लगाने में व्यस्त रहता है कुछ ऐसा ही रामा ब्लॉक के अंतर्गत कार्यरत कर्मचारी की तानाशाही के बाद पता चला कि यह सरकारी नौकर बहुत ही कम समय में सप्लायर बन गया है ।
जानकारी अनुसार रामा ब्लॉक के बीआरसी कार्यालय में अज्जू नाम का सरकारी नौकर अपने रिश्तेदार की फर्म के माध्यम से सप्लायर बन गया है । सूचना के अधिकार अधिनियम से प्राप्त जानकारी अनुसार वर्ष 2024-25 रामा विकासखंड के जनशिक्षा केन्द्र रोटला अंतर्गत विभिन्न शासकीय स्कूलों द्वारा विभिन्न मदों अंतर्गत सामग्री की खरीदी अज्जू के रिश्तेदार की फर्म से खरीदी की गई थी । साथ ही क ई सामग्री बाजार भाव से अधिक दामों में खरीदी कर शासन को आर्थिक नुकसान पहुंचाया गया । क ई सामग्री तो इस संकुल अंतर्गत कम दरों पर अन्य फर्म से खरीदी गई । वही सामग्री अज्जू के रिश्तेदार की फर्म से अधिक दामों में खरीदी गई । विशेष रूप से सुरक्षित विघालय वातावरण निर्माण हेतु साहित्य व अन्य सामग्री खरीदी गई थी क्या यह साहित्य आज भी स्कूलों में उपलब्ध है या सिर्फ बिल बनाकर भुगतान किया गया । वही अज्जू के रिश्तेदार की फर्म द्वारा ईको एवं यूथ क्लब अंतर्गत….कबाड़ से जुगाड हेतु सामग्री किट… दिया गया था । जबकि अन्य संकुल केंद्र अंतर्गत इस तरह के बिल नजर नहीं आए । इसके अलावा भी अज्जू के रिश्तेदार की फर्म से सामग्री की दरें, अन्य फर्म की दरें से अधिक है । विशेष रूप से अज्जू के रिश्तेदार की फर्म द्वारा जनशिक्षा केन्द्र रोटला अंतर्गत करीब नब्बे से अधिक बिल एक वित्तीय वर्ष में देखने को मिले । वही इन नब्बे से अधिक बिलों के माध्यम से करीब 8-9 लाख रुपए की सामग्री सप्लाई अज्जू ने अपने रिश्तेदार की फर्म से की है । यह तो संभवतः एक संकुल केंद्र का है संभवतः रामा ब्लॉक अंतर्गत नौ से दस संकुल केंद्र आते हैं । इसके अलावा इन नब्बे से अधिक बिलों में जीएसटी को लेकर कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है याने किस सामग्री पर कौन सी दर से जीएसटी वसूला गया है । चूंकि सभी सामग्री पर जीएसटी की दर अलग-अलग होगी । । कुछ सामग्री पर जीएसटी 5 प्रतिशत तो कुछ पर 12 प्रतिशत तो कुछ पर 18 प्रतिशत जीएसटी हो सकता है । इस प्रकार अज्जू के रिश्तेदार की फर्म ने जीएसटी विभाग को भी अपने जीएसटी रिटर्न में ग़लत जानकारी तो नहीं दी । वही सूचना के अधिकार अधिनियम अंतर्गत प्राप्त जानकारी अनुसार आवेदक ने सभी बिलों को जीएसटी विभाग से वेरीफाई कराने की बात भी कही । अगर जीएसटी विभाग यदि नियमानुसार इन बिलों की जांच करता है तो संभवतः जीएसटी चोरी की भी संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है । खैर सभी संकुलों से बिल प्राप्त होने पर आवेदक इन बिलों की प्रतिलिपि जीएसटी विभाग को सौंपने की बात कर रहा है और जांच कराने की बात भी कह रहा है ।
लेकिन इन सब के बीच भाजपा के राज़ में अज्जू जैसा सरकारी नौकर भी अपने रिश्तेदार की फर्म से सप्लायर बन गया है जो गहन चिंतन का विषय है । भाजपा के राज़ में आज भी कार्यकता निष्ठा व ईमानदारी से कार्य कर रहा है और प्रदेश में सरकार होने के बाद भी जिले में सप्लायर के तौर पर कार्य नहीं कर रहे हैं । भाजपा की लचीली कार्यप्रणाली के कारण अज्जू अपनी मनमानी करने में सफल हो रहा है । जबकि अज्जू प्रतिनियुक्ति पर कार्य कर रहा है और संभवतः प्रतिनियुक्ति अवधि समाप्त होने के बाद भी संबंधित विभाग द्वारा इस सरकारी नौकर को मूल पद पर न भेजना, जांच का विषय है । क्या भाजपा और प्रशासन अज्जू जैसे सरकारी नौकर जो बन गया है कि कार्यप्रणाली को लेकर कोई जांच और कार्यवाही करेगा या फिर अज्जू रामा ब्लॉक में सप्लायर बनकर लाखों करोड़ों के वारे-न्यारे करता रहेगा ।
आवेदक ने बताया कि सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत जनजातीय कार्य विभाग सहायक आयुक्त से रामा ब्लाक अंतर्गत सभी संकुलों से जानकारी मांगी गई, लेकिन अभी तक आधे संकुलों से ही जानकारी प्राप्त हुई है जबकि सहायक आयुक्त द्वारा पत्र के माध्यम से सभी संकुल प्राचार्य और खंड शिक्षा अधिकारी को जानकारी देने की बात कही है। लेकिन इस विकासखंड में सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी उपलब्ध नहीं करा रहे हैं जो कि अधिनियम की अवहेलना की श्रेणी में आता है। क्या खंड शिक्षा अधिकारी इस ओर ध्यान देंगे ।
आने वाली खबर में अज्जू के रिश्तेदार की फर्म से खरीदी गई सामग्री का बाजार भाव से तुलनात्मक अध्ययन और उसी आधार पर शासन को आर्थिक हानि को लेकर खबर का प्रकाशन…..