झाबुआ

अविचल ने प्राकृतिक सौंदर्यता से मोहित होकर 3 गीतों का गायन व फिल्मांकन झाबुआ में किया….

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झाबुआ- बरसात के इस बेइंतहा खूबसूरत मौसम में जब प्रकृति अपने पूरे यौवन पर है जहां धरती ने हरियाली की चादर ओढ़ रखी है जहां नदियों में पानी झिलमिल बह रहा है इन प्राकृतिक दृश्यो को देखकर एक उभरते युवा कलाकार को झाबुआ के इस सुरम्य वातावरण ने इतना मोहित कर लिया कि उसने अपने तीन गीतो का गायन व फिल्मांकन ही झाबुआ की इन हसीन वादियों में कर डाला।

?जी हां हम बात कर रहे है ऐसे कलाकार की जो मुम्बई के नरसिंह मुंजी कालेज से ला में एम. बी. ए. की पढ़ाई कर रहे ,मूलतः इंदौर के रहने वाले गायक एवं वादन में उभरते कलाकार अविचल शर्मा, झाबुआ निवासी अपने मामा श्री अजय रामावत के घर आये हुवे है। यहां उनके छोटे भाई बहन- करीश रामावत एवम सौम्या के साथ जब वे तफरी पर निकले तो झाबुआ के समीप हाथीपावा (रमणीय स्थल )को देखकर, धरती हरियाली की चादर ओढ़े हुए, ठंडी हवाओं के साथ प्रकृति के सौंदर्य ने अविचल के मन को मोहित कर दिया और गाना – हे मांजा तेरा तेज दिल की पतंग को कांटे …….गीत का संगान किया । अनास नदी व आसपास बिखरी प्राकृतिक छटा और झिलमिल बहते पानी ने भी इतना आकर्षित कर दिया कि अविचल ने स्वयं ही इस गीत को लिखा और फिर गीत…. तेरे बिन जिया लागे ना ..सुरताल के साथ संगान किया । अविचल ने करीब 50 से अधिक गीतों का संगान किया है । झाबुआ आने पर अविचल ने अपने भाई बहनों की मदद से यही 3 गानों का गायन एवम फिल्मांकन किया जो अपने आप मे अदभुत नैसर्गिक छटा से परिपूर्ण है। झाबुआ शहर के लिए भी यह उपलब्धि है कि यहां की प्राकृतिक सौंदर्यता ने उभरते कलाकार को गीतों के माध्यम से अपने मन की भावनाओं को प्रस्तुत करने पर विवश कर दिया । जब अविचल से यह पूछा तो उन्होंने बताया कि कोरोना काल से व्यथित जन मानस के मन मे नव शक्ति के संचार के निमित्त उनके यह तीनों गीत झाबुआ की शानदार खूबसूरती को समर्पित हैं।

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