झाबुआ – जिला चिकित्सालय में जब से डा मालवीया की पदस्थापना हुई , तब से अपनी कार्य प्रणाली के लिए प्रसिद्ध है। यहां पदस्थ डा मोहन मालवीया ने अपना निजी वाहन, जो संभवतः पत्नी के नाम से रजिस्टर्ड है को ठेकेदार के साथ मिलीभगत कर, मारुती वेगनआर को अटैच बताकर कर , शासन को चुना लगा रहे हैं । और तो और साहब ने कोई वाहन चालक भी नहीं रखा है खुद ड्राइवरी कर अपना निजी वाहन लगाकर पैसा निकाल रहे हैं । इस बात की जड़ तक जाना हो या सच्चाई का पता लगाना हो तो ,इसकी लाकबुक से और बिलो से इसकी पुष्टि हो जाएगी । चूकि सभी बिलों को पास आर्डर साहब ही करते हैं तो अपने बिलो को खुद ही पास करते है और ठेकेदार को भुगतान कर अपना निजी आर्थिक हित साधा रहे है। जिला अस्पताल मे दो वाहन स्वीकृति है एक वाहन एमरजेंसी स्टॉफ को घर से लाने ले जाने के लिए अनुबंधित होना चाहिए । किन्तु यहां सिर्फ सिविल सर्जन ने अपनी खुद का वाहन लगा रखा है । इसके अलावा भी जिले मे कई अधिकारी ने अपनी स्वयं के निजी वाहन लगाकर ठेकेदार के माध्यम से आर्थिक लाभ लिया जा रहा है । जिले मे अधिकारी भंगार वाहन चला रहे हैं जिसमे बीएमओ भी अपनी वाहन चला कर खेल खेल रहे हैं । स्वास्थ्य विभाग में इसकी तरह के निजी वाहन को अटैच बताकर आर्थिक लाभ की प्रक्रिया की निष्पक्ष एजेंसी से जांच करवाई जाना चाहिए।। चित्र मे दिखाई दे रही वाहन सुनीता मालवीया के नाम RTO मे रजिस्ट्रड है डॉ मालवीया द्वारा इसका भुगतान अनुमानित 25000- 35000 करीब प्राप्त हो रहा है जबकि वाहन मात्र 300 किमी ही चल रहा है इस प्रक्रिया की संपूर्ण सच्चाई लाकबुक से प्राप्त हो सकती है । क्या शासन प्रशासन इस ओर ध्यान देगा या फिर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी यूं ही अपने निजी वाहन को अटैच बताकर ठेकेदार से राशि प्राप्त करते रहेंगे ।