धार 8 जून 2025। सरमी दीदी का जन्म एक गरीब परिवार में होने के बावजूद इनके माता-पिता ने इनकी शिक्षा को प्राथमिकता देते हुए 12 वीं कक्षा तक पढ़ाया और इसके बाद सरमी दीदी का विवाह ग्राम आगर में कर दिया गया। ग्राम में रोजगार के रूप में सिर्फ बाग प्रिंट कारखाने ने में प्रिंटिंग का कार्य दैनिक मजदूरी करके अपने परिवार का गुजारा कर रहे थे। 2017 में समूह संगठन से जुड़ कर छोटे बड़े ऋण लेकर अपना कार्य करते थे। इसके पश्चात आजीविका मिशन में प्रशिक्षणों में जाने के बाद उन्हें बाग प्रिंट का काम शुरू करने का विचार आया । इसके लिये समूह की दीदीयों का बाग प्रिंट के लिये चयन किया एवं उन्हें आजीविका मिशन के माध्यम से एक माह का प्रशिक्षण दिया गया, जिसमें उन्हें प्रिंट से सम्बन्धित सारे कार्य को करने के लिए प्रशिक्षित किया गया । इसके बाद सरमी दीदी के द्वारा अपने ग्राम में ही कच्चे झोपडे में बाग प्रिंट का काम चालू किया।
बाग प्रिंट में पक्ष होने के बाद इनके द्वारा बाग प्रिंट की साड़ियाँ बेडशीट, सलवार सुट, परदे बनाकर आजीविका मिशन के माध्यम से हाट एवं मैले में जाकर इनकी बिक्री कर अच्छी आमदनी होने लगी । आज संस्था द्वारा इन्हें पक्का मकान बनवाकर उसमें अच्छे स्तर पर बाग प्रिंट का काम करने लगे है। जिससे इनकी आय में निरन्तर वृद्धी हो रही है एवं आज पुरा समूह बाग प्रिंट से जुड़ चुका हैं एवं उन्हें कही भी रोजगार के लिए नहीं जाना पड़ता है। आज उन्हें खुद का व्यावसाय अच्छे स्तर पर कर रहें हैं। उन्होंने बताया कि में व मेरे पति द्वारा बाग प्रिंट का कार्य कर रहे है । आज मेरी मेरे परिवार की मासिक आय 20 से 25 हजार रुपए है। उनके उपर आज किसी भी प्रकार का कोई कर्जा नहीं है। मेरा परिवार गाँव मे रह कर ही कार्य कर रहे और मेरे बच्चे अच्छी स्कूल में पढ़ने लगे हैं।
आजीविका मिशन द्वारा संचालित स्व सहायता समूह से जुड़ने के बाद मेरी जिन्दगी ही बदल गई है। मैं स्वयं आर्थिक रूप से पिछड़ी दीदीयों को बाग प्रिंट का कार्य सीखा कर उन्हें रोजगार से जोड़ने कार्य कर रही है ताकी वे भी मेरी तरह आत्मनिर्भर हो सकें।