झाबुआ

बाल दिवस पर बाल श्रम -क्या प्रशासन इस ओर ध्यान देगा ?

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झाबुआ से पियूष गादीया व राधेश्याम पटेल की रिपोर्ट

झाबुआ- आज देशभर में चाचा नेहरू के जन्मदिवस को बाल दिवस के रूप में मना रहे हैं लेकिन झाबुआ जिला मुख्यालय पर बाल दिवस पर आज एक बाल श्रम करते देखा गया ….जिससे लगता है कि जिला प्रशासन और ….. संबंधित आईएस विभाग आंखें मूंद कर बैठा है

ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग झाबुआ के कार्यालय के सामने ही विभाग द्वारा आजीविका मिशन अंतर्गत महिला वर्कशेड का निर्माण किया जा रहा है जिसकी लागत करीब ₹40 लाख हैं यूं तो यह निर्माण कार्य कई प्रकार से गुणवत्ताहीन निर्माण की श्रेणी में है जिसका उदाहरण इस निर्माण कार्य के प्लिंथ लेवल की पर्दी वालों एक तरफ से झुक गई है आज देशभर में बाल दिवस मनाया जा रहा है स्कूल कॉलेजों में इस पर्व पर कई कार्यक्रम आयोजित हुए , लेकिन आरईएस विभाग के कार्यपालन यंत्री की अनदेखी और सब इंजीनियर आलोक प्रसाद चौधरी की एक और लापरवाही देखने को मिली |आज बाल दिवस पर निर्माण इस निर्माण कार्य पर कागझर निवासी विजया श्रम करते देखा गया| चेहरे से मासूम यह विजया की उम्र करीब 13- 14 साल नजर आ रही है तथा पांचवी तक अपनी पढ़ाई की है ….यह बालक गैती से खुदाई कर रहा था थाेडी खुदाई करता और बैठ जाता आैर इस तरह धीरे धीरे खुदाई कर रहा था |विभागीय कार्यालय के सामने ही बाल श्रम का नजारा विभागीय लापरवाही की ओर इशारा करता है एक तरफ शासन-प्रशासन बाल श्रम कानून को सख्ती से लागू करने की बात कह रहा है वहीं दूसरी तरफ इस बाल दिवस पर बाल श्रम देखकर कई स्कूली बच्चे हैरान और हतप्रभ रह गए ….क्योंकि बस स्टैंड पर एक निजी संस्था के स्कूल के बच्चे इस रास्ते से अपने घर की ओर जाते हैं और इस तरह इस बालक को काम करते देख बच्चे बड़े हैरान हुए …..लेकिन विभागीय सब इंजीनियर आलोक प्रसाद चौधरी की गैर जिम्मेदाराना कार्यप्रणाली से एक बालक काम करने को मजबूर है क्या प्रशासन प्रशासन इस ओर ध्यान देगा या या इंजीनियर यूं ही लापरवाही करता रहेगा |

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