झाबुआ

मेघनगर के निजी गोडाउन में खाली होते पकड़ा पीडीएस अनाज मामले में हुई एफआईआर……

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झाबुआ : देर रात मेघनगर के निजी गोडाउन में खाली होते पकड़ाये पीडीएस अनाज मामले में हुई एफआईआर।. गेहूं, चावल के ट्रक को थांदला विधायक ने रंभापुर रोड स्थित भेराजी बिल्डिंग मटेरियल के गोडाउन में खाली होते हुए पकड़ा था, अनाज ग्रामीण क्षेत्रों के उचित मूल्य दुकान पर जाना था । लेकिन माफियाओं की बंदरबांट से यह निजी गोडाउन में खाली हो रहा था ।.अनाज, गोदाम मालिक लोकेंद्र पटवाल, ट्रक मालिक इकबाल पिता नासिर खान नयापुरा मेघनगर पर आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955– 3/7 में एफ आई आर दर्ज।
297 बोरी गेहूँ, 12 बोरी चावल और 1 बोरी शक्कर जप्त ।

झाबुआ जिले के मेघनगर नागरिक आपूर्ति निगम वेयरहाउस से पीडीएस का अनाज निजी गोडाउन में खाली होते हुए थांदला विधायक वीर सिंह भूरिया ने पकड़ाकर हलचल मचा। ट्रक जीजे 20 यू 4331 पहिया ट्रक में गेहूं एवं 12 बोरी चावल भरा मिला। पीडीएस का अनाज भेराजी बिल्डिंग मटेरियल के गोडाउन में खाली होते हुए पकड़ा। उक्त पीडीएस का अनाज बिहार, बेड़ावा,दौलतपुरा उचित मूल्य दुकान पर जाना था जो निजी गोडाउन में नियम विरुदध खाली किया जा रहा था। अंचल में पीडीएस का खाद्यान्न की वर्तमान में बंदरबांट मची हुई है तथा खाद्यान्न को गरीबों के पेट तक न पहुंचाते हुए ,इसे सीधे नीचे हाथों में पहुंचकर संबंधित लोग जमकर चांदी काट रहे हैं। सूत्रों की मानें तो पीडीएस का खाद्यान्न नागरिक आपूर्ति निगम के गोडाउन से भरकर संबंधित उचित मूल्य की दुकानों तक पहुंचाया जाता है लेकिन यहां के जिम्मेदार लोग उक्त खाद्यान्न को उचित मूल्य की दुकानों तक न पहुंचाते हुए इसे पुरानी तारीख में चालान काट देते हैं एवं ट्रकोबंद खाद्यान्न को निजी वेयर हाउस में भेज देते हैं एवं उक्त खाद्यान्न की कालाबाजारी करते हैं।

जिले में शासन दारा परिवहनकता के माध्यम से पीडीएस अनाज ग्रामीण क्षेत्रों की उचित मूल्य की दुकानों पर पहुचाया जाता है जहां से ग्रामीणों को वितरित किया जाता है लेकिन जो अनाज ग्रामीणों का निवाला बनना चाहिए ,वह माफियाओं की बंदरबांट के कारण समाज के अंतिम पंक्ति तक नहीं पहुंच पाता है जिससे ग्रामीण जन सरकार को कोसते हैं जबकि शासन द्वारा संपूर्ण अनाज पहुंचाया जाता है । आओ पता लगाएं -इन सब कालाबाजारी के पीछे किन-किन माफियाओं का हाथ है कौन-कौन से परिवहनकता है, जो इस तरह पीडीएस का.अनाज को ग्रामीणों तक न पहुंचाकर माफियाओं के गोदामों तक पहुंचा रहे हैं । क्या शासन-प्रशासन इन माफियाओं पर कोई कार्यवाही करेगा या फिर या बंदरबाट यूं ही चलती रहेगी…?

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