झाबुआ

पुलिस विभाग सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत अधूरी जानकारी देकर आवेदक को कर रहा है गुमराह….

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झाबुआ- नगर पालिका परिषद ,स्वास्थ्य विभाग दारा आरटीआई के तहत जानकारी नहीं देने की प्रथा के बाद अब अब पुलिस विभाग भी सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत आवेदक के स्वयं के केस की अधूरी जानकारी देकर कर रहा है भ्रमित । इस तरह अनुविभागीय अधिकारी झाबुआ के बाद प्रथम अपीलीय अधिकारी द्वारा आवेदक को स्वयं के केस की अधूरी जानकारी दी गई और इस तरह सूचना के अधिकार अधिनियम की अधूरी जानकारी देकर.आवेदक को गुमराह किया गया ।

आवेदक ने ग्राम पंचायत उमरिया वजंत्री के सरपंच के खिलाफ अनियमितताओं को लेकर खबरों का प्रकाशन किया था खबरों से बौखलाकर सरपंच राकेश डामोर और उसके मित्र ने आवेदक के कार्यालय पर आकर जान से मारने की धमकी दी और भविष्य में खबर प्रकाशन पर दिक्कतें आने की बात कही । इस धमकी को लेकर आवेदक ने पुलिस कोतवाली झाबुआ में आवेदन देकर संबंधित सरपंच और उसके मित्र के खिलाफ कार्रवाई हेतु निवेदन किया । कार्रवाई ना होने पर डीआईजी इंदौर कार्यालय शिकायत दर्ज कराई । तब कहीं जाकर जांच प्रारंभ हुई । जांच में आवेदक के कथन लिए गए और उसके बाद किसी भी तरह की कार्रवाई से आवेदक को अवगत नहीं कराया गया । तब आवेदक ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत अनुविभागीय अधिकारी, अनुभाग झाबुआ से आवेदक ने स्वयं के केस में पुलिस विभाग द्वारा क्या कार्रवाई की गई की प्रमाणित कॉपी मांगी गई ।.यहां से अनु विभागीय कार्यालय में पदस्थ कर्मचारी द्वारा आवेदक को स्वयं की केस की जानकारी न देते हुए पत्र के माध्यम से अवगत कराया की धारा 28 1( J ) विभाग सूचना देने में असमर्थ है । इस धारा के अंतर्गत संभवत देश विरोधी गतिविधियां तथा शांति व्यवस्था भंग होने की दशा में जानकारी नहीं दी जा सकती है और ना ही किसी अन्य केस के बारे में जानकारी दी जा सकती है । लेकिन इस कार्यालय में पदस्थ कर्मचारी द्वारा सारे नियम कायदों को ताक में रखकर जानकारी देने से इनकार किया । इस विभाग में कार्यरत कर्मचारी विगत कई वर्षों से पदस्थ है तथा दोनों ही (पति-पत्नी )कर्मचारी विगत कई वर्ष से पुलिस विभाग में जिला मुख्यालय पर ही पदस्थ है । और अपनी मनमानी कार्यशैली के लिए जाने जाते हैं । ।

आवेदक ने प्रथम अपीलीय अधिकारी ,पुलिस अधीक्षक को आवेदन देकर स्वयं के केस के बारे में पुलिस विभाग द्वारा क्या कार्रवाई की गई की जानकारी मांगी गई । प्रथम अपीलीय अधिकारी कार्यालय से भी आवेदक को इस अधिनियम के तहत विभाग द्वारा क्या कार्रवाई की गई की संपूर्ण जानकारी ना देते हुए मात्र आवेदक के कथन और शिकायत की प्रतिलिपि दी गई । तथा सरपंच के विरुद्ध धारा 107 116 (3) जाफो का इस्तगासा क्रमांक 12 11 मूर्तिव कर बाउड ओवर हेतु पेश किया गया । जबकि इस अधिनियम के तहत केस से संबंधित संपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराना होती है जैसे कि आवेदक ,अनावेदक के कथन की प्रतिलिपि, पुलिस जांच में किन किन तथ्यों पर गौर किया गया । उस क्यों जान से मारने की धमकी देने पर भी अनावेदक पर कार्रवाई करने के बजाय मात्र बाउड ओवर कर ,अनावेदक को छोड़ दिया गया । इसके अलावा सरपंच के मित्र पर किसी भी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की गई और ना ही इनके द्वारा दी गई जानकारी में सरपंच के मित्र के बारे में स्पष्टीकरण दिया गया । जिससे ऐसा प्रतीत होता है या संभावना है कि जांच को प्रभावित करने का प्रयास किया गया है और आवेदक की शिकायत पर ध्यान नहीं दिया गया है आवेदक का यह भी कहना है कि सरपंच के मित्र पर किसी भी तरह की कोई कार्रवाई नहीं करने के कारण अब वह सरपंच मित्र , लगातार रेकी कर किसी भी दुर्घटना को अंजाम देने का प्रयास कर सकता है ।आवेदक का यह भी कहना है कि मेरे आवागमन संपूर्ण जानकारी ली जा रही है उसकी संपूर्ण जानकारी भी सरपंच मित्र द्वारा ली जा रही है जिससे किसी दुर्घटना का अंदेशा बना हुआ है । यदि आवेदक के साथ किसी भी कोई दुर्घटना होती है तो इसकी संपूर्ण जवाबदारी अनुविभागीय अधिकारी ,अनुभव झाबुआ की होगी । जिन्होंने जांच में पारदर्शिता न अपनाते हुए एक तरफा सरपंच के पक्ष में कार्रवाई करते हुए उसके मित्र को जाच से बाहर रखा गया । जब की धमकी देने के लिए सरपंच और उसका मित्र स्वयं आवेदक के कार्यालय पर आए थे तो फिर जांच में सरपंच के मित्र का कोई भी जिक्र नहीं किया गया ।.न हीं कोई माफीनामा सरपंच मित्र से लिया गया जो यह दर्शाता है कि कहीं न कहीं जांच को प्रभावित करने का प्रयास किया गया ।

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