झाबुआ

कलेक्टर के निर्देश के बाद राणापुर क्षेत्र में खनिज विभाग ने 12 ट्रैक्टरों को रेत का अवैध परिवहन करते हुए पकड़ा.

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झाबुआ। आदिवासी अंचल में अवैध रेत का कारोबार बड़े पैमाने पर फल-फुल रहा है. खनिज विभाग और स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत से करोड़ों रुपए की रॉयलटी टैक्स चोरी जिले में चल रही है. बावजूद इसके विभागीय अधिकारी कुंभकरण की नींद से बाहर आने को तैयार नहीं है । शुक्रवार को कलेक्टर के निर्देश के बाद राणापुर में खनिज विभाग ने 12 ट्रैक्टरों को रेत का अवैध परिवहन करते हुए पकड़ा. 

जिले में रेत की कोई खदान नहीं है. रेत का एकमात्र स्त्रोत अलीराजपुर और गुजरात राज्य है. अलीराजपुर और गुजरात से रॉयल्टी चोरी करके रेत झाबुआ के विभिन्न गांवों और कस्बों में खपाई जाती है. राणापुर में चंद्रशेखर आजाद नगर के रास्ते हर रोज रेत से भरे ट्रैक्टर दाखिल होते हैं. इन ट्रैक्टरों को रोकने के लिए ना तो पुलिस विभाग और ना ही स्थानीय प्रशासन कोई कार्रवाई करता है ।

कलेक्टर के निर्देश के बावजूद ना तो स्थानीय प्रशासन और ना ही पुलिस अवैध रेत के कारोबार को रोकने के लिए कोई प्रयास कर रही है. लिहाजा शुक्रवार को खनिज विभाग ने बिना इन विभागों को सूचना दिए कार्रवाई की. हालांकि अवैध खनिज को रोकना और पकड़ना खनिज विभाग का काम है लेकिन खनिज विभाग की गैर जिम्मेदाराना कार्यप्रणाली के कारण जिले में अवैध रेत माफियाओं ने जगह जगह ,गांव-गांव ,फलिया फलिया बिना टैक्स चुकाए रेत रोजाना खपाई जा रही है जिससे शासन को रोजाना लाखों की राजस्व की हानि हो रही है जिस में कहीं न कहीं खनिज विभाग भी सम्मिलित है । इसके अलावा भी जिले में गिट्टी खदानों में भी नियमित रूप से चेकिंग अभियान भी नहीं चलाया जा रहा है क्रेशर स्टोन संचालकों ने निर्धारित मापदंड के विपरीत खदानों को खोदकर एनजीटी के नियमों या मापदंड को नकारते हुए एक सिरे से जमीन को खोखला करते जा रहे हैं इस तरह के खनन के लिए भी पूर्ण रूप से खनिज विभाग ही जिम्मेदार है।

बिना नंबर प्लेट के ट्रैक्टरों से होता है परिवहन

पुलिस और यातायात पुलिस सड़क सुरक्षा को लेकर तमाम दावे करती है, मगर अवैध रेत परिवहन में जिन वाहनों का उपयोग किया जाता है, उनमें रजिस्ट्रेशन नंबर तक नहीं लिखे होते है. बिना रजिस्ट्रेशन के ये वाहन दो जिलों के विभिन्न थानों की सीमाओं को पार करके झाबुआ के अलग-अलग स्थानों में पहुंच जाते हैं. इससे साफ है कि स्थानीय पुलिस की बिना मिलीभगत के कारोबार नहीं हो सकता, क्योंकि जो पुलिस दुपहिया वाहन चालकों को छोटी सी गलती के लिए 500 रुपये की रसीद बना देती है. वहीं पुलिस बिना रजिस्ट्रेशन वाले ऐसे वाहनों को अवैध रेत परिवहन करते हुए क्यों नहीं पकड़ती है.

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