झाबुआ- आरोपी कनसिंग को न्यायालय श्रीमान विशेष न्यायाधीश श्री संजय चौहान सा0 जिला झाबुआ द्वारा नाबालिका का अपहरण कर बलात्कार करने के अपराध में 20 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 21,000/- रूपये के अर्थदण्डर से दंडित किया गया। शासन की ओर से प्रकरण का सम्पू्र्ण संचालन विशेष लोक अभियोजक श्री एस.एस. खिंची, जिला लोक अभियोजन अधिकारी, जिला झाबुआ द्वारा किया गया। जिला मीडिया प्रभारी (अभियोजन) सुश्री सूरज वैरागी द्वारा बताया गया कि दिनांक 12/06/2018 को फरियादी द्वारा रिपोर्ट लेखबद्ध करवाई कि उसकी बहन दिनांक 03/06/2018 को रात के करीब 8:00 बजे शौच करने हेतु घर के पास ही थोड़ी दुर जंगल में गई जो वापस नहीं आई, तब से लगातार उसकी बहन कि तलाश करते रहे, किन्तु उसका कोई पता् नहीं चला ऐसा सुनने में आ रहा है कि छोटी गोला का कोई व्यक्ति बहला-फुसलाकर भगाकर ले गया है कि रिपोर्ट पर अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना कि गई विवेचना के दौरान पीडिता को दस्तयाब कर कथन लेखबद्ध किए गए, कथन उपरांत पीडिता ने बताया कि आरोपी कनसिंह निवासी छोटी गोला का पीडिता को बहलाकर शादी करने के लिये अपने साथ गुजरात ले गया था और उसके साथ जबरदस्ती गलत कार्य किया गया था। प्रकरण में आरोपी के विरूद्ध धारा 366,376¼3½ भादवि 5¼एल½/6 पॉक्सोंर एक्ट/ के अंतर्गत आरोपी कनसिंग को गिरफ्तार किया गया तथा सम्पूबर्ण विवेचना पूर्ण कर अभियोग पत्र न्या्यालय के समक्ष प्रस्तु्त किया गया। उक्तप प्रकरण गंभीर प्रकृति का होने से प्रकरण को जघन्यल एवं सनसनीखेज घोषित किया गया था। प्रकरण के विचारण के दौरान अभियोजन कि ओर से आरोपी कनसिंग के विरूद्ध आई अभियोजन साक्षीगण के एवं वैज्ञानिक साक्ष्य के आधार पर तथा विशेष लोक अभियोजक श्री एस0एस0 खिंची द्वारा लिखित तर्क प्रस्तुत करते हुए प्रकरण को बखूबी साबित किया गया। पीडिता की आयु 13-14 वर्ष होने के कारण न्यायालय द्वारा भी यह माना गया कि 18 वर्ष से कम आयु के बालक का मन मस्तिष्कं इतना परिपक्वो नहीं हो सकता कि वह व्यस्क व्याक्ति के आचरण के अनुरूप कार्य करे माननीय विशेष अपर सत्र न्यायाधीश (श्री संजय चौहान सा0) द्वारा विचारण के दौरान आरोपी कनसिंह को दोषी पाते हुए धारा 366 भादवि में 07 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 3000/- रूपये अर्थदण्ड एवं 366 भादवि 10 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 3000/- रूपये अर्थदण्ड एवं 376¼3½ में 20 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 5000/- रूपये अर्थदण्डं धार 5¼एल½/6 पॉक्सो एक्ट में 20 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 10,000/- रूपये के अर्थदण्डू से दंडित किया गया । विचारण के दौरान आरोपी एवं पीडि़ता के परिवार के मध्यर आपसी राजीनामा हो जाने के बावजूद भी अपराध कि गंभीरता को देखते हुए माननीय न्या़यालय द्वारा आरोपी को सश्रम कारावास व अर्थदण्ड से दंडित किया गया ताकि नाबालिकाओं के विरूद्ध इस प्रकार के अपराधों पर नियंत्रण लग सके ।