झाबुआ

कल्पसूत्र के समान दूसरा कोई पवित्र ग्रंथ नहीं -ः मालव रत्न मुनिराज श्री रजतचन्द्र विजयजी, 7 सितंबर को मनाया जाएगा श्री महावीर जन्म कल्याण वाचन दिवस, बावन जिनालय में होंगे विषेष कार्यक्रम

Published

on


झाबुआ। प्राचीन एवं ऐतिहासिक तीर्थ श्री ऋषभदेव बावन जिनालय मंे श्री स्वाध्याय चातुर्मास-2021 के अंतर्गत 9 दिवसीय पर्यूषण महापर्व भी उत्साहपूर्वक मनाया जा रहा है। जिसके तहत प्रतिदिन बावन जिनालय में विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम संपन्न हो रहे है। पर्यूषण महापर्व के पांचवे दिन 7 सितंबर, मंगलवार को श्री महावीर जन्म कल्याण वाचन दिवस मनाया जाएगा। इस दिन दोपहर में मंदिर में विषेष कार्यक्रम आयोजित होंगे।
पर्यूषण महापर्व के चैथे दिवस 6 सितंबर, सोमवार को सुबह परम् पूज्य गच्छाधिपति आचार्य देवेष श्रीमद् विजय ऋषभचंद्र सूरीष्वरजी मसा के आज्ञानुवर्ती पूज्य मुनिराज श्री रजतचन्द्र विजयजी एवं मुनि श्री जीतचन्द्र विजयजी मसा ने महान ग्रंथ ‘‘कल्पसूत्र’’ का वांचन प्रारंभ किया। इसके पूर्व कल्पसूत्र ग्रंथ को वाजते-गाजते उमेश भावेश मेहता परिवार के निवास स्थान से श्री ऋषभदेव बावन जिनालय लाया गया। जहां तीन प्रदक्षिणा दी गई। इसके बाद ग्रंथ को विधिपूर्वक उमेश, भावेश मेहता परिवार द्वारा वोहराया गया। डाॅ. प्रदीप संघवी परिवार ने कल्पसूत्र ग्रंथ को वधाया। बाद ग्रंथ की प्रथम वासाक्षेप पूजा मनोहरलाल छाजेड़ पारा, दूसरी पूजा मांगूबेन सकलेचा, तीसरी ओएल जैन एवं चैथी पूजा धर्मचन्द्र मेहता तथा लीलाबेन भंडारी परिवार ने मंत्रोच्चार के साथ की। ग्रंथ की अष्टप्रकारी पूजन का लाभ यशवंत भंडारी एवं आरती मांगूबेन सकलेचा परिवार ने की


कल्पसूत्र का श्रवण करने से जीवन श्रेष्ठ बनता है
कल्पसूत्र ग्रंथ का वांचन करते हुए मुनिराज श्री रजतचन्द्र विजयजी मसा ने कहा कि यह पवित्र ग्रंथ है, जिसको बालावबोध भी कहते है। श्रीमद् विजय राजेंद्र सूरीष्वरजी मसा द्वारा संकलित है। पर्यूषण पर्व में साधु भगवंत को इसका वाचन करना अनिवार्य होता है। मुनिश्री ने वाचन प्रारंभ करते हुए बताया कि इसके समान कोई ग्रंथ नही है। जो भी श्रावक अट्ठम तप कर श्रद्धाभाव से कल्पसूत्र को सुनता है, वह अपने जीवन को श्रेष्ठ बनाता हे उसके जीवन मे आने वाली हर आपदा दूर होती है। कर्म हल्के होते है और 8 भव मे मोक्ष प्राप्त करता है।
सभी सूत्रों में श्रेष्ठ कल्पसूत्र
मुनिराज ने कल्पसूत्र का वाचन करते हुए आगे कहा कि महावीर स्वामीजी ने साधु के लिए 10 आचार बताए। साधु को 5 महाव्रतों का पालन अनिवार्य होता है। जिसने बडी दीक्षा पहले ली तो वह बडा साधु कहलाता है। श्री रजतचन्द्र विजयजी ने बताया कि यह ग्रंथ पाप निवारक है, शाष्वत सुख प्रदान करने वाला होता है। सभी सूत्रों मे श्रेष्ठ सूत्र होता है। इस ग्रंथ मे साधु-साध्वी, श्रावक-श्राविकाओ के कर्तव्यों का विस्तृत वर्णन पूज्य श्री ने बताया। कल्प सूत्र के अनुसार प्रत्येक साधु-साध्वी को चेत्य परिपाटी, केश लोचन करना, कल्प सूत्र का वाचन करना चाहिए। वहीं श्रावकों को तप, श्रुत ज्ञान की भक्ति आदि करना चाहिए।
14 स्वपनाजी सिर पर लेकर चली श्राविकाएं
पर्यूषण महापर्व के चैथे दिन सोमवार को प्रचवन बाद श्राविकाओं ने माषा त्रिषला की चुनरी का उपवास किया। दोपहर में श्राविकाओं ने माता त्रिषला बनकर 14 स्वपनाजी सिर पर लेकर बावन जिनालय से राधाकृष्ण मार्ग, राजवाड़ा, लक्ष्मीबाई मार्ग होते हुए पुनः मंदिर पहुंची। जहां मंदिर की तीन पदक्षिणा दी।
7 सितंबर को मनाया जाएगा श्री महावीर जन्म कल्याण वाचन दिवस
सुश्रावक संजय मेहता ने बताया कि पर्यूषण महापर्व के पांचवे दिन 7 सितंबर, मंगलवार को श्री महावीर जन्म कल्याण वाचन दिवस मनाते हुए मुनिराज द्वारा कल्पसूत्र वाचन के अंतर्गत श्री महावीर जन्म संबंधी वाचन किया जाएगा। दोपहर 2 बजे पोषण शाला भवन में 14 स्वपना ही चढ़ावे बोले जाएंगे। बाद मुनिराज द्वारा कल्पसूत्र में चारित्र के अंतर्गत महावीर स्वामी के जन्म का वाचन, तत्पष्चात् थाली, घंटनाथ के साथ लाभार्थी परिवार द्वारा मंदिर की तीन पदक्षिणा देकर महावीर स्वामीजी की महाआरती बाद पजेंरी का प्रसाद श्रीमती श्यामुबाई रतनलाल रूनवाल परिवार की ओर से सभी को वितरित की जाएगी। श्री आदिनाथ राजेन्द्र पारमार्थिक ट्रस्ट द्वारा साधर्मी वात्सल्य का आयोजन भी रखा गया है। शाम 7 बजे सामूहिक प्रतिक्रमण एवं भक्ति का आयोजन होगा। ज्ञातव्य रहे कि इस बार कोरोनाकाल के चलते समाजजनों द्वारा भगवान महावीर स्वामीजी की शोभायात्रा नहीं निकाली जाएगी।
फोटो 001 -ः लाभार्थी उमेष, भावेष मेहता परिवार द्वारा कल्पसूत्र को उत्साहपूर्वक निवास स्थान से बावन जिनालय तक लाया गया।
फोटो 002 -ः लाभार्थी परिवार ने मुनिराज को कल्पसूत्र वोहराया।

Trending