झाबुआ

आओ पता लगाएं :- आखिर क्यों आरटीओ गुंडा तत्व और दलालों को दे रही है संरक्षण…।

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झाबुआ – जिले में परिवहन विभाग में नवीन आरटीओ की पदस्थापना के बाद से रोजाना कुछ ना कुछ नया हो रहा है उनकी पदस्थापना के तत्काल बाद ही कार्यालय में एजेंटों में हाथापाई हुई ,उसके बाद बस स्टैंड पर खूनी संघर्ष और उसके बाद बैरियर पर दो युवकों के साथ प्राणघातक हमला । लेकिन आज दिनांक तक इन सारे हुए घटनाओं पर कोई कार्यवाही नही. हुई जो यह दर्शाता है कि गुंडा तत्व और दलालों को संरक्षण दिया जा रहा है ।

झाबुआ आरटीओ की पदस्थापना के बाद के साथ ही अब तो ऐसा प्रतीत होने लगा है कि मानो दलालों और असामाजिक तत्वों को संरक्षण या बचाने का प्रयास किया जा रहा है विगत माह में पिटोल बैरियर पर हुई गुंडागर्दी, दादागिरी और जान से मार देने की धमकी की शिकायत को लेकर कलेक्टर सोमेश मिश्रा द्वारा 3 दिन में जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने की बात कही । लेकिन आरटीओ झाबुआ द्वारा कलेक्टर के आदेशों को एक सिरे से नकारते हुए 13 दिन से अधिक समय मे अपनी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की । जो यह दर्शाता है कि आरटीओ द्वारा असामाजिक तत्व को पूर्ण समय देते हुए , सबूतों से छेड़छाड़ करने के लिए पर्याप्त समय दिया । विगत दिनों ही कलेक्टर सोमेश मिश्रा ने टीएल बैठक में गुंडा तत्वों को लेकर कार्रवाई करने की बात भी कही थी लेकिन संभवत उसे भी नजरअंदाज किया जा रहा है । नियमानुसार प्रशासनिक स्थानों पर गुंडागर्दी दादागिरी और जान से मार देने की धमकी देने वालों के खिलाफ पिटोल बेरियर पर पदस्थ कर्मचारियों द्वारा तत्काल असामाजिक तत्व पर एफआईआर की जाना चाहिए थी । लेकिन बेरियर पर बैठे शासकीय कर्मचारियों द्वारा ऐसा कुछ नहीं किया गया ….। क्यों क्या कारण है …..? क्या इन कर्मचारियों के संरक्षण में ही यह गुंडागर्दी का तांडव किया गया । यह भी जांच का विषय है । लेकिन मैडम द्वारा इस तरह कार्रवाई करने के बजाए असामाजिक ,गुंडा तत्व को क्लीन चिट देने का प्रयास किया जा रहा है तथा असामाजिक तत्व और बैरियर पर बैठे कर्मचारियों के संरक्षण में जो गुंडागर्दी का तांडव हुआ है उन लोगों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है । प्रश्न यह भी है कि आखिर आरटीओ द्वारा असामाजिक तत्वों को बचाने का प्रयास क्यों किया जा रहा है क्या यह असामाजिक तत्व कोई रिश्तेदार है ….या किसी राजनीतिक संगठन से संबंध रखता है …..या फिर आर्थिक रिश्तेदार है …..? यह जांच का विषय है । इसके अलावा आरटीओ कार्यालय में भी दलाली प्रथा को आरटीओ द्वारा जोर शोर से चलाया जा रहा हैं । जहां सारी प्रक्रिया ऑनलाइन हो गई है तो फिर दलालों का कार्यालय में क्या काम.हैं….? लेकिन मैडम की पदस्थापना के साथ ही दलालों में हुए खूनी संघर्ष के बाद अब तो दलाली प्रथा को बढ़ावा देने के साथ हर दलाल अपनी फाइल स्वयं प्रस्तुत कर रहा है और फाइल अनुसार अपना लेन देन कर रहा है ऐसा विश्वसनीय सूत्रों से पता चला है । इसके अलावा पुरानी दरों में भी करीब 10 से 20% वृद्धि भी की गई है । जो कि जांच का विषय है । अब तो चर्चा चौराहों पर चलने लगी है कि मोदी के देश में और शिवराज के प्रदेश में गुंडों और दलालों को संरक्षण भी दिया जा रहा है और उसके बाद बचाया भी जा रहा है यह कैसा सिस्टम …..? लेकिन इन सब बातों का आने वाले चुनाव पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है यह भाजपा को ध्यान रखने योग्य बात हैं । क्योंकि आने वाले समय में पड़ोस के ही जिले के विधानसभा क्षेत्र जोबट में उपचुनाव की संभावना है और इस तरह की गुंडागर्दी और दादागीरी को लेकर कार्रवाई ना होना , आम जनता में वर्तमान सरकार के खिलाफ असंतोष की भावना उत्पन्न होती है और लोग वर्तमान सरकार से दूरी बनाने लगते हैं जो कि भाजपा के लिए घातक हो सकता है ।

आने वाली खबर में आपको बताएंगे कि यह दलाल  किस किस तरह की दलाली से अपना जीवन यापन करता है और अपनी जेबें गर्म कर रहा है….

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