झाबुआ नगर की यातायात व्यवस्था पूरी तरह बिगड़ गई

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एक नजर इधर भी साहेब जनता सब जानती है
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एक नजर इधर भी साहेब जनता सब जानती है
झाबुआ नगर की यातायात व्यवस्था पूरी तरह बिगड़ गई
यातायात व्यवस्था… ये तो बस सुनने के लिए ही है, क्योकि झाबुआ नगर की यातायात व्यवस्था कभी सुधरी ही नही…बस नाम के लिए ही यातायात कार्रवाई या फिर यातायात मुहिम चलाई जाती है। अगर बस स्टेंड की ही बात कर ले तो पहलें बस स्टेंड पर यात्री प्रतिक्षालय के सामने बसें खडी रहती थी मगर बस मालिकों एवं दलालों की मिली भगत के चलते बसें अपनी मर्जी से खडी करना प्रारंभ कर दी। जब निर्धारित स्थान पर बसें खडी रहती थी तब 15 मीनिट पहले बसें निर्धारित स्थान पर आती थी और अपने गन्तव्य स्थान के लिए निकल जाती थी।
मगर आज स्थिति बिल्कुल विपरित है यहां न तो वाहनोें का अवागमन सही ढंग से हो पा रहा है और न ही कोई इस ओर ध्यान दे रहा है। क्योंकि यहां ऐजेन्टों का जमावाडा लगा रहता है जो इस व्यवस्था को बिगाडने में मुख्य कारण है। बस स्टेंड के पास ही नगर पालिका है जहां ये फायर ब्रिगेड का यहां से ही निकलना होता है। अगर कोई कारण वंष कहीं आग लग जाये तो फायर ब्रिगेड को यहां से निकलने की जगह ही नही है। ऐसे में जब तक फायर ब्रिगेड पहुंचे तब तक तो जिस जगह आग लगी हो वहां सामान जलकर खाक हो जायेगा।
वैसे तो पुरे नगर की यातायात व्यवस्था बिगडी हुई है मगर इसे कोई सुधारना नही चाहता है यातायात पुलिस भी इस ओर ध्यान नही दे रही है कि शहर की संकरी गलियों में लोग अपने चार पहियां वाहन लेकर घुमते नजर आते है और इसका एक अच्छा उदाहरण आजाद चैक पर आसानी से देखने को मिल सकता है। क्योंकि वहां डयूटी कर रही पुलिस खिर्फ खडी नजर आती है व्यवस्था सुधारते नही। अगर आज किसी मरीज को शहर के अंदर से लाना हो तो एंम्बुलेंस अंदर जा ही नही सकती है। दुकानदारों ने अपनी दुकानें इतनी बाहर कर अतिक्रमण कर रखा है कि रोड से दो पहियां वाहन भी आसाना से नही निकल पाते है। अगर कोई कुछ कहता है तो दुकान मालिक दादागिरी करने लग जाते है।
छतरी चैक से थांदला गेट, आजाद चैक, राजवाडा तक सडकों पर इतना अतिक्रम है की आप सोच भी नही सकते सडकों पर ही ठेला व्यवसायियों ने अपने ठेले लगा रखे हैं। पार्किग की भी उचित व्यवस्था नही है कोई भी आया कहीं भी वाहन खडाकर चला गया। जहां जिसे जगह मिली वहां वाहन खडा कर दिया अगर कोई दुकानदार कहता भी है तो हाथापाई की नौबत आ जाती हैं ऐसे ही एक वाकिया इंडिया मेडीकल के पास एक कपडा व्यापारी के साथ हुआ था।
नगर पालिका के पास भी पर्याप्त वाहनों को खडे करने की व्यवस्था है। बस स्टेंड के पास विधायक भवन जहां पुलिस चैकी बना रखी है और सांची पांइट के पीछे जहां थोडे समय पहले डाॅक्टर निवास था। वहां पर भी कुछ लोगों ने अतिक्रमण कर पक्के निर्माण कर लिये है। राम मंदिर के पास पुरानी कोतवाली जो काफी पुराना हो चुका था उसे कुछ समय पहले ही नगर पालिका ने ध्वस्त किया वहां पर भी पार्किग का बोर्ड लगा वहां पर भी वाहन आसानी से खडे किये जा सकते है। मगर न जाने क्यों लोग राजवाडा चैक और राम मंदिर के पास अव्यवस्थित रूप ये वाहन खडे कर देते है।
और वहां पुलिस ने बेरिकेटस भी लगा दिये है ताकि उन वाहनों को कोई खरोच न आये। अगर पुलिस एक के्रेन की व्यवस्था कर ले तो उन वाहनों को आसानी से उठाकर थाने पर लाकर चालानी कार्रवाई की जा सकती है। तभी यातायात व्यवस्था में सुधार हो सकता है। झाबुआ की जनता कलेक्टर साहब से उम्मीद करती है कि उन्होने जब से झाबुआ में कार्यभार संभाला तब झाबुआ कोरोना की दुसरी लहर चल रही थी। चारों ओर लोग मर रहे थे। टीकारकण में झाबुआ 52 वें स्थान से 14 वें स्थान पर आ गया। नगर पालिका पानी सप्लाई जैसे कई समस्याओं का निराकरण किया है वैसे ही नगर की यातायात व्यवस्था को भी ठीक करें देखते है कलेक्टर साहेब झाबुआ की यातायात व्यवस्था पर कितना ध्यान देते हे।

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