झाबुआ – झाबुआ जिले में परिवहन विभाग की लापरवाही से तीन पहिया ,चार पहिया वाहन चालक तथा बस संचालक द्वारा यात्रियों को क्षमता से अधिक बैठाकर उनकी जान से खुलेआम खिलवाड़ किया जा रहा है । वही जिले से होकर नेशनल टूरिस्ट परमिट के नाम पर भी अनेक बसों का संचालन हो रहा है और उसमें यात्रियों को एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश तक ,परिवहन किया जा रहा है बार बार संबंधित विभाग को सूचना देने के बाद भी विभाग कागजी खानापूर्ति हेतु कार्रवाई कर , परिवहन विभाग शासन प्रशासन को गुमराह कर रहा है । और जिले की भोली-भाली जनता टूरिस्ट बस संचालकों को मनमाना किराया देने के बाद भी यात्रियों को बसों में ठूस ठूस कर भरा जा रहा है । टूरिस्ट परमिट के नाम पर बसों के संचालन के लिए विभागीय दलाल द्वारा इन बस संचालकों से वार्षिक बंदी भी ली जा रही है और संचालन के लिए खुलेआम छूट भी दी जा रही है । आओ पता लगाएं ः वह कौन दलाल है जो इन बस संचालकों से टूरिस्ट परमिट के लिए यात्री परिवहन के नाम पर अवैध रूप से उगाही कर रहा है ।
जिले में यात्रियों को एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश तक बस संचालकों द्वारा नेशनल टूरिस्ट परमिट के नाम पर ,शासन प्रशासन व यात्रियों को छला जा रहा है जिले की गरीब भोली भाली जनता काम की तलाश में अन्य राज्यो में जाते हैं यह स्लीपर कोच बस से शहर से और ग्रामीण क्षेत्रों के विभिन्न गांवो से यात्रियों को झाबुआ से गुजरात राज्य में , महाराष्ट्र राज्य में और राजस्थान राज्य के अनेक स्थानों पर ले जाते हैं यदि इन स्लीपर कोच बस या टूरिस्ट परमिट ट्रैवल्स की बसों की विधिवत चेकिंग की जाए , तो इनके पास टूरिस्ट परमिट होगा, जिसमें संभवत यह दर्शाया होता है कि यह बस यात्रियों को एक टूर के लिए या घुमाने के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर जा रही है है जबकि यह बसे यात्री वाहन के रूप मे संचालन हो रहा हैं । जानकारी अनुसार नेशनल टूरिस्ट परमिट में संभवत यात्रा कर रहे सभी यात्रियों का आधार कार्ड के नाम अनुसार जानकारी दर्ज की जाती है जबकि यदि चेकिंग की जाए तो यह सब फर्जीवाड़ा साफ तौर पर नजर आएगा । कई बार इन बसों के पास शादियों की बुकिंग अनुसार बारातियों को ले जाने के नाम का भी परमिट होता है । शादियों के सीजन मे यह बस संचालक ,शादियों के कार्ड लगाकर बारात के नाम से टूरिस्ट परमिट प्राप्त करते हैं । इस तरह नये नये नाम पर यह बस संचालक यात्रियों को एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में यात्री परिवहन के रूप में ले जा रहे हैं जबकि इनका परमिट टूरिस्ट के नाम से होता है। इन टूरिस्ट स्लीपर कोच बसों के संचालकों द्वारा यात्रियों से मनमाना किराया भी वसूला जा रहा है विशेष रुप से झाबुआ जिले से यात्री गुजरात के मोरबी और अन्य स्थानों पर काम की तलाश मे जाते हैं । इन बसों में यदि चेकिंग की जाए तो पासिंग के नाम पर दुगनी सवारी इन बसों में मिलेगी । यदि बस की क्षमता 50 यात्रियों की है तो उसमें करीब 80 से 90 सवारी मिलेगी । जानकारी अनुसार निजी बस संचालकों द्वारा झाबुआ शहर से सटे ग्राम करडावद में अवैध रूप से एक बस स्टैंड भी बना रखा है जहां से टिकट बुकिंग सिस्टम भी होता है । यदि परिवहन विभाग और प्रशासन के लोग समय-समय पर इन बसों की चेकिंग और यात्रियों की चेकिंग करें , तो बस परिवहन के नाम पर एक बड़ा रैकेट काम कर रहा है रैकेट शब्द का इसलिए उपयोग कर रहे हैं क्योंकि इन बसों में किसी भी तरह की यात्रियों से संबंधित जानकारी, एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश पर जाने पर भी नहीं ली जाती है। जिसके कारण अपराधियों के लिए यह बसें सबसे सुविधाजनक होती हैं इन बसों में अपराधी गुजरात, महाराष्ट्र , राजस्थान आदि अनेक राज्यों में आसानी से सफर कर पुलिस को चकमा दे सकता है । इन बसों में भी यदि समय-समय पर चेकिंग की जाए तो नशीले पदार्थों का परिवहन भी संभवत: होता हैं या नहीं….. यह जांच का विषय है …..? क्योंकि इन बसों में बुकिंग के लिए सिर्फ पैसा देना होता है सामान से संबंधित कोई भी जानकारी और बिल की जानकारी बस संचालक द्वारा नहीं ली जाती है इनमें से एकाध बस संचालक द्वारा सर्वप्रथम दो या तीन बसों से जिले में बसे प्रारंभ की थी आज वह करीब 30 से 40 बसों का परिवहन कर , इस गरीब जिले से वह सबसे अमीर बस संचालक बनने की ओर अग्रसर है । कारण क्या है साफ तौर पर नजर आ रहा है प्रश्न यह है कि जब खुलेआम इस तरह टूरिस्ट परमिट के नाम पर यात्रियों का परिवहन किया जा रहा है और जिस की जानकारी प्रशासन के अलावा परिवहन विभाग को भी है फिर भी इन बस संचालकों पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही है यह जांच का विषय है ……जब हमने इसकी बारीकी से जांच करने का प्रयास किया…… तो प्रथम दृष्टया हमें यह जानकारी मिली कि इस विभाग में निजी तौर पर कोई दलाल इन टूरिस्ट परमिट बस संचालकों से वार्षिक बंदी , इस तरह के परमिट के नाम पर ले रहा है । सूत्रों अनुसार यह वार्षिक राशि प्रति वर्ष प्रति बस के हिसाब से हैं और जानकारी अनुसार करीब 200 से अधिक बसें ,, इस तरह के परमिट के नाम पर जिले से परिवहन हो रही है ।
परिवहन विभाग की लापरवाही के कारण ही झाबुआ जिले में विभिन्न यात्री वाहनों में क्षमता से अधिक यात्रियों को बैठाकर सफर करवाया जा रहा है और उनकी जान से खुलेआम खिलवाड़ भी किया जा रहा है शासन प्रशासन को चाहिए , कि अधिकारियों के खिलाफ भी कारवाई की जावे ,जो समय रहते इन बस वालों पर कार्रवाई नहीं करते हैं । 50 लोगों की जगह बस के अंदर 80 से 90 सवारी रोजाना इन टूरिस्ट परमिट बसो मे देखने को मिलेगी । वही तूफान गाड़ी जिसके अंदर कंपनी ने 12 सीट बैठक के लिए दे रखी है या 16 सीटर यात्री वाहन है लेकिन तूफान के अंदर कम से कम 25- 30 सवारी मिलेगी । व 16 सीटर मे करीब 30-35 सवारी । रात के समय शाम को 7:00 बजे बाद टूरिस्ट के नाम से बड़ी बड़ी बसें चल रही है जिनके अंदर 50 से 60 सवारी की क्षमता है और 90-100 सवारी भरकर ले जा रहे हैं । शासन प्रशासन को चाहिए कि इस और ध्यान देकर टूरिस्ट परमिट के नाम पर यात्रियों का जो परिवहन किया जा रहा है उसकी जांच की जाए , जांच में दोषी पाए जाने पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए तथा ओवरलोडिंग वाहनों पर भी नियम अनुसार कारवाई की जाए । जिससे यात्रियों की जान से खिलवाड़ ना हो सके ….? क्या शासन प्रशासन इस ओर ध्यान देकर कोई कार्रवाई करेगा या फिर यह बस संचालक यूं ही टूरिस्ट परमिट के नाम पर यात्रियों को लूटते रहेंगे ….?