झाबुआ

चित्त की वृत्तियों को अनुशासित करना ही योग है:- श्रीमती सूरज डामोर

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प्रतिदिन योग करने से दिनभर प्रसन्नता एवं प्रफुल्लता बननी रहती हैं घर परिवार का कार्य भी बिना किसी थकावट के होता है :- श्रीमती शर्मिला कोठारी

योग करो , रोज करो और मौज करों ’’ के महामंत्र के साथ महिला योग समिति द्वारा मोटापा निवारण को लेकर शिविर का हो रहा आयोजन

झाबुआ । प्रकृति द्वारा हमारे शरीर में वो सारे गुण हैं, जिससे किसी भी संक्रमण को समाप्त किया जा सके। जरूरत है योग के माध्यम से शरीर के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करने की और उसे योगाभ्यास,आसन और प्राणायाम से विकसित किया जाता है। यह बात महिला योग समिति की प्रमंुख रूकमणी वर्मा ने स्थानीय गायत्री शक्तिपीठ में महिलाओं को योगाभ्यास कराते हुए कही । योगपीठ हरिद्वार से योगगुरु बाबा रामदेव से प्रेरणा प्राप्त कर इन्होंने लोगों की सेवा करना ही अपना लक्ष्य बना लिया है । सुश्री वर्मा का कहना है कि हैं कि प्रत्येक मनुष्य को प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में जग जाना चाहिए । इस समय वातावरण में प्राणवायु प्रवाहित होता है । उस समय खुली हवा में टहलना स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी सिद्ध होता है । महिला योग समिति मे कई महिलायें जो विभिन्न अस्थि रोग,व असाध्य रोग, महिलाओं में होने वाला मोटापा एवं सभी रोगो से पीड़ित थी, अब स्वस्थ महसूस कर रही है।
महिला पंतंजलि योग समिति द्वारा पिछले कई बरसों से गायत्री शक्तिपीठ पर प्रतिदिन प्रातः 6 बजे से 7-15 बजे तक महिलाओं को योग कराया जाता है। इसमें स्वयं रिटायर्ड आईएएस अधिकारी श्रीमती सूरज रोकडे भी यथा समय सहभागिता करती है। योग समिति की महिला मंडल द्वारा नगर की महिलाओं को प्रातःकाल योग करने के लिये आमत्रित किया गया और झाबुआ नगर को इनके द्वारा नारा दिया गया है कि ’’योग करो , रोज करो और मौज करों ’’ इसके तहत प्राणायाम,, आसन, सोगिंग जोगिंए, सूर्य नमस्कार, हास्यासन, श्वासन करवाया जाता है । इस समय ठंड का मौसम होने से योगाभ्यास करने से शरीर को बहहुत ही लाभ होता है । समिति द्वारा पूर्व में शुगर निवार शिविर का आयोजन किया गया था जिससे बहिनों को शुगर में काफी लाभ मिला है । वर्तमान में मोटापा निवारण शिविर चल रहा है जिसमें काफी संख्या में महिलायें सहभागी होकर शिविर का लाभ उठा रही है । सुश्री रूकमणी वर्मा का कहना है कि ठण्ड के दिनों में हाथ पैर में दर्द होता है तो सरसों यार तिल्ली के तेल में मैथीदाना, अजवाईन, लहसुन, अरण्डी के पत्ते, आंकडे के पत्ते, सबाको बारिक कूट कर तेल में धीमी आंच पर गर्म कररे । मेहरून रंग हो जाने पर छानकर बाटल में भर लेवें । प्रतिदिन थोडासा तेल गुनगुना करे व हाथ-पांव पर मालिश करने से तथा धुप में 1 घण्टा बैठने से दर्द से पूरी तरह मुक्ति मिल जाती है । योग समिति की मधु जोशी एवं ज्योति जोशी द्वारा बताया गया कि कपाल भांति, अनुलोम विलोम 15 मिनिट प्रतिदिन किया जावे ता श्वास एवं पेट संबंधित समस्त रोगों से छूटकारा मिल जााता है । श्रीमती किरण शर्मा, माया पंवार, जरीना अंसारी के अनुसार मण्डूक आसन यदि कपाल भाति के साथ करे तो शुगर मे अद्भुत लाभ प्राप्त होगा और शुगर की दवाइ्रया धीरे धीरे बंद हो जावेगी ।
कृति छाजेड, सोनल कटकानी, शर्मिला काठोरी,लक्ष्मी जेैन के अनुसार प्रतिदिन योग करने से दिनभर प्रसन्नता एवं प्रफुल्लता बननी रहती है तथा घर परिवार का कार्य भी बिना किसी थकावट के होता है । आध्यात्मिक शक्ति का विकास भी होता है । मोना गिडवानी व चंदा धाकरे के अनुसार वे प्रतिदिन नियमित रूप से योगाभ्यास के लिये शिविर में आरही है तो उन्हे स्वस्थता महसूस हो रही है तथा प्रतिदिन के दायित्व निभाने में भी आलस्य नही आता है तथा थकान से राहत मिलती है ।
इस बारे में श्रीमती सूरज रोकडे ने भी योग के महत्व को बाते हुए कहा है कि चित्त की वृत्तियों को अनुशासित करना ही योग है। मन में असीम शक्ति है, पर सबसे अधिक दुरुपयोग हम इसी शक्ति का करते हैं। इससे 95 प्रतिशत मानसिक शक्ति व्यर्थ चली जाती है। मन जितना शक्तिशाली होता है, उतना ही चंचल और अस्थिर भी होता है और इस चंचलता को नियंत्रित करने की योग से बेहतर शायद ही कोई दूसरी विधा हो। योग मन को नियंत्रित कर उसे दिशांतरित करने की तकनीक देता है। नियमित योगाभ्यास से न सिर्फ उन पर सकारात्मक असर होता है, बल्कि मानसिक रोगों को तो शत प्रतिशत ठीक किया जा सकता है।
पंतजलि महिला योग समिति ने नगर की महिलाओं एवं बेटियों से आग्रह किया है कि वे गायत्री शक्तिपीठ में आयोजित किये जारहे, योग शिविर में शामील होकर योग करके निरोग होने का महामंत्र प्राप्त करें ।

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