पराक्रम दिवस पर उन्हे स्मरण करके उनके पद चिन्हो पर संकल्प लेने का सांसद ने किया आव्हान झाबुआ । नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्म दिवस को पूरे देश में पराक्रम दिवस के रूप में पूरे देश में मनाया जा रहा है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह किया और वे उन लोगों में से थे जिन्होंने भारत को स्वतंत्रता प्राप्त करने में मदद की । उक्त विचार नेताजी सुभाषचन्द्र बोस की जन्म जयन्ती पर प्रदेशवासियों एवं संसदीय क्षेत्र के समस्त नागरिकों को बधाई देते हुए क्षेत्रीय सांसद गुमानसिंह डामोर ने व्यक्त किये । श्री डामोर ने कहा कि सुभाषचंद्र बोस असहयोग आंदोलन के भागीदार और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता थे। वह अत्यधिक गरमदल का हिस्सा थे और अपनी वकालत और समाजवादी नीतियों के लिए जाने जाते थे। उन्हें नेताजी भी कहा जाता था और भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में उनकी भूमिका के लिए जाना जाता है। वह एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे। वह 1938 से 1939 तक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे। उन्होंने प्रथम विश्व युद्ध के दौरान भारत में ब्रिटिश शासन से छुटकारा पाने का प्रयास किया। उनकी देशभक्ति और संकल्प कई लोगों को प्रेरित करते हैं। भारत को स्वतंत्र बनाने और लोगों को प्रेरित करने के लिए नेताजी सुभाष चंद्र बोस का प्रसिद्ध वाक्य था ’’तुम मुझे खून दो, और मैं तुम्हें आजादी दूंगा ’’। स्वतंत्रता के लिए भारत के संघर्ष में उनके योगदान का सम्मान करने के लिए, नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्मदिन हर साल 23 जनवरी को पूरे देश मे मनाया जाता है । उनका जन्म 23 जनवरी, 1897 को ओडिशा के कटक में हुआ था। उनके पिता, जानकीनाथ बोस, एक प्रसिद्ध वकील थे और उनकी मां, प्रभाती बोस, एक धर्मपरायण और धार्मिक महिला थीं। उनके 13 अन्य भाई-बहन थे और वह अपने माता-पिता की 9 वीं संतान थे। वे बचपन से ही मेधावी छात्र थे। श्री डामोर ने कहा कि नेताजी सुभाषचन्द्र बोस कहते थे कि आजादी दी नहीं जाती, ली जाती है। चर्चा से इतिहास में कोई वास्तविक परिवर्तन नहीं हुआ। जिंदगी आधी दिलचस्पी खो देती है अगर कोई संघर्ष नहीं है- अगर कोई जोखिम नहीं उठाना है। एक व्यक्ति एक विचार के लिए मर सकता है, लेकिन वह विचार, उसकी मृत्यु के बाद, एक हजार जन्मों में अवतरित होगा। अपने कॉलेज जीवन की देहलीज पर खड़े होकर मुझे अनुभव हुआ, कि जीवन का कोई अर्थ और उद्देश्य है। मुझे जीवन में एक निश्चित लक्ष्य को पूरा करना है। मेरा जन्म उसी के लिए हुआ है। मुझे नैतिक विचारों की धारा में नहीं बहना है । निसंदेह बचपन और युवावस्था में पवित्रता और संयम अतिआवश्यक है। मैं जीवन की अनिश्चितता से जरा भी नहीं घबराता। श्री डामोर ने कहा कि नेताजी की जीवनी और कठोर त्याग आज के युवाओं के लिए बेहद ही प्रेरणादायक है। नेताजी के कई ऐसे विचार है, जिन्हें अपनाकर जीवन के प्रति हमारा नजरिया सकारात्मक होने के साथ हम ऊर्जा से भर जाएंगे। नेताजी कहते थे कि ऐसे सिपाही जो अपने देश के प्रति हमेशा वफादार रहते हैं और देश के लिए बलिदान देने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं, उन्हें कभी हराया नहीं जा सकता है। एक सच्चे सिपाही को मिलिट्री और आध्यात्मिकता दोनों की ट्रेनिंग लेनी चाहिए। संघर्ष किसी भी व्यक्ति को मनुष्य बनाता है। संघर्ष से ही आत्मविश्वास की प्राप्ति होती है। उन्होने यह भी कहा था कि मैंने अपने अनुभवों से सीखा है, जब भी जीवन भटकता हैं, कोई न कोई किरण उबार लेती है और जीवन से दूर भटकने नहीं देती। माँ का प्यार स्वार्थ रहित और होता सबसे गहरा होता है। इसको किसी भी प्रकार नापा नहीं जा सकता। यदि आपको अस्थायी रूप से झुकना पड़े, फिर भी वीरों की भांति ही झुकना।हमारा कार्य केवल कर्म करना हैं। कर्म ही हमारा कर्तव्य है। फल देने वाला स्वामी ऊपर वाला है। एक व्यक्ति एक विचार के लिए मर सकता है, लेकिन वह विचार उसकी मृत्यु के बाद, एक हजार जीवन में खुद को अवतार लेगा। अपनी ताकत पर भरोसा करो। उधार की ताकत तुम्हारे लिए घातक है। संासद गुमानसिंह डामोर ने कहा कि कांग्रेस ने अपने लम्बे कार्यकाल में कभी भी नेताजी की स्वतंत्रता आन्दोलन की भूमिका एवं उनके विचारों को कभी भी अहमियत नही दी । केन्द्र में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदीजी की सरकार ने ही भारत के इस वीर सपूत की महत्ता को समझा तथा 23 जनवरी को उनके जन्म दिवस को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लेने के साथ ही इस वर्ष से ही 23 जनवरी से ही गणतंत्र दिवस के समारोह को मनाने का निर्णय लेकर प्रत्येक देशभक्त के दिलों में ऐसे राष्ट्रभक्त को सम्मान देने का कार्य किया है । उन्होने कहा कि आज भी नेताजी के विचार सामयिक होकर उन्हे हम सभी को संकल्पित होकर उनके पद चिन्हो पर चलने का प्रण लेना है। उक्त जानकारी भाजपा आईटी सेल प्रकोष्ठ के प्रमुख अर्पित कटकानी ने दी ।