झाबुआ

तेरापंथ समाज व ज्ञानशाला के बच्चों ने हर्षोल्लास के साथ मनाया मर्यादा महोत्सव

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झाबुआ – महातपस्वी , महामनस्वी., शांतिदूत आचार्य श्री महाश्रमण जी का सबसे मेहता उपक्रम है:- ज्ञानशाला । जिसका मुख्य उद्देश्य बच्चों में संस्कारों का निर्माण करना ।इस बात को ध्यान में रखते हुए झाबुआ ज्ञानशाला की प्रशिक्षिकाएं प्रति रविवार तेरापंथ सभा भवन पर ज्ञानशाला का आयोजन कर बच्चों को ज्ञानार्जन करा रही हैं और संघ के धार्मिक कार्यक्रमों और महोत्सव की जानकारी भी दी जा रही है । इसी कड़ी में 7 फरवरी को तेरापंथ समाज व ज्ञानशाला के बच्चों ने स्थानीय तेरापंथ सभा भवन पर मनमोहक प्रस्तुतियां देकर 158 वां मर्यादा महोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया ।

7 फरवरी रात्रि 8:00 बजे तेरापंथ सभा भवन पर 158 वा मर्यादा महोत्सव मनाया गया । सर्वप्रथम तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्ष सपना कांसवा द्वारा नमस्कार महामंत्र के उच्चारण के साथ कार्यक्रम प्रारंभ हुआ । कन्या मंडल की बालिका ऐंजल गादीया द्वारा मंगलाचरण के साथ गीत….पाना हैं हमें यदि शांति को….. मिटाना है अशांति को… की प्रस्तुति दी । इसके बाद प्रशिक्षिका दीपा गादीया ने उपस्थित सभा को संबोधित करते हुए कहा कि तेरापंथ के इतिहास में आषाढ़ी पूर्णिमा एवं मांघ शुक्ला सप्तमी का बहुत बड़ा संघीय महत्व है विक्रम संवत 1817 आषाढी पूर्णिमा के दिन तेरापंथ संघ की स्थापना हुई एवं विक्रम संवत 1859 माघ शुक्ला सप्तमी को इसका एक लिखित मर्यादा पत्र या संविधान लिखा गया । महामना आचार्य भिक्षु ने शताब्दी पूर्व तत्कालीन साधु समाज को परखा , साधना में आने वाले विध्नो को पहचाना और उन्होंने पाया कि कुछ मर्यादाए अनिवार्य है । जिनके भीतर रहते हुए साधक अपनी साधना कर सकें । उन्होंने मर्यादा के रूप में कुछ लक्ष्मण रेखाए खीची । जिन्हें हम मर्यादा महोत्सव के रूप में मनाते हैं ।प्रशिक्षीका हंसा गादीया ने बताया कि आचार्य भिक्षु ने अपने धर्म संघ की एकता व पवित्रता बनाए रखने के लिए कुछ मर्यादा बनाई । उनके द्वारा निर्मित मर्यादा विक्रम 1859 माघ शुक्ला सप्तमी को घोषित की गई । मर्यादा महोत्सव प्रतिवर्ष त्रिदिवसीय रूप में मनाया जाता है । मर्यादा महोत्सव के अंतर्गत सेवा केंद्रों में रहने वाले साधू- साध्वीयो की सेवा, साधु साध्वीयों को नियुक्त किया जाता है । मर्यादा महोत्सव के दौरान साधु साध्वीयो के विहार और चातुर्मास की घोषणा भी माघ शुक्ला सप्तमी को ही की जाती है । प्रशिक्षिका ने मर्यादा को परिभाषित करते हुए बताया …… मर्यादा क्या है एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति की , एक समाज दूसरे समाज की, एवं एक राष्ट्र दूसरे राष्ट्र की स्वतंत्रता न छीने, इसी का नाम है मर्यादा । मर्यादा संयममय जीवन जीने की जीवन शैली का नाम है । अहं के बिखराव का नाम है ….मर्यादा । मन के घोड़े की लगाम को वशीकरण करने का महामंत्र है …मर्यादा । समय के प्रबंधन का नाम है ….मर्यादा । विनम्रता और सहिष्णुता मर्यादा के सुरक्षा कवच है । और अंत में प्रशिक्षिका हंसा गादीया ने कहां …..संघ को मर्यादा का प्रकार देने वाले श्री भिक्षु स्वामी को प्रणाम और भिक्षु के सपनों को साकार करने वाले आचार्य श्री महाश्रमण जी को प्रणाम ….के माध्यम से अपनी बात समाप्त की । तेरापंथ प्रशिक्षिका हनसा गादीयां और दीपा गादीया ने तेरापंथ की मौलिक मर्यादा का उच्चारण किया …

1.सर्व साधु- साध्वी एक आचार्य की आज्ञा में रहे..। 2. विहार चातुर्मास आचार्य की आज्ञा से करें । 3.अपने शिष्य ना बनाएं । 4.आचार्य अपने गुरु भाई आशीष को उत्तराधिकारी सुने तो सब साधु साध्वी उसे सहर्ष स्वीकार करें । 5. गण के पुस्तक पन्नों पर अपना अधिकार न करें । 6.गण से बहिष्कृत व्यक्ति से संपर्क ना करें । 7.पद के लिए उम्मीदवार ना बने ।

इसके बाद ज्ञानशाला के बच्चे लव्य मुणत , दिव्यम जैन, समक्ष जैन , पर्व जैन द्वारा संघ के प्रति अपनी भावना व्यक्त की और मुक्तक के माध्यम से अपनी बात कही । नन्ही बालिका लक्षिता कांसवा ने ……. फूलों का तारों का सबका कहना है एक हजारों में मेरे गुरुवर है ….गीत पर शानदार नृत्य प्रस्तुति दी । बालिका दर्शना कोठारी …स्वर्ग से सुंदर सपनों से प्यारा सजा है तेरा दरबार…..मुझे मेरा पंत मिला है तेरापंथ मिला है …….गीत की प्रस्तुति ने सभी का मन मोह लिया । बालक आरव चौधरी व विरम कोठारी ने गीत….सारे जहां से अच्छा ….जैन धर्म है हमारा …..गीत के साथ साथ नृत्य प्रस्तुति देकर सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया । इसके बाद बालक विरम कोठारी ने मक्तक…….महावीर स्वामी बन जाऊंगा …..मोक्ष पुरी में जाऊंगा के माध्यम से अपनी भावना व्यक्त की । जिज्ञासा कांसवा ने मुक्तक के माध्यम से अपनी गुरु को वंदना की । इसके बाद तेरापंथ महिला मंडल की श्राविकाए प्रीति चौधरी , श्रेया चौधरी अर्चना चौधरी ने धार्मिक गीत की प्रस्तुति भी । महिला मंडल अध्यक्ष सपना कांसवा व पुखराज चौधरी ने भी गीतिका की प्रस्तुति दी । समाज के संरक्षक कैलाश श्रीमाल ने अनूठे आयोजन के लिए सभी प्रशिक्षिकाओं को साधुवाद दिया । कार्यक्रम की अगली कड़ी में तेरापंथ समाज से पीयूष गादीया ने श्रावक निष्ठा पत्र का वाचन किया और तेरापंत श्रावक समाज की मर्यादाओं का पालन करने की सर्व समाज ने एक साथ शपथ भी ली । कार्यक्रम के अंत में ज्ञानशाला के सभी बच्चों को प्रोत्साहन पुरस्कार दिए और एक लकी ड्रॉ का भी आयोजन किया गया । जिसमें लक्षिता कासवा और विरम कोठारी को सपना कासवा और प्रशिक्षिका शर्मिला कोठारी ने विशेष पुरस्कार दिये । अंत में सर्व तेरापंथ समाज और ज्ञानशाला के बच्चों ने संघगीत का संगान किया । अंत में प्रशिक्षिका शर्मिला कोठारी ने उपस्थित समाज जनों का आभार व्यक्त किया ।

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