ये समस्याएं पहले से स्वस्थ व्यक्तियों और उन लोगों में भी होती हैं जिन्हें हल्के कोविड -19 संक्रमण हुए हैं।
झाबुआ । कोरोना महामारी के कारण अभी भी पूरी दुनिया चिंता में है। इस बीच, ताजा अध्ययन में यह चेतावनी जारी की गई है कि जिन लोगों को कोरोना संक्रमण हुआ है, वे कम से कम एक साल तक अपने हार्ट की अच्छी तरह देखभाल करें। यानी कोविड का साइड इफेक्ट हार्ट से जुड़ी किसी बीमारी के रूप में सामने आ सकता है। अमेरिका में किए गए इस अध्ययन के मुताबिक, कोरोना संक्रमण होने से एक महीने से लेकर एक साल तक की अवधि में हृदय संबंधी जटिलताएं नजर आ सकते हैं। उक्त बात हृदय रोग विशेषज्ञ पूर्व सिविल सर्जन डा. एलएस राठौर ने बताई ।
उन्होने बताया कि नेचर मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित इस स्टडी में पाया गया कि कोरोना के साइड इफेक्ट के रूप में हृदय की सूजन, रक्त के थक्के, स्ट्रोक, कोरोनरी धमनी की बीमारी, दिल का दौरा, हार्ट फेल की स्थिति बन सकती है। जाहिरतौर पर इनमें से कोई भी बीमारी जानलेवा हो सकती है। शोधकर्ताओं के अनुसार, ये समस्याएं पहले से स्वस्थ व्यक्तियों और उन लोगों में भी होती हैं जिन्हें हल्के कोविड -19 संक्रमण हुए हैं।
उन्होने आगे बताया कि अध्ययन में शामिल वाशिंगटन विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर और वरिष्ठ लेखक जियाद अल-एली ने कहा, हम जो देख रहे हैं वह अच्छा नहीं है। कोविड -19 गंभीर हृदय संबंधी जटिलताओं और मृत्यु का कारण बन सकता है। कोरोना के बाद हार्ट संबंधी बीमारी बहुत घातक साबित हो रही है। मरीज का हार्ट इससे उबर नहीं पाता है। ऐसी कोई भी बीमारी आसानी से ठीक नहीं होती है। ये ऐसी बीमारियां हैं जो लोगों को जीवन भर प्रभावित करती हैं। शोधकर्ताओं ने बताया कि कोविड -19 संक्रमण के कारण अब तक दुनिया भर में हृदय रोग के 15 मिलियन नए मामले सामने आ चुके हैं। मरीजों की संख्या उन स्थानों पर अधिक है, जहां खान-पान और लाइफ स्टाइल ठीक नहीं है।