झाबुआ । नगर के नेहरू मार्ग स्थित कालिका माता मंदिर शहर का सबसे प्राचीन मंदिर है। माताजी की प्रतिमा दक्षिणमुखी है। झाबुआ के अलावा देश में ही कोलकाता में इस तरह की प्रतिमा है। इमली के वृक्ष के नीचे स्थित माता की प्रतिमा पर झाबुआ महाराजा गोपालसिंह ने लकड़ी के पाट व कवेलू डलवाकर टापरी बनवाई थी। राजा उदयसिंह ने वर्तमान मंदिर का पक्का निर्माण कराया। कहते हैं राजा दशहरा युद्ध जीतने के बाद सीधे माता मंदिर में आते थे। माता के दायीं ओर अन्नपूर्णा व बायीं ओर चामुंडा माता की प्रतिमा है। माता दिन में तीन रूप बदलती है। श्रद्धालु मंदिर की दीवार पर उल्टा स्वस्तिक बनाकर मन्नत लेते हैं। मनोकामना पूरी होने पर पुनः सीधा स्वस्तिक बनाते हैं। इस तरह नगर की इस प्राचिन धरोहर एवं शक्तिपीठ के रूप में मान्यता प्राप्त दक्षिणमुखी कालिका माता मंदिर का जिर्णोद्धार करने के लिये मध्यप्रदेश सरकार के धर्मस्व विभाग 10 लाख रूपये प्रदान किये है। तदनुसार कलेक्टर झाबुआ के मार्गदर्शन में इस मंदिर के जिर्णोद्धार एवं साज सज्जा का काम इन दिनों तेजी से चल रहा है। मंदिर का निर्माण कार्य पूरा होने पर आगामी नवरात्री पर्व के दौरान इसकी छटा में ओर अधिक निखार आवेगा । प्राचिन दक्षिणमुखी महाकाली मंदिर की स्थाई समिति के सदस्यों एडवोकेट राजेन्द्र अग्निहौत्री, कांतिलाल नानावटी, राजेन्द्र पुरी, चन्दूभाई जायसवाल,राधेश्याम परमार, कन्हैयालाल राठोर,मनोज शाह, मनोज सोनी,अनीश शर्मा,राजेश डामोर,महेन्द्र शर्मा,एवं हेमेन्द्र नाना राठौर द्वारा नगर एवं अंचल की धर्मप्राण जननता से अनुरोध किया है कि धर्मस्व विभाग के सहयोग से मंदिर के पुनरूद्धार कार्य के अलावा ही माताजी के मंदिर मे स्थाई यज्ञ शाला एवं अन्य निर्माण कार्य भी करवाये जाने की श्रद्धालुओं की भावनाओं को देखते हुए ,अपील की गई है कि माता जी मंदिर के सुसज्जतिकरण के लिये तन मन धन से निर्माण कार्य के लिये सहयोग करके अधिक से अधिक भागीदारी करें । मंदिर के पूजारी राजेन्द्र पुरी के अनुसार मंदिर के जिर्णोद्धार निर्माण का कार्य धर्मस्व विभाग के द्वारा तेजी से करवाया जारहा है तथा मंदिर की छत का कार्य पूर्णता की ओर है। समिति के राजेन्द्र अग्निहौत्री ने भी सभी धर्मप्रमियों से तन-मन धन से मंदिर के इस पुनित कार्य में सहयोग करने की अपील की है ।