झाबुआ

अंतररार्ष्ट्रीय महिला दिवस पर वनवासी कल्याण परिषद ने मातृ शक्तियों का सम्मान किया…

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झाबुआ – अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर वनवासी कल्याण परिषद झाबुआ द्वारा उन महिला शक्तियों का सम्मान किया,  जिन्होंने अपने अपने क्षेत्र में अपनी अपनी प्रतिभा अनुसार जीवन में नए आयाम स्थापित किए और संदेश दिया कि आज की नारी किसी भी क्षेत्र में पुरुष से कम नहीं है ।

8 मार्च मंगलवार को अंतरर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर वनवासी कल्याण परिषद द्वारा महिला सम्मान समारोह स्थानीय वनवासी कल्याण परिषद आश्रम झाबुआ पर शाम को 5:00 बजे आयोजित किया गया । कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर चिकित्सक व शिक्षा जगत से डॉक्टर चारुलता दवे , इनरव्हील क्लब व सामाजिक महासंघ से शीतल जादौन , आश्रम व्यवसथापक महेश भाई , रोटरी क्लब झाबुआ एवम वनवासी कल्याण परिषद अध्यक्ष मनोज अरोरा उपस्थिति थे ।सर्वप्रथम  मुख्य अतिथि द्वारा मां सरस्वती के चरणों में पुष्प अर्पण कर कार्यक्रम की शुरुआत की गई ।  मनोज अरोरा ने स्वागत भाषण में सभी महिला शक्तियों का अंतरर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि नारी वह शक्ति है जो परिवार , समाज व देश में एक नई क्रांति ला सकती है । आज की नारी पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर नए आयाम स्थापित कर रही है । इसके बाद बबलू सकलेचा ने भी अपने विचार व्यक्त किए । डॉक्टर लोकेश दवे ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा की आज नारी चिकित्सा के क्षेत्र में , शिक्षा के क्षेत्र में व अन्य क्षेत्रों में पुरुष के साथ के समानांतर कार्य कर रही है । महिलाएं यदि लक्ष्य निर्धारित कर , कार्य करें तो सफलता जरुर प्राप्त होगी । उन्होंने स्वयं का उदाहरण देते हुए कहा कि मेरी पत्नी भी मेरे साथ हर कार्य में कंधे से कंधा मिलाकर मेरा साथ दे रही है और अब चिकित्सा सेवा के साथ-साथ शिक्षा जगत में भी डॉक्टर चारुलता उच्च शिक्षा के लिए प्रयास कर रही है । डॉक्टर चारुलाता दवे ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा सर्वप्रथम दुनिया की विशिष्टतम उपलब्धि,दुनिया की ताकत और शक्ति है महिला। महिला में जो विशेषताएं है अन्यत्र दुर्लभ है। ईश्वर के बाद दुनिया की सबसे अनुपम सुंदर कृति है महिला।सहिष्णुता, नम्रता और समर्पण इन तीनों के बलबूते पर महिला का निर्माण होता है। महिला अपने गुणों का संरक्षण करते हुए अपने जीवन विकास के मापदंडों पर खरी उतर सके ,घर परिवार में अपनी प्रतिष्ठा और पहचान कायम रखकर, गृहस्थी जिम्मेदारियों को निभाते हुए संस्था एवं समाज से जुड़कर अपने कृतित्व और व्यक्तित्व को निखारकर आगे बढ़ सकती हैं श्रीमती शीतल जादौन में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा  कि नारी विकास के नए द्वार खोलने की बजाय विकास के मापदंड को बनाए रखने की आवश्यकता है। जिंदगी में उलझने ,समस्याएं हर मोड़ पर आती है नारी उनका डटकर साहस एवं पराक्रम से मुकाबला करे। नारी शक्ति अपनी प्रतिष्ठा को बनाए रखकर ,विकास करे अन्यथा विकास अधूरा है। एक मां जैसे विकास के मापदंड बनाती है वैसा ही समाज बनता है। भविष्य एवं आने वाले कल का निर्माण करती है एक मां अगर सजग हो गई तो समाज, राष्ट्र सजग बनेगा, उसकी शक्ति को एक नया विस्तार दे, मां की शक्ति जाग्रत रहे ,तो एक सुंदर राष्ट्र की परिकल्पना साकार हो जाएगा । प्रोफेसर अंजना ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए. कहा कि अपने देश में उच्च स्तर पर लैंगिक असमानता है।अभी भी हम लड़कियों को स्वतंत्र नहीं कर पाए, आज एक औरत ही औरत के विकास में रुकावट बनी हुई है। महिला लड़का लड़की में भेद न करते हुए जागरूक रहकर बच्चों में अच्छे संस्कार की नींव रखेगी ,तो ही समाज व देश का विकास होगा। उन्होंने कहा कि नारी में वो हो सकती है कि वह पुरुष को सजा सकती है व.संवार सकती है और उसे एक नया स्वरूप दे सकती है । जैसे कि एक कुम्हार एक घड़े को बनाने के लिए आकार और स्वरूप देता है । उन्होंने अपने जीवन के प्रेरणादायक संस्मरण सुनाते हुए कहा नारी सशक्तिकरण में वो ताकत है कि वो समाज, देश में बहुत कुछ बदल सकती है। श्रीमति हंसा गादीया ने कहा कि मां जो संस्कार देती है परिवार,समाजऔर राष्ट्र उसकी ही झलक होती है। महिला ही घर परिवार को स्नेह वात्सल्य से सिंचित कर उन्हे जोड़े रख सकती है। मानवीय गुणों का विकास करती हुई परिवार और समाज में संतुलन रखते हुए अपनी उन्नति की दिशा तय करे । हर क्षेत्र में नारी ने अपनी क्षमता, प्रतिभा से विकास के अनगिनित परचम फहराए है।ऐसी ही घर परिवार रिश्तों को संवारते हुए नारी सतत विकास के सोपान स्थापीत करे। इसके बाद सम्मान समारोह का प्रारंभ किया गया । जिसमें महिलाओं को अपने-अपने क्षेत्रों में समस्याएं आने के बाद भी उत्कृष्ट कार्य करने पर सफलता प्राप्त करने पर सम्मानित किया गया । कार्यक्रम का सफल संचालन वनवासी कल्याण परिषद सचिव शरद शास्त्री ने किया और आभार जयंत बैरागी ने माना। ।

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